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थम नहीं रहे सामूहिक दुष्कर्म के मामले

सख्त कानून होने के बावजूद ‘सामूहिक दुष्कर्म’ के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं,बल्कि लगातार इसमें बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। एक बार फिर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। यहां एक नाबालिग लड़की का कथित तौर पर गैंगरेप हुआ है। जिसे आरोपी सड़क पर फेंक कर फरार हो गए थे। इस मामले को पहले सड़क दुर्घटना का नाम दिया जा रहा था। लेकिन अब परिवार वालों का आरोप है कि पुलिस ने इस मामले में हादसे का मुकदमा लिख केस को रफा दफा करने की कोशिश की है। फिलहाल पीड़िता गंभीर रूप से घायल है और पिछले 14 दिनों से उसका इलाज चल रहा है।

‘सुरक्षा आपकी, संकल्प हमारा’ मोटो के साथ यूपी पुलिस अक्सर सवालों के घेरे में रहती है। आम जनता के इन ‘रक्षकों’ पर कभी पीड़ित को प्रताड़ित करने का आरोप लगता है, तो कभी मामले को दबाने को लेकर सवाल उठते हैं। पुलिस खुद कभी शोषक के रूप में नज़र आती है तो कभी आरोपियों की मदद करती। अपराध, विवाद में कानून का सही ढंग से पालन हो रहा है या नहीं इससे यूपी पुलिस को शायद कोई फर्क नहीं पड़ता। तभी तो इलाहाबाद हाईकोर्ट की कई बार फटकार के बाद दिल्ली हाईकोर्ट भी इनकी तगड़ी फटकार लगा चुका है।

क्या है पूरा मामला?

जानकारी के मुताबिक मामला यमुनापार कौंधियारा इलाके का है। एक रिपोर्ट के मुताबिक,अनुसार बीते 10 अगस्त को एक युवक ने लड़की के मोबाइल पर कॉल करके मिलने के लिए बुलाया था। जब वो मुलाकात करने गई तो उसने कथित तौर पर अपने दोस्तों के साथ मिलकर दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। आरोप है कि इसके बाद वो पीड़िता को कौंधियारा थाने से एक किलोमीटर दूर फेंक कर भाग गए थे। लड़की के पूरे शरीर पर चोट के निशान हैं।रिपोर्ट के मुताबिक आधी रात को गश्त के दौरान पुलिस की नजर लड़की पर पड़ी, जिसके बाद उन्होंने पीड़िता को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। लेकिन लड़की की स्थिति में सुधार नहीं आया, जिसके चलते उसे स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में रेफर कर दिया गया। इस बीच पीड़िता के घर वालों को भी सूचना दी गई।इस मामले में पीड़िता के परिजनों ने आरोप लगाया है कि कौंधियारा पुलिस आरोपियों को बचा रही है। उन्होंने कहा कि परिवार की ओर से जो तहरीर दी गई है, उसके आधार पर पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है और वो मनगढ़ंत तरीके की कहानी बना रहे हैं। पुलिस ने जिस चाचा की तहरीर पर दुर्घटना का मुकदमा किया था। उसी चाचा ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि मुकदमा कैसे हो गया है, उन्हें कुछ पता नहीं। वो थाने पर मुकदमा लिखवाने गए ही नहीं थे। चाचा की मानें तो ‘भतीजी अस्पताल में भर्ती थी, उसकी हालत नाजुक थी। दरोगा साहब ने रेफर के लिए सादे कागज पर मेरा हस्ताक्षर कराया था।’

एक  रिपोर्ट के मुताबिक, 10 अगस्त की इस घटना को लेकर पहले ये कहा जा रहा था कि लड़की सड़क हादसे में घायल हो गई थी। पुलिस ने एफआईआर में पीड़ित नाबालिग को मानसिक रूप से अस्वस्थ बताया था। जबकि परिजनों का कहना है कि अगर वो पागल है, तो उसने इस साल इंटर कैसे पास कर लिया। हालांकि, मुंबई से वापस आने के बाद पीड़िता के पिता ने एक नई तहरीर दी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि उनकी बेटी के साथ ‘सामूहिक दुष्कर्म’ हुआ है। पिता ने गांव के ही एक युवक और उसके साथियों पर आरोप लगाया है।

पुलिस का क्या कहना है?

कौंधियारा पुलिस का कहना है कि 18 अगस्त को लड़की के चाचा ने थाने में तहरीर दी थी कि छात्रा मानसिक तौर पर स्वस्थ नहीं है। वह घर से बाहर रोड पर जा रही थी, किसी अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दिया, जिससे वह घायल हो गई।इस पूरे मामले में एसपी यमुनापार सौरभ दीक्षित ने कहा है कि पहले पुलिस को उनके परिवार से एक बच्ची की अज्ञात वाहन से दुर्घटना होने की खबर मिली थी। उस दौरान सुसंगत धाराओं में अभियोग कर लिया गया था। इसके बाद उनकी जानकारी में कुछ और तथ्य आए हैं। उसको उन लोगों ने पुलिस से साझा किया है। उनसे प्रार्थनापत्र लिया गया है, जिसमें इन्हीं के गांव के पास के लड़के पर अपराध करने का आरोप लगाया है। तत्काल इस प्रार्थनापत्र का संज्ञान लेते हुए जांच की जा रही है। जो साक्ष्य पुलिस ने संकलित किए हैं। उनके आधार पर सुसंगत विधिक कार्रवाई की जाएगी।

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान रैलियों में सीएम योगी के साथ-साथ पीएम नरेंद्र मोदी भी महिला सुरक्षा के कसीदे पढ़ते नज़र आ रहे थे। हालांकि सरकारी संस्था राष्ट्रीय महिला आयोग के मुताबिक वर्ष 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश से रिपोर्ट हुए, जो कुल शिकायतों का आधा से ज्यादा का आंकड़ा है। आयोग की हालिया जारी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 30 हजार से ज्यादा मामले सामने आए। जिसमें सबसे अधिक 15,828 शिकायत यूपी से थीं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की मानें तो महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा क्राइम में भी उत्तर प्रदेश टॉप पर है। यहां वर्ष 2020 में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के 49,385 मामले दर्ज कराये गए थे। देश में रेप के मामले में भी उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। यानी राजस्थान के बाद उत्तर प्रदेश ही वो राज्य है जहां महिलाएं सबसे अधिक बलात्कार का शिकार हो रही हैं। देश में वर्ष 2020 के दौरान बलात्कार के कुल 28046 केस दर्ज किए गए, जिसमें से उत्तर प्रदेश में कुल इतने 2,769 मामले दर्ज हुए।

गौरतलब है कि देश में दलितों पर हर चौथा अपराध उत्तर प्रदेश में होता है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में वर्ष 2017 में दलितों के खिलाफ अपराध का आंकड़ा 11,444 था, जो 2019 में बढ़कर 11,829 हो गया। यानी देश में दलितों के खिलाफ होने वाले अपराधों में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 25.8% है। वहीं वर्ष 2020 के आंकड़े देखें तो, देश में दलितों के खिलाफ अपराध के कुल 50,291 मामले दर्ज हुए, जिसमें से अकेले सिर्फ उत्तर प्रदेश में 12,714 मामले दर्ज हुए। यानी दलित उत्पीड़न में प्रदेश पूरे देश में अव्वल पर है। बहरहाल, सीएम योगी आदित्यनाथ की ‘ठोक दो’ की नीति, ‘न्यूनतम अपराध’ के दावे और उत्तम प्रदेश के दावों से इतर प्रदेश की जमीनी सच्चाई ये है कि उत्तर प्रदेश में हर तरह के अपराध का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। वंचित, शोषित लोग न्याय की आस में दर-बदर भटक रहे हैं तो वहीं पुलिस पीड़ित को और प्रताड़ित कर रही है। कुल मिलाकर देखें तो सत्ता में वापसी के बाद भी भाजपा की योगी सरकार कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा के मोर्चे पर विफल ही नज़र आती है।

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