दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके में संत रविदास के मंदिर को ध्वस्त किये जाने के मामले में जिस तरह से भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर उर्फ रावण के नेतृत्व में दलितों ने विराट प्रदर्शन किया, उन्हें बसपा की दलित राजनीति के लिए खतरा बताया जा रहा है।
हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह इतना आसान नहीं होगा। मायावती ने लंबे राजनीतिक करियर में दलितों के बीच जो पैठ बनाई है, उसे हिला पाना इतना आसान नहीं होगा। हालांकि चंद्रशेखर के राजनीतिक उभार ने बसपा प्रमुख को चिंतित जरूर कर दिया है।
बीते दिनों मे जिस तरह से भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर का राजनीतिक उभार हुआ है, वैसे ही उनकी महात्वाकांक्षा भी बढ़ गई है। इससे कतई इनकार नहीं किया जा सकता है।
मायावती को हमेशा बुआजी कहकर संबोधित करने वाले चंद्रशेखर अब खुलकर उनका विरोध कर रहे हैं। दिल्ली में दलितों के विराट प्रदर्शन की उन्होंने जिस तरह से अगुआई की है उससे संभावना जताई जा रही है कि भविष्य के चुनाव में वह मायावती के दलितों वोटबैंक में सेंधमारी कर सकते हैं।
हालांकि संसाधनों और संगठनात्मक पहुंच की कमी के चलते यह कर पाना इतना आसान नहीं होगा। बावजूद इसके मायावती उनकी बढ़ती महात्वाकांक्षा से आने वाले खतरे के प्रति सजग हैं।
फिलहाल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चंद्रशेखर की दलितो में बढती पैठ को देखकर मायावती के माथे पर चिंता की लकीरे स्पष्ट दिखाई देने लगी है। जिसे उनके आज किए गए ट्वीट से भी महसूस किया जा सकता है। आज जब वह पार्टी की अध्यक्ष चुनी गई तो उन्होने रविदास मंदिर प्रकरण पर बसपा को राजनीति से दूर बताया।