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स्मोकिंग करने वाले से अधिक पास रहने वालों को कैंसर का खतरा, अब तक 25 लाख मौत

दुनियाभर में करोड़ों लोग केवल शौक के लिए धूम्रपान और शराब पीते हैं। जो उनकी सेहत के लिए घातक सिद्ध होता है। लेकिन जो लोग धूम्रपान नहीं करते हैं उन्हें भी अब सावधान रहने की जरूरत है। अगर आप धूम्रपान नहीं करते हैं, तो भी सेकेंड हैंड धूम्रपान आपके कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल द लैंसेट के एक अध्ययन में दावा किया गया है कि सेकेंड हैंड स्मोकिंग कैंसर का 10वां प्रमुख कारण है।

जो लोग स्मोकिंग करते हैं, उनके पास रहने वाले लोगों में कैंसर का खतरा अधिक होता है। आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में सेकेंड हैंड स्मोकिंग या पैसिव स्मोकिंग के शिकार होने वालों की संख्या बढ़ रही है। इसका मतलब है कि धूम्रपान न करने वाले भी धुएं से बीमार हो रहे हैं। इसलिए शोधकर्ताओं ने धूम्रपान करने वालों लोगों से दूर रहने की सलाह दी है।

ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज, इंजरी एंड रिस्क फैक्टर्स (GBD) 2019 के शोध निष्कर्षों में शोधकर्ताओं ने जांच की कि कैसे 34 व्यवहार, चयापचय, पर्यावरण जोखिम कारकों ने 2019 में 23 प्रकार के कैंसर से मृत्यु दर और रुग्णता में बढ़ोतरी की है । इन कारणों से 2019 में 37 लाख लोगों की मौत हुई।

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इन कारणों से भी होता है कैंसर

लैंसेट के अनुसार, अध्ययनों से पता चला है कि स्मोकिंग , शराब का सेवन और उच्च बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) कैंसर के सबसे बड़े जोखिम कारक हैं। इसके अलावा असुरक्षित यौन संबंध, वायु प्रदूषण के कण, एस्बेस्टस एक्सपोजर, भोजन में साबुत अनाज, दूध की कमी और सेकेंड हैंड स्मोकिंग भी कैंसर का कारण बनते हैं।

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अब तक 25 लाख लोगों की मौत

यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार, तंबाकू के धुएं में 7,000 से अधिक जहरीले रसायन होते हैं। 1964 से, लगभग 2.5 मिलियन गैर-धूम्रपान करने वालों की मौत सेकेंड हैंड धुएं से हुई है।

सेकेंड हैंड स्मोकिंग क्या है?

सिगरेट, सिगार या हुक्का से निकलने वाला धुआं सेकेंड हैंड स्मोकिंग है। यदि धूम्रपान करने वाले के आस-पास बैठा कोई अन्य व्यक्ति उस धुएं के संपर्क में आता है, तो वह सेकेंड हैंड स्मोकिंग का शिकार हो जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भी अपने के रिपोर्ट में बताया गया है कि बहुत से लोगों को यह एहसास भी नहीं है कि तंबाकू उद्योग से दुनिया को कितना बड़ा खतरा है। संगठन के अनुसार, तंबाकू उद्योग दुनिया के सबसे बड़े प्रदूषकों में से एक है, जिसने दुनिया भर में कचरे के पहाड़ छोड़े हैं और ग्लोबल वार्मिंग में भी बढ़ावा दे रहा है। आज भी धूम्रपान हर साल दुनिया भर में 8 मिलियन से अधिक लोगों की मौत का कारण है।

रिपोर्ट के मुताबिक, तंबाकू इंडस्ट्री की वजह से हर साल करीब 60 करोड़ पेड़ काटे जाते हैं। इसके अलावा तंबाकू की खेती और उत्पादन के लिए हर साल 200,000 हेक्टेयर जमीन और 22 अरब टन पानी की जरूरत होती है। उद्योग लगभग 84 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड भी उत्सर्जित करता है।

किसानों को होती है गंभीर बीमारी

इससे लगभग एक चौथाई तंबाकू किसानों को ग्रीन टोबैको सिकनेस नामक बीमारी भी हो जाती है, जिसमें त्वचा के माध्यम से निकोटिन के अवशोषित होने से विष शरीर में फैल जाता है। क्रेच ने कहा कि जो किसान दिन भर तंबाकू के साथ काम करते हैं, वे एक दिन में 50 सिगरेट के बराबर निकोटीन का सेवन करते हैं।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ज्यादातर तंबाकू गरीब देशों में उगाया जाता है, जहां पानी और कृषि भूमि दुर्लभ है, और जहां ऐसी फसलें अक्सर बहुत जरूरी खाद्य उत्पादन के स्थान पर उगाई जाती हैं। सिगरेट फिल्टर में माइक्रोप्लास्टिक होते हैं, जो दुनिया भर के महासागरों की गहराई में पाए गए हैं।

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