बैंक ऑफ बड़ौदा को कलकत्ता हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक को बैंक गारंटी देने में देरी के लिए उसके लाइसेंस को रद्द करने सहित उचित कदम पर विचार करने के लिए कहा है।
बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडियन ऑयल कॉर्प लिमिटेड के बीच सिंप्लेक्स प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को जारी एक बैंक गारंटी के मामले की सुनवाई कर रही थी। सिम्प्लेक्स प्रोजेक्ट्स लिमिटेड की ओर से इंडियन ऑयल कॉर्प लिमिटेड को 6.67 करोड़ रुपये बिना शर्त बैंक गारंटी के रूप में भुगतान जारी करने में बैंक के विफल होने के बाद यह मामला सामने आया है।
न्यायमूर्ति कौशिक चंदा और न्यायमूर्ति संजीब बनर्जी की खंडपीठ ने कहा कि अपीलकर्ताओं के आचरण का ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक को बैंक ऑफ बड़ौदा का लाइसेंस रद्द करने पर विचार करना चाहिए।
इंडियन ऑयल कॉर्प लिमिटेड का कहना है कि सिंप्लेक्स ने अपना वादा पूरा नहीं किया था जिसके बाद बैंक गारंटी लागू करने को लेकर रजामंदी जताई थी। इस आधार पर बैंक को बिना गारंटी के तत्काल भुगतान को रोकने का कोई अधिकार नहीं था। तर्क यह भी दिया गया है कि गारंटी के लागू होने के बाद भुगतान को टाला नहीं जा सकता। इसके बावजूद बैंक ने इनकार कर दिया कि बैंक को सिम्प्लेक्स द्वारा पैसा उपलब्ध नहीं कराया गया है।
कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंक होने के बाद भी बैंक ऑफ बड़ौदा का काम करने का तरीका गलत है। कोर्ट ने इस मामले में आरबीआई से उचित कदम उठाने को कहा है। इंडियन ऑयल कॉर्प लिमिटेड ने दावा किया है कि बैंक ने सिंप्लेक्स को बैंक गारंटी की मांग के संबंध में सूचित किया जिसके अनुसार, इंडियन ऑयल कॉर्प लिमिटेड और सिम्प्लेक्स के बीच मैट्रिक्स अनुबंध के तहत सिम्प्लेक्स ने मध्यस्थता समझौते के आधार पर हाईकोर्ट के समक्ष मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 9 के तहत कार्यवाही तुरंत शुरू की।
हाईकोर्ट ने यह भी देखा कि बैंक गारंटी बिना शर्त के थी और गारंटी के लागू होने के बाद भुगतान को टाला नहीं जा सकता था। फिर भी, बैंक ने इस आधार पर बिना शर्त गारंटी के मामले में भुगतान जारी करने से इनकार कर दिया कि बैंक को सिम्प्लेक्स द्वारा पैसा उपलब्ध नहीं कराया गया है।