कैंसर (Cancer) से होने वाली मृत्यु दर दुनिया में सबसे ज्यादा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक साल 2020 में 1 करोड़ से ज्यादा लोगों की कैंसर (Cancer) से मौत हो चुकी है। Cancer का पता चलने पर कई लोगों के पैरों के नीचे की जमीन खिसक जाती है। इलाज का खर्च आम आदमी की पहुंच से बाहर है।
'It's an important aspect in our armoury against cancer.'
Stuart was one of the first people in the country to take part in the world’s largest trial of a revolutionary blood test, which detects over 50 types of cancer before symptoms appear. https://t.co/sYWkmkdTev pic.twitter.com/AX2JhXiOUW
— NHS England (@NHSEngland) September 13, 2021
नतीजतन, इलाज के अभाव में कई लोगों की मौत हो जाती है। ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) ने एक स्वास्थ्य परीक्षण शुरू किया है। यदि यह परीक्षण सफल होता है, तो यह भारत सहित कई देशों में Cancer के निदान और उपचार की लागत को काफी कम करने में मदद मिलेगी। ऐसा कहा जा रहा है कि व्यक्ति में लक्षण प्रकट होने से पहले ही कैंसर का पता लगाया जा सकता है। यह सिर, गले, आंतों, फेफड़ों और अन्नप्रणाली के कैंसर का पता लगाने में भी मदद करेगा। एक हेल्थकेयर कंपनी ग्रेल द्वारा किया गया ‘गैलरी टेस्ट’ ल्यूकेमिया के शुरुआती लक्षणों की जांच करता है।
एनएसएस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमांडा प्रिचर्ड ने कहा, “यदि लक्षण प्रकट होने से पहले कैंसर का पता लगाया जाता है, तो एक अच्छा मौका है कि इलाज किया जाएगा। ये लोगों के बचने का सबसे अच्छा मौका हो सकता है। त्वरित और सरल रक्त परीक्षण से कैंसर का पता लगाना आसान हो जाएगा।”
यूके के आठ हिस्सों से 1.40 लाख वालंटियर्स पर परीक्षण करने की योजना है। ताकि इसके व्यापक उपयोग की संभावनाओं का बेहतर ढंग से पता लगाया जा सके। ग्रिल यूरोप में भारतीय मूल के अध्यक्ष सर हरपाल कुमार ने कहा, “गैलरी परीक्षण न केवल कैंसर के बारे में बल्कि शरीर के उस क्षेत्र के बारे में भी सटीक जानकारी प्रदान कर सकता है जहां रोग फैल रहा है।”
यह ‘कैंसर के खिलाफ हमारे शस्त्रागार में यह एक महत्वपूर्ण पहलू है।’
इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के अनुसार, 2018 में 17 मिलियन लोगों को कैंसर का पता चला था और 9.5 मिलियन लोगों की मौत कैंसर से हुई थी। 2014 तक यह अनुमान है कि दुनिया भर में 27.5 मिलियन लोगों को कैंसर हुआ और 16.3 मिलियन लोग मरे। इस बीच भारत की कैंसर रजिस्ट्री का अनुमान है कि 68 पुरुषों में से एक को फेफड़े का कैंसर का रिस्क रहता है, 29 में से एक महिला को स्तन कैंसर होता और नौ भारतीयों में से एक को कैंसर होने का रिस्क रहता है। परीक्षण के लिए प्रारंभिक अनुमान 2023 तक होने की उम्मीद है। सफल होने पर एनएसएस 2024 और 2025 में इंग्लैंड में दस लाख लोगों का परीक्षण करेगा। संगठन ने पहले ही 50 से 70 आयु वर्ग के लोगों से परीक्षण में भाग लेने की अपील की है।