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दांव-पेंच में उलझा कैबिनेट विस्तार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। कहा जा रहा है कि क्या मोदी कैबिनेट विस्तार अब सियासी दांव- पेंच में उलझ गया है? या मानसून सत्र के बाद एक बार फिर से मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार की संभावना है? सियासी गलियारों में अभी भी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं हो रही हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार की संभावनाएं फिलहाल जल्दी नजर नहीं आ रही हैं। इसके पीछे उनका तर्क है कि जिन राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, वहां के नेताओं की पहले से ही मोदी मंत्रिमंडल में मजबूत हिस्सेदारी है। एनडीए के घटक दलों की बैठक के बाद जो सियासी समीकरण बने हैं, उसमें भी किसी भी राज्य के नेता को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की संभावनाएं नहीं बन रही है। हालांकि, कुछ सियासी जानकारों का मानना है कि मानसून सत्र के बाद मोदी कैबिनेट में 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर फेरबदल हो सकता है।

इस साल होने वाले राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले अटकलें लगाई जा रही थी कि जल्द ही मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। कयास तो यह लगाए जा रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ्रांस जाने के पहले ही मोदी कैबिनेट में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दरअसल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना के नेताओं की मोदी कैबिनेट में हिस्सेदारी है। मध्य प्रदेश से पांच सांसद मोदी की कैबिनेट में हैं। नरेंद्र सिंह तोमर, वीरेंद्र सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, पहलाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते शामिल हैं। इसलिए मध्य प्रदेश में आने वाले विधानसभा के चुनावों को देखते हुए फिलहाल तो ऐसी संभावना नहीं बन रही है कि वहां से किसी नेता को मंत्रिमंडल में शामिल कर विधानसभा के चुनावों में सियासी निशाना लगाया जाए। इसी तरह राजस्थान में भी सियासी समीकरण मोदी मंत्रिमंडल से ठीक-ठाक साधा जा रहा है। राजस्थान से मोदी सरकार में चार मंत्री कैबिनेट में हैं। इसमें भूपेंद्र यादव, गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल और कैलाश चौधरी राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। राजस्थान की सियासत को समझते हुए हैं अर्जुन राम मेघवाल को राज्यमंत्री से कैबिनेट मंत्री का दर्जा अभी हाल ही में दिया गया है। मेघवाल को कैबिनेट मंत्री बनाकर मोदी सरकार ने राजस्थान में दलित समुदाय को बड़ा संदेश भी दिया।

वहीं कैबिनेट मंत्री जी किशन रेड्डी को तेलंगाना का भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भारतीय जनता पार्टी ने एक बड़ा सियासी दांव तो चल ही दिया है। जिस तरीके से भाजपा तेलंगाना में अपनी मजबूत पैठ बनाना चाह रही है, उस लिहाज से उसको तेलंगाना के कुछ नेताओं को जरूर अपने मंत्रिमंडल में जगह दिए जाने की संभावनाएं हैं। इसी तरह छत्तीसगढ़ में भी रेणुका सिंह को मोदी कैबिनेट में जगह मिली हुई है। ये दो राज्य ऐसे हैं जहां पर भारतीय जनता पार्टी सियासी तौर पर कुछ लोगों को फिलहाल मंत्रिमंडल में जगह दे सकती है, लेकिन जिन राज्यों में चुनाव होना है वहां के नेताओं की मोदी मंत्रिमंडल में पहले से हिस्सेदारी बनी हुई है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाओं के न किए जाने की बड़ी वजह यही सियासी गणित नजर आ रहा है। लेकिन इसका दावा नहीं किया जा सकता है कि मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हो सकता। भाजपा से जुड़े हुए कुछ नेताओं का दावा है कि मानसून सत्र के बाद मंत्रिमंडल का बहुत बड़े स्तर पर तो नहीं लेकिन विस्तार तो होगा।

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