पिछले कई वर्षों से सर्दियों का मौसम आते ही देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में प्रदूषण एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है जो चिंता का विषय है। हालत यह है कि राष्ट्रीय राजधानी में हवा की गुणवत्तादिन प्रतिदिन जहरीली होती जा रही है।
जिसका पूरा दोष पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में जलाई जा रही पराली को बताया जा रहा है। जिस पर मानवाधिकार आयोग का कहना है कि पराली जलाना किसानों की मजबूरी है। इसका मूल कारण राज्य सरकारों की विफलता है। अगर सरकार अपना कार्य सही ढंग से करेगी तो पराली जलाने के मामलों में गिरावट देखने को मिलेगी ।
राज्य सरकारों की विफलता
आयोग का कहना है कि ‘‘राज्य सरकारों को पराली से मुक्ति पाने के लिए किसानों को कटाई मशीन प्रदान करनी थी, लेकिन वे पर्याप्त संख्या में मशीन उपलब्ध नहीं करा पाईं और अन्य उपाय भी नहीं कर सकीं। जिसके कारण किसान पराली जलाने के लिए मजबूर हैं जिससे प्रदूषण फैल रहा है। इसलिए कोई भी राज्य किसानों को पराली जलाने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकता, बल्कि इन राज्यों के सरकारों की विफलता के कारण दिल्ली, पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश में पराली जलाई जा रही है।
वहीं भारतीय किसान यूनियन के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलां का भी यही कहना है कि , “हमने कभी किसी किसान को पराली जलाने के लिए नहीं कहा और जब भी अधिकारी उन्हें परेशान करते हैं तो हम किसान समुदाय का समर्थन करते हैं। हम उन किसानों के लिए स्टैंड लेते हैं जिनके पास कोई विकल्प नहीं है। जब भी कोई किसान पराली जलाता है, तो वह सबसे पहले धुंआ लेता है।किसान केवल कुछ दिनों के लिए पराली जलाते हैं और सरकारें हंगामा करती हैं। उद्योगपति साल भर पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जाती?”
18 नवंबर को होगी मानव अधिकार आयोगकी अगली बैठक
आयोग ने इस मुद्दे पर अगली सुनवाई की तारीख 18 नवंबर रखी है। जिसमें हरियाणा ,पंजाब , दिल्ली और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव डिजिटल रूप से शामिल होंगे। आयोग ने सभी राज्य सरकारों को 4 दिन के अंदर जवाब या हलफनामा दाखिल करने को कहा है जिस पर सुनवाई के दौरान चर्चा की जाएगी।
प्रदूषण बढ़ने के अन्य कारण
पराली जलाने के अलावा प्रदूषण के अन्य कारण भी हैं। जिन पर सरकार को प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है। दरअसल ,हर साल प्रदूषण का स्तर दिवाली के त्यौहार के बाद एकदम से बढ़ जाता है इसलिए सबसे बड़ा कारण दिवाली में होने वाली आतिशबाजी को माना जाता है। लेकिन पटाखों पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद भी सरकार द्वारा इसे रोका नहीं जा सका है। गौरतलब है कि आज विश्व में चीन के बाद पटाखों का सबसे बड़ा उत्पाद करने वाला देश भारत ही है। हर साल दिवाली से पहले पटखों के उत्पादन और बिक्री पर लगाए गए कानूनों पर विशेष ध्यान दिया जाने लागता है जिसपर कई सवाल खड़े होते आए हैं। जिसमें यह भी कहा जाता है कि सरकार को पटाखों पर प्रतिबन्ध लगाने के बजाय पराली जलाने पर प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए। क्योंकि वही वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है।
एक दूसरा बड़ा कारण गाड़ियों से निकलने वाला धुआं भी है, आज विश्व भर का बहुत बड़ा हिस्सा डीज़ल से चलने वाले वाहनों का प्रयोग करता है जिनसे प्रदूषण बढ़ता है। जो शहर की हवा जहरीली बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । इन वाहनों के धुएं से कार्बनडाई ऑक्साइड, सल्फरडाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी जानलेवा गैस निकलती है। साथ ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक कण लैरोसेल कि मात्रा भी बढ़ जाती है, जिससे हृदय सम्बन्धी समस्याएं उत्त्पन होती हैं। इसके साथ ही निर्माण व विस्फोटक कार्यों और फैकट्रियों आदि से निकलने वाला धुवां भी प्रदूषण का कारन बनता है।
यह भी पढ़ें : हवा में जहर का कहर