अभी तक देश और दुनिया के लोग यही जानते हैं कि कोरोना का संक्रमण हाथ के जरिए या सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकता है। लेकिन अब नई जानकारी सामने आ रही है। जिसमें वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया है कि कोरोना आंखों के जरिए भी शरीर में प्रवेश कर सकता है। वैज्ञानिकों ने यह खुलासा कर हमें कोरोना से और भी सचेत होने के संकेत दिए हैं।
वैज्ञानिकों का दावा है कि कोरोना आंखों में मौजूद एस टू रिसेप्टर के जरिए शरीर में घुस सकता है। वैज्ञानिकों का इसके पीछे तर्क यह है कि संक्रमित व्यक्ति जब छीकता या खासता है तो उससे निकलने वाली बूंदों में मौजूद वायरस आंखों में रहने वाले एस टू रिसेप्टर से चिपक कर शरीर में प्रवेश कर सकता है। वैज्ञानिकों का यह भी दावा है कि एस टू चैप्टर जिन लोगों में अधिक होता है, उन लोगों में वायरस की मात्रा अधिक होने की संभावना रहती है।
वैज्ञानिक कहते हैं कि संक्रमण का पहला डोज ब्लड के जरिए शरीर में फैल सकता है। इसके लिए उन्होंने 30 प्रतिशत लोगों में कोरोना वायरस की शुरुआत आंखों से होने की भी चेतावनी दी हैं। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि आंखों से निकलने वाली गंदगी संक्रमण के प्रसार का कारण भी हो सकती है। ऐसे में लोगों को सावधानी बरते हुए आंखों की साफ सफाई पर ध्यान देना चाहिए । इसके लिए उन्होंने यह भी कहा है कि जो भी कपड़ा तोलिया या रुमाल आंखों को साफ करने में प्रयोग किया जाए उसका प्रयोग दूसरा कोई न करें। इसका विशेष ध्यान रखा जाए।
इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के वायरस जिनोमिक्स के प्रोफ़ेसर पाल केलम ने इस मामले पर रिसर्च किया। उन्होंने कहा कि आंखों में जब वायरस घुस जाता है तो वह श्वास नलिका में उतर कर नीचे गले में चला जाता है। क्योंकि आंखें नाक की लेक्रमिल डक्ट से जुड़ी होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब कोई आप दवा आखों में डालते हैं तो उसका स्वाद गले के पिछले हिस्से में महसूस होता है। इसी तरह वायरस भी आंख से गले में उतर सकता है।
अमेरिका के जॉन हापकिंस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के रिसर्च में यह बात सामने आई है कि आंखों में वायरस के पहुंचते ही संक्रमण की शुरुआत हो जाती है। जिसमें आंखों के लाल होने के साथ-साथ उनमें सूजन भी आ सकती है। यह सबसे बड़ा खतरा है जो आंखों में मौजूद आंसू के जरिए वायरस अपना प्रसार बढ़ा सकता है। अमेरिका में नेत्र विभाग के एक डॉक्टर ने इसके रिसर्च तक पहुंचने के लिए 10 लोगों का पोस्टमार्टम किया। जिनकी मौत कोरोना से नहीं हुई थी। इन लोगों के आंखों की जांच की गई तो पता चला कि आंख में भी एस 2 रिसेप्टर होते हैं। जो कोरोना का सबसे बड़ा कारक बन सकते है।