दिल्ली दरबार में इन दिनों केंद्रीय मंत्रिमंडल में संभावित फेरबदल को लेकर नाना प्रकार की कयासबाजियों का दौर चरम पर है। लुटियन्स दिल्ली के पंच तारा होटलों से लेकर पुरानी दिल्ली के चाय ढाबों तक हरेक की जुबां पर इसी की चर्चा है। खबर गई है कि पीएमओ ने केंद्रीय खुफिया एजेंसी आईबी को संभावित मंत्रियों के नामों की सूची काफी अर्सा पहले ही सौंप दी थी ताकि आईबी ऐसे नामों की बाबत पूरी छानबीन कर अपनी रिपोर्ट समय पर सौंप दे। इसके बावजूद नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार न होने से जहां एक तरफ हटाए जाने की आशंका के चलते वर्तमान में मंत्री पद काबिज नेताओं का बीपी खासा बढ़ा हुआ बताया जा रहा है तो दूसरी तरफ मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए आतुर सांसदों का धैर्य चूकने लगा है।
भाजपा सूत्रों की माने तो मंत्रिमंडल में विस्तार न होने का असल कारण शिवसेना है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शीर्ष स्तर से शिवसेना के सीएम उद्दव ठाकरे पर स्वयं उनकी पार्टी के बड़े नेताओं का भारी दबाव वर्तमान गठबंधन तोड़ वापस भाजपा संग गठजोड़ करने का लगातार बना हुआ है। केंद्रीय जांच एजेंसियों का मकड़जाल शिवसेना के कई बड़े नेताओं को जेल की सलाखों के भीतर करने की नीयत से कसते जा रहा है। इन नेताओं ने अब खुलकर ठाकरे से एनडीए वापसी की मुहर लगानी शुरू कर दी है। सूत्रों की माने तो हर कीमत पर महाराष्ट्र में सत्ता की भागदारी चाहने वाली भाजपा अब पूरे पांच बरस उद्दव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाए रखने तक के लिए तैयार है। प्रदेश की राजनीति में ठाकरे के बड़े प्रतिद्वंदी पूर्व सीएम देवेन्द्र फणडनवीस को केंद्र सरकार में एडजस्ट करने और शिवसेना को केंद्र में तीन से चार मंत्री पद देने की बात सामने आरही है। भाजपा इसके एवज में राज्य सरकार में दो उपमुख्यमंत्री बनाए जाने और कुछेक महत्वपूर्ण मंत्रालयों में अपना मंत्री नियुक्त करने का प्रस्ताव शिवसेना प्रमुख के सामने रख चुकी है। जानकारों का दावा है कि शिवसेना का एक बड़ा हिस्सा उद्दव पर इस प्रस्ताव को स्वीकारने के लिए जबरदस्त दबाव बनाए हुए है। मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार इस चलते ही अधर में लटका बताया जा रहा है।