सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए केंद्र सरकार की नई ‘अग्निपथ’ योजना को लेकर हो रहे विरोध – प्रदर्शनों की आंच लगभग पूरे देश में पहुंच गई है। बिहार से हरियाणा तक कई जगहों पर वाहनों को आग लगा दी गई तो कहीं सार्वजनिक संपत्ति के साथ तोड़-फोड़ हुई। यह विरोध एक आंदोलन का रूप लेता जा रहा है ऐसे में कहा जा रहा है कि साल के अंत में गुजरात , हिमाचल प्रदेश और अगले साल होने वाले 9 अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में देश की सत्ताधारी भाजपा पार्टी द्वारा लाई गई अग्निपथ योजना की अग्नि से विपक्ष की उम्मीदों का चिराग जलने लगा है।
दरअसल अग्निपथ योजना को लेकर पूरे देश में भारी बवाल मचा हुआ है। देश का युवा इसके विरोध में प्रदर्शन कसर रहे हैं। प्रदर्शन के दौरान बिहार में ट्रेन में आग लगा दी गई, बसों के शीशे तोड़ दिए गए और भाजपा विधायक पर भी पत्थरबाजी हुई। वहीं हरियाणा के गुरुग्राम, रेवाड़ी और पलवल में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। उत्तर प्रदेश के बुलंदशह और बलिया में युवा विरोध करने सड़क पर उतर आए।
ऐसी स्थिति में कहा जा रहा है कि विपक्षी पार्टियों को भी सरकार को घेरने का अच्छा मौका मिल गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी से कहा कि उन्हें बेरोजगार युवकों की आवाज सुननी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को युवाओं की अग्निपरीक्षा नहीं लेनी चाहिए। वहीं समाजवादी पार्टी के अखिलेश य़ादव ने कहा कि यह कदम देश के भविष्य के लिए खतरनाक है।
विपक्ष की मांग
इस विरोध प्रदर्शन के बीच सरकार के सूत्रों का कहना है कि सेना के रेजिमेंटल सिस्टम में कोई परिवर्तन नहीं किया जा रहा है और पहले साल में इस योजना के तहत जितनी भर्तियां होंगी वह कुल सैनिकों की केवल तीन फीसदी होगी। एक तरफ सरकार इस योजना के फायदे गिना रही है तो दूसरी तरफ विपक्ष इसे वापस लेने की मांग कर रही है।
राहुल गांधी ने एक ट्वीट में कहा, न कोई रैंक, न कोई पेंशन, न 2 साल से कोई सीधे भर्ती , न 4 साल के बाद स्थिर भविष्य , न सरकार का सेना के प्रति सम्मान। देश के बेरोज़गार युवाओं की आवाज़ सुनिए, इन्हे ‘अग्निपथ’ पर चला कर इनके संयम की ‘अग्निपरीक्षा’ मत लीजिए, प्रधानमंत्री जी।
प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा कि जो लोग सेना में भर्ती होने की तैयारी कर रहे हैं उनकी आँखों में कई सपने हैं। सेना में भर्ती की नई योजना उन्हें क्या देगी? चार साल के बाद रोजगार की गारंटी नहीं, पेंशन की सुविधा नहीं, नो रैंक, नो पेंशन। नरेंद्र मोदी जी आप इस तरह युवाओं के सपने नहीं कुचल सकते।
भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी अग्निपथ योजना पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसे युवाओं में असंतोष पैदा होगा। उन्होंने कहा है कि सरकार को पूरा रुख साफ करना चाहिए। वहीं वाम दलों ने मांग की है कि इस योजना को वापस लेना चाहिए और इस पर संसद में चर्चा होनी चाहिए। उनका कहना है कि देश के हित के मामले में कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।
सीपीआईएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर सेना में भर्ती करके एक प्रोफेशनल सशस्त्र बल नहीं तैयार किया जा सकता। यह स्कीम केवल पेंशन बचाने के लिए लाई गई है जिससे हमारी फौज की क्वालिटी से भी समझौता करना होगा। वहीं सीपीआई के महासचिव डी राजा ने कहा, नौकरी पाना सच में अग्निपथ जैसा हो गया है। इस योजना से देश के युवाओं का भविष्य खऱाब हो जाएगा। इसे तत्काल वापस लेना चाहिए। युवाओं को पूर्णकालिक रोजगार मिलना चाहिए।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार से अपील की है कि युवाओं को पूरी जिंदगी सेना में काम करने का मौका देना चाहिए, न कि केवल चार साल। बीएसपी चीफ मायावती ने भी इस योजना को गलत बताते हुए कहा कि यह युवाओं के साथ नाइंसाफी है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है।
क्या है ‘अग्निपथ’ योजना
केंद्र की अग्निपथ योजना के तहत इस साल 46 हजार युवाओं को सशस्त्र बलों में शामिल किया जाना है। योजना के मुताबिक युवाओं की भर्ती चार साल के लिए होगी और उन्हें ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा। अग्निवीरों की उम्र 17 से 23 वर्ष के बीच होगी और 30-40 हजार प्रतिमाह वेतन मिलेगा। योजना के मुताबिक भर्ती हुए 25 फीसदी युवाओं को सेना में आगे मौका मिलेगा और बाकी 75 फीसदी को नौकरी छोड़नी पड़ेगी।
युवा क्यों कर रहे विरोध
देश के कई राज्यों में युवा इस योजना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। बिहार में सबसे अधिक विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला है। दरअसल सेना में शामिल होने की तैयारियां कर रहे युवाओं का कहना है कि वे सालों तक खूब मेहनत कर सेना में भर्ती होने की तैयारी करते हैं। ऐसे में चार साल की नौकरी उन्हें मंजूर नहीं है। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने सरकार से इस योजना को तुरंत वापस लेने की अपील की है।
योजना पर सरकार का पक्ष
अग्निपथ योजना को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बहुत सकारात्मक पहल बतायाहै। उन्होंने कहा कि इससे युवाओं को सेना में भर्ती होने का मौका मिलेगा। जिससे देश की सुरक्षा मजबूत होगी और इसे नौजवानों को मिलिट्री सर्विस का मौका देने के लिए लाया गया है। इससे देश में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इसके अलावा सेना रहते हुए मिले अनुभव से विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी भी मिल सकेगी।
अग्निपथ योजना पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ
केंद्र की इस नई योजना पर रक्षा क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। कुछ ने इसे सकारात्मक बताया है जबकि इसके विरोध में भी राय दी गई है। रिटायर्ड मेजर जनरल शेओनान सिंह ने कहा कि सेना में किसी को चार साल के लिए शामिल करना पर्याप्त समय नहीं है। चार साल में छह महीने तो ट्रेनिंग में निकल जाएंगे। इन्फैंट्री में काम करने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग की भी जरुरत पड़ेगी।
क्या हैं योजना के उद्देश्य
1 – सशस्त्र बलों की युवा छवि को बढ़ाना ताकि वे जोखिम लेने की बेहतर क्षमता के साथ हर समय अपने सर्वश्रेष्ठ युद्ध कौशल से लैस हों।
2 –देश के तकनीकी संस्थानों का लाभ उठाते हुए उन्नत तकनीकी सीमाओं से लैस उभरती हुई आधुनिक तकनीकों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने, उन्हें अपनाने और उनका उपयोग करने हेतु समाज से युवा प्रतिभाओं को आकर्षित करना।
3 -थोड़े समय के लिए वर्दी में राष्ट्र की सेवा करने के इच्छुक युवाओं को अवसर प्रदान करना।
4 – युवाओं में सशस्त्र बलों के जोश, साहस, सौहार्द, प्रतिबद्धता और समूह की भावना को आत्मसात करना।
5 – युवाओं को अनुशासन, जोश, प्रेरणा और कार्य-कुशलता जैसी योग्यताओं एवं गुणों से लैस करना ताकि वे हमारे लिए एक संपदा साबित हों।
सेवा से मुक्ति पर प्रोत्साहन
यह प्रोत्साहन हर देश में अलग-अलग होते हैं लेकिन आम तौर पर निम्नलिखित क्षेत्रों में होते हैं।
1 – उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए छूट/प्रोत्साहन।
2 – सेवा से मुक्त होने पर वित्तीय पैकेज।
3 – प्रदान की गई सेवा के प्रकार और अवधि के लिए शिक्षा योग्यता में क्रेडिट।
4 – स्थायी संवर्ग में भर्ती में प्राथमिकता।
5 – सेवा से मुक्त होने पर नौकरी संबंधी कुछ आश्वासन।
6 – अग्निपथ योजना का उद्देश्य विकसित देशों में अपनाए गए मॉडल और वहां प्रदान किए जाने वाले प्रोत्साहनों का पालन करना है।
अग्निवीर को दिया जाने वाला वित्तीय पैकेज
1 – प्रथम वर्ष का पैकेज लगभग 4.76 लाख रुपये
2 – चौथे वर्ष में लगभग 6.92 लाख रुपये तक उन्नयन भत्ते
3 – जोखिम एवं कठिनाई, राशन, पोशाक, यात्रा भत्ते जैसा लागू हो सेवानिधि
4 – मासिक वेतन का 30% व्यक्ति विशेष द्वारा अंशदान किया जाएगा
5 – सरकार द्वारा समान राशि का मिलान एवं अंशदान
6 – 10.04 लाख रुपये के कोष के अलावा अर्जित ब्याज, जिसपर चार साल बाद आयकर से छूट मृत्यु की स्थिति में मुआवजा
7 – 48 लाख रुपये का गैर-अंशदायी जीवन बीमा कवर
8 – सेवा के दौरान मौत पर 44 लाख रुपये की अतिरिक्त अनुग्रह राशि
9 – ‘सेवानिधि’ घटक सहित चार वर्षों की अवधि तक में सेवा न किए गए काल के लिए भी वेतन
10 – दिव्यांग होने की स्थिति में मुआवजा
11 – चिकित्सा प्राधिकारियों द्वारा निर्धारित दिव्यांगता के प्रतिशत के आधार पर मुआवजा
12 – 100 फीसदी / 75 फीसदी / 50 फीसदी दिव्यांगता के लिए क्रमशः 44 / 25 / 15 लाख रुपए की एकमुश्त राशि।