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फिर सुलगने लगा सीएए

आमचुनाव 2024 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं वैसे- वैसे एक ओर जहां तुष्टिकरण की राजनीति गरमाने लगी है, वहीं दूसरी तरफ केंद्र की भाजपा सरकार अपने अहम मुद्दों और वायदों में से एक रहा नागरिकता संशोधित अधिनियम (सीएए) के मुद्दे को फिर सुलगाने की कवायद में जुट गई है। पिछले दिनों सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून को लेकर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ने जल्द अंतिम मसौदा तैयार होने के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम का अंतिम मसौदा अगले साल 30 मार्च तक तैयार होने की उम्मीद है। उत्तर 24 परगना जिले के ठाकुरनगर में मतुआ समुदाय की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा गृह राज्य मंत्री ने कहा कि कोई भी मतुआ समुदाय के लोगों से
नागरिकता का अधिकार नहीं छीन सकता, जो बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भाग गए थे। पिछले कुछ वर्षों में सीएए को लागू करने की प्रक्रिया में तेजी आई है। कुछ मुद्दों को सुलझाया जा रहा है। वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी कोलकाता में एक बड़ी जनसभा को संबोधित करने के दौरान सीएए लागू करने को लेकर ममता बनर्जी को ऐसी चुनौती दी है जिस पर पूरे देश में चर्चा शुरू हो गई है। अमित शाह ने कहा कि हर हाल में सीएए लागू होगा और इसे कोई रोक नहीं पाएगा।

शाह के इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद शांतनु सेन ने कहा कि भाजपा को केवल चुनाव के दौरान मतुआ और सीएए की याद आती है। भगवा पार्टी पश्चिम बंगाल में कभी भी सीएए लागू नहीं कर पाएगी। भाजपा के झूठे दावे मतुआ और अन्य लोगों के सामने स्पष्ट हो रहे हैं। अगले साल के चुनाव में भगवा पार्टी को सभी खारिज कर देंगे। इस मुद्दे पर अब चर्चा जोर-शोर से होने लगी है। समाजवादी पार्टी के सांसद डॉक्टर शफीकुर्रहमान ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि ममता बनर्जी को हराना बीजेपी के बस की बात नहीं है। यूपी के संभल से सांसद शफीकुर्रहमान ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की जमकर सराहना करते हुए कहा कि मुसलमान ममता के साथ हैं। बंगाल में पहले भी ममता बनर्जी बीजेपी को हरा चुकी है। सीएए लागू करना आसान काम नहीं है। पूरा विपक्ष इसके खिलाफ है और विपक्ष नहीं चाहता है कि सीएए लागू हो।

गौरतलब है कि सीएए 31 दिसंबर 2014 से पहले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत में आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना चाहता है। सीएए के पहले भारतीय नागरिकता के लिए 11 साल भारत में रहना जरूरी था, इस समय को घटाकर 1 से 6 साल कर दिया गया है। 11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (सीएबी) के पक्ष में 125 और खिलाफ में 99 वोट पड़े थे। अगले दिन 12 दिसंबर 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई। देशभर में भारी विरोध के बीच बिल दोनों सदनों से पास होने के बाद कानून की शक्ल ले चुका था। इसे गृहमंत्री अमित शाह ने 9 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया था। 2016 में नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 (सीएए) पेश किया गया था। इसमें 1955 के कानून में कुछ बदलाव किया जाना था। ये बदलाव थे, भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देना। 12 अगस्त 2016 को इसे संयुक्त संसदीय कमेटी के पास भेजा गया। कमेटी ने 7 जनवरी 2019 को रिपोर्ट सौंपी थी।

लोकसभा में आने से पहले ही ये बिल विवाद में था, लेकिन जब ये कानून बन गया तो उसके बाद इसका विरोध और तेज हो गया। दिल्ली के कई इलाकों में प्रदर्शन हुए। 23 फरवरी 2020 की रात जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर भीड़ के इकट्ठा होने के बाद भड़की हिंसा, दंगों में तब्दील हो गई। दिल्ली के करीब 15 इलाकों में दंगे भड़के। कई लोगों की हत्या हुई, कई लोगों को चाकू-तलवार जैसे धारदार हथियारों से हमला कर मार दिया गया। इन दंगों में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों घायल हुए थे। इस कानून का टीएमसी सहित देश के विपक्षी दलों ने तीखा विरोध किया था। ममता बनर्जी सरकार ने तो इसे पूरी तरह से असंवैधानिक करार दिया था। सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून की चर्चाओं को लेकर राजनीतिक पंडितों का कहना है कि सरकार ने इसे लेकर भले ही तारीख का ऐलान नहीं किया है, लेकिन आगामी आम चुनाव में भाजपा इसे बड़ा मुद्दा बनाएगी।

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