पांच दिन पूर्व प्रवासी मजदूरों को घर पहुँचाने के लिए यूपी से शुरू हुआ 1000 बस चलाने का विवाद अभी तक थमा नहीं है। यह बस तो नहीं चल पाई लेकिन इस प्रकरण पर राजनीति खूब चल रही है। कहे तो भाजपा और कांग्रेस दोनों इस मुद्दे पर राजनीति को सरपट दौड़ा रहे हैं। बसों की यह राजनीति अब यूपी से राजस्थान तक जा पहुंची है।
पहले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने 1000 बस चलाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिया था। जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया था । लेकिन बाद में मजदूरों को घर पहुंचाने की यह कसरत राजनीति का अखाड़ा बन गई। बाद में जो बसों की सूची कांग्रेस की तरफ से योगी सरकार को उपलब्ध कराई गई उसमें बसों की जगह बहुत से नंबर स्कूटर, मोटरसाइकिल और एंबुलेंस के नंबर निकले थे। इसके बाद राजस्थान-यूपी बॉर्डर पर खड़ी बसें वापस हो गई थी।
लेकिन अब यह विवाद उत्तर प्रदेश के बाद राजस्थान तक जा पहुंचा है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 36 लाख 36 हजार का बिल भेजा है। यह बिल पूर्व में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा कोटा से यूपी लाए गए बच्चों के लिए 70 बसें राजस्थान सरकार द्वारा उपलब्ध कराने की एवज में मांगा गया है।
भाजपा राजस्थान सरकार की इस बिल भुगतान की मांग के बाद अब हमलावर हो गई है। भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक ट्वीट करके इस मामले को और विवादास्पद बना दिया है। संबित पात्रा ने कहा है कि कोटा से उत्तर प्रदेश के स्टूडेंट्स को वापस लाते समय उत्तर प्रदेश के कुछ बसों को डीजल की आवश्यकता पड़ गई … दया छोड़िए ….आधी रात को दफ्तर खुलवा कर प्रियंका वाड्रा की राजस्थान सरकार ने यूपी सरकार से पहले 19 लाख रुपए लिए और उसके बाद बसों को रवाना होने दिया। अंत में संबित पात्रा ने ट्वीट पर दोगली कांग्रेस लिखा है।
कोटा से उत्तर प्रदेश के students को वापिस लाते समय UP के कुछ बसों को डीज़ल की आवश्यकता पड़ गयी ..दया छोड़िए ..आधि रात को दफ़्तर खुलवा कर प्रियंका वाड्रा की राजस्थान सरकार ने UP सरकार से पहले 19 लाख रुपए लिए और उसके बाद बसों को रवाना होने दिया
वाह रे मदद।#दोगली_कांग्रेस pic.twitter.com/QQexV1BlVq— Sambit Patra (@sambitswaraj) May 21, 2020
गौरतलब है कि राजस्थान के कोटा में मेडिकल-इंजिनियरिंग की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे यूपी के 12 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं लॉकडाउन में फंस गए थे। योगी सरकार ने इन बच्चों को सरकारी संसाधन पर घर पहुंचाने का फैसला किया था। करीब 10 हजार छात्र-छात्राओं का पंजीकरण हुआ था। इसके हिसाब से 560 बसें हमने भेजी थीं। 17 अप्रैल से 19 अप्रैल तक यह प्रक्रिया चली। वहां पहुंचने पर करीब 2 हजार छात्र-छात्राएं और बढ़ गए। ऐसे में उनके हित को देखते हुए राजस्थान सरकार से बसों के लिए मदद मांगी गई थी। राजस्थान रोडवेज की ओर से आपातकालीन सेवा के नाम पर 70 बसें उपलब्ध करवाईं गईं। इसके कुछ बच्चों को फतेहपुर सीकरी तक और कुछ बच्चों को झांसी बॉर्डर तक लाया गया था।
राजस्थान गई यूपी रोडवेज की बसों व राजस्थान सरकार की ओर से दी गई 70 बसों के डीजल के लिए यूपी सरकार 19.76 लाख रुपये का भुगतान पहले ही कर चुकी है। अब 36.36 लाख रुपये बसों के किराए का बिल राजस्थान रोडवेज की ओर से यूपी रोडवेज को भेजा गया है। भुगतान शीघ्र कराने की अपेक्षा की गई है।
.. उस डीज़ल के पैसे की आप बात कर रहे है ।झूठ ओर फ़रेब की राजनीति आप बंद करो ओर शर्म करो । #पहले_मानवता_फिर_राजनीति pic.twitter.com/kyB3cKWQvi
— Pratap Khachariyawas (@PSKhachariyawas) May 21, 2020
दूसरी तरफ राजस्थान सरकार के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का कहना है कि यूपी सरकार ने हमसें इमर्जेंसी में बसें मांगी थी और उसका भुगतान करने को कहा था। हमने तत्काल अनुबंधित और निजी बसें उपलब्ध करवाईं थीं। हमें उनका भुगतान करना है, इसलिए हमने यूपी सरकार को बिल भेजा है।