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पुलवामा में आतंकी हमले के दौरान शहीद हुए सैनिकों के सम्मान में और देशवासियों को संकट की घड़ी में संयम से काम लेने के लिए काॅलेज की छात्राओं ने एक शांति मार्च का आयोजन किया था।
छात्राओं के हाथों में उन जवानों के नाम लिखी तख्तियां थीं जो पुलवामा में शहीद हुए थे। कुछ तख्तियां यह भी कह रही थीं कि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता। शायद इसलिए ताकि देश में एक वर्ग विशेष के खिलाफ माहौल खराब न होने पाए।
छात्राएं सरकार से मांग कर रही थीं कि देश के दुश्मनों के साथ ही देश के उन गद्दारों को भी अब सबक सिखाया जाना चाहिए जो हिन्दुस्तान की जड़ों को खोखला करने की नापाक कोशिशों में जुटे हैं।
रविवार के दिन निकला छात्राओं का यह जुलुस हजरतगंज स्थित 1090 चैराहे से लोहिया पार्क तक गया और वहीं से वापस 1090 चैराहे पर आकर समाप्त हुआ। लगभग 5 किलोमीटर के शांति मार्च के दौरान छात्राओं का जोश छलक ही आता था। वे चाहकर भी स्वयं को रोक नहीं पा रही थीं। कुछ छात्राओं ने पाकिस्तान मुर्दाबाद और हिन्दुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हुए तमाम ऐसे नारे उद्घोषित किए जो यह प्रदर्शित कर रहे थे कि आतंकवादियों को अब किसी भी सूरत में न बख्शा जाए और आतंकवाद को पनाह देने वाले देश पाकिस्तान को भी अब सबक सिखाया जाना जरूरी है।

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