चीन जापान को पछाड़कर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। अब चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाअमेरिका से मुकाबला करने की कोशिश में लगा है। व्यापार, उद्योग, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, खेल, अनुसंधान, विज्ञान, परिवहन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में चीन अमेरिका को परेशान करके दुनिया को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। रक्षा क्षेत्र में भी वह पीछे नहीं है। चीन पिछले दो दशकों से अपनी रक्षा क्षमताओं को तेजी से बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
इस बीच अमेरिकी रक्षा विभाग ने चीन की सैन्य तैयारी, खासकर उसकी परमाणु क्षमताओं पर एक रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक चीन के पास 1,000 परमाणु हथियार होंगे। पहले अनुमान लगाया गया था कि चीन के पास करीब 350 परमाणु हथियार होंगे। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में चीन की सैन्य क्षमताओं में वृद्धि हुई है और 2030 तक चीन के पास एक हजार परमाणु बम बनाने की क्षमता होगी।
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चीन के पास लंबी दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें और पनडुब्बी से लंबी दूरी की मिसाइलें हैं। चीन लंबी दूरी के बमवर्षक भी बना रहा है। इतना ही नहीं चीन हर साल अपनी सेना, लड़ाकू जेट, युद्धपोत और पनडुब्बियों में उल्लेखनीय वृद्धि कर रहा है। नतीजतन चीन अधिक परमाणु हथियार ले जाने और समय पर हमले शुरू करने की क्षमता विकसित कर रहा है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि चीन ने प्लूटोनियम के उत्पादन पर अधिक ध्यान देना शुरू कर दिया है, जो परमाणु हथियारों के लिए आवश्यक है। चीन इसके लिए जरूरी ‘फास्ट ब्रीडर रिएक्टर’ टाइप रिएक्टर में भारी निवेश कर रहा है।
पिछले कई सालों से चीन ताइवान देश पर अपना दावा करता रहा है। चीन ने पड़ोसी देश भारत समेत लगभग सभी देशों की सीमाओं को लेकर विवाद खड़ा कर दिया है। पिछले कुछ महीनों में ताइवान क्षेत्र में चीनी वायु सेना और नौसेना के बीच आवाजाही काफी बढ़ गई है। अमेरिका शुरू से ही ताइवान के पीछे मजबूती से खड़ा रहा है। इससे पिछले कुछ महीनों में अमेरिका और चीन के बीच तनावपूर्ण संबंध रहे हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग ने चीन की बढ़ती सैन्य ताकत पर एक रिपोर्ट तैयार की है, जो बताती है कि चीन की परमाणु क्षमता बढ़ रही है।