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डिजिटल मीडिया पर नियंत्रण को लेकर अभिव्यक्ति की आजादी के लिए खतरा मान रहे बुद्विजीवी

 देश में चलने वाले ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल और ऑनलाइन कंटेंट प्रोग्राम अब सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत आएंगे। इसकी अधिसूचना केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई है। केंद्र सरकार ने ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टलों, ऑनलाइन कंटेंट प्रोवाइडरों को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत लाने से जुड़ा आदेश जारी किया है । इसके तहत सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत ऑनलाइन फिल्मों के साथ ऑडियो-विज़ुअल कार्यक्रम, ऑनलाइन समाचार और करंट अफेयर्स के कंटेंट आएंगे। बता दें कि केंद्र सरकार ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में एक मामले में वकालत की थी कि ऑनलाइन माध्यमों का नियमन टीवी से ज्यादा जरूरी है।

सरकार ने यह ऑनलाइन माध्यमों से न्यूज़ या कंटेट देने वाले माध्यमों को मंत्रालयों के तहत लाने का कदम,सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को रेगुलेट करने की जरूरत पर जोर दिया था। इस पर केंद्र सरकार ने अदालत में कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए मानक तय करने हैं तो पहले डिजिटल मीडिया के लिए नियम कानून बनाए जाने चाहिए।

इसके पीछे सरकार ने तर्क देते हुए कहा कि इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के लिए पहले से गाइडलाइन मौजूद हैं, वहीं डिजिटल मीडिया की पहुंच बहुत अधिक होती है, उसका असर भी ज्यादा होता है।

सरकार के इस फैसले से कुछ  लेखकों और निर्देशकों के एक तबके ने  कहा कि ओटीटी (ओवर द टॉप) प्लेटफॉर्म को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाए जाने के निर्णय से वैश्विक स्तर पर भारतीय कंटेंट क्रिएटरों को नुकसान हो सकता है। यहां तक कि दर्शकों की रचनात्मक एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है। नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम और डिज्नी + हॉटस्टार जैसे ओटीटी मंचों तथा ऑनलाइन समाचार एवं समसामयिक मामलों से जुड़ी सामग्री को मंत्रालय के दायरे में लाए जाने के फैसले पर निराशा व्यक्त करने वालों में हंसल मेहता और रीमा कागती जैसे फिल्मकार शामिल हैं।

इसके अलावा एम एक्स प्लेयर के मुख्य कार्याधिकारी करण बेदी ने कहा कि वह स्व-नियमन की दिशा में प्रयासों को क्रियान्वित करने के लिए मंत्रालय के साथ काम करने को लेकर आशान्वित हैं। बेदी ने  कहा, ‘‘जिम्मेदार कंटेंट क्रिएटर की तरह हम चाहते हैं कि यह कदम न सिर्फ प्रसारित की जा रही सामग्री की प्रकृति का संज्ञान ले, बल्कि यह भी सुनिश्चित करे कि हम इस तेजी से बढ़ते क्षेत्र में रचनात्मकता की रक्षा कर सकें।’’ कई अन्य बड़े ओटीटी मंचों ने संपर्क करने पर इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करने से इनकार किया। संबंधित कदम सूचना और प्रसारण मंत्रालय को ऑनलाइन मंचों पर समाचार, दृश्य-श्रव्य सामग्री और फिल्मों से संबंधित नीतियों के नियमन की शक्तियां प्रदान करता है।

कैबिनेट सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया कि सरकार ने ऑनलाइन मंचों पर उपलब्ध समाचार, ‘करंट अफेयर्स सामग्री को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में लाने का फैसला लिया है।  इसका मतलब  अब अमेजन और नेटफ्लिक्स जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को भी सूचना और प्रसारण मंत्रालय ही रेगुलेट करेगा।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 77 के खंड तीन में निहित शक्तियों का उपयोग करते हुए भारत सरकार ने (कार्य आवंटन) नियमावली, 1961 को संशोधित करते हुए यह फैसला किया है।  अधिसूचना के साथ ही यह तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।

इसके साथ ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को ऑनलाइन मंचों पर उपलब्ध फिल्म, दृश्य-श्रव्य और समाचार व समसामयिक विषयों से संबंधित सामग्रियों की नीतियों के विनियमन का अधिकार मिल गया है।  अधिसूचना के मुताबिक, ”इन नियमों को भारत सरकार (कार्य आवंटन) 357वां संशोधन नियमावली, 2020 कहा जाएगा।  ये एक ही बार में लागू होंगे।

सरकार के इस कदम पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा जा रहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर नियंत्रण ठीक नहीं है। हालांकि सेंसरशिप के बारे में कुछ खास नहीं कहा गया है, सिवाय इसके कि यह सूचना और प्रसारण मंत्रालय के दायरे में आ गया है। यह देखने के लिए इंतजार करना चाहिए कि वास्तव में इसका क्या तात्पर्य है। निर्देशक एवं लेखक अंशुमन ने फैसले को ‘‘अस्वीकार्य’’ बताया और दर्शकों तथा क्रिएटरों से इसे चुनौती देने की अपील की है।

एक अधिकारी के मुताबिक बीते  10 नवंबर 2020 को जारी हुई  अधिसूचना इससे पहले वाली का स्थान लेगी और कोई नई शक्ति प्रदान नहीं की गई है। इससे पहले 20 जनवरी 2010 को अधिसूचना जारी की गई थी। इससे पहले अन्य अधिकारी को यह शक्ति प्रदान की गई थी और अब एनसीसीसी के निदेशक को शक्तियां दी गई हैं। आईटी अधिनियम के मुताबिक, प्राधिकृत अधिकारी एक समिति की सिफारिश के आधार पर वेबसाइट को ब्लॉक करने का आदेश दे सकता है।  एनसीसीसी के निदेशक वेबसाइट ब्लॉक करने को लेकर धारा 69 के प्रावधानों का उपयोग करेंगे और जरूरी आदेश जारी करेंगे। अधिसूचना के मुताबिक, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए के उपखंड (1) के अंतर्गत दी गई शक्तियों के साथ सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2009 के नियम 3 के तहत, सरकार ने एनसीसीसी के निदेशक को प्राधिकृत अधिकारी के रूप में नामित किया है।

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