राजस्थान में 2009 में अशोक गहलोत की सरकार का कार्यकाल था। इस दौरान बसपा के सभी छह विधायकों ने कांग्रेस का दामन थामा था और तत्कालीन कांग्रेस सरकार को स्थिर बनाया था। उस समय सरकार स्पष्ट बहुमत से पांच कम थी। इस बार स्पष्ट स्थिति होने के बावजूद एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 10 साल पहला इतिहास दोहराते हुए बसपा के सभी विधायकों को कांग्रेस में शामिल करा कर अपने राजनितिक चातुर्य का परिचय दे दिया है। देर रात घटे इस घटनाक्रम की बसपा को कानोकान खबर तक नहीं लग सकी। सभी पांचो विधायकों को गहलोत सरकार में महत्वपूर्ण पदों से नवाजे जाने की चर्चा है। जिनमे दो से तीन विधायकों को सरकार में मंत्री भी बनाया जा सकता है।
फिलहाल बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय से प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार पहले से अधिक मजबूत और स्थिर हो गई है । बताया जा रहा है कि विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लगातार संपर्क में थे। प्रदेश की 200 सीटों वाली विधानसभा में अभी कांग्रेस के 100 विधायक हैं और उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल के पास एक विधायक है। सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी को 13 निर्दलीय विधायकों में से 12 का बाहर से समर्थन प्राप्त है जबकि दो सीटें खाली हैं।
सभी 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।यहां हमारे सामने बहुत सी परेशानियांथी । एक तरफ हम उनकी सरकार का समर्थन कर रहे हैं और दूसरी तरफ हम उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। जोगिंदर सिंह अवाना ऐसे में अपने क्षेत्र के विकास के बारे में सोचते हुए अपने लोगों का भला सोचने हुए हमने यह कदम उठाया है = जोगिंदर सिंह अवाना विधायक नदबई
फ़िलहाल कांग्रेस के 5 विधायकों के मिलने से कांग्रेस का आंकड़ा 105 पर पहुंच गया है। बसपा से कांग्रेस में गए राजेन्द्र गुढा (उदयपुरवाटी), जोगेंद्र सिंह अवाना (नदबई), वाजिब अली (नगर), लाखन सिंह मीणा (करोली), संदीप यादव (तिजारा) और दीपचंद खेरिया ने फ़िलहाल कांग्रेस की सदस्यता भी ले ली है । उन पर दलबदलू कानून के तहत भी कोई कार्यवाही होने का खतरा नहीं है। बहुजन समाज पार्टी के सभी छह विधायकों ने राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष को इसके संबंध में एक पत्र भी सौंप दिया है । विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी ने इसकी पुष्टि की है ।विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि सभी विधायकों का कांग्रेस में विलय पत्र मिल चुका है। अब इसमें किसी प्रकार की कानूनी अड़चन नहीं है।
याद रहे की पहले बसपा में रहते हुए सभी पांचो विधायकों का गहलोत सरकार को बाहर से समर्थन था। चौकाने वाली बात यह है कि उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट इस पूरे घटनाक्रम से दूर रहे। जबकि उनके एक विधायक जोगिंदर सिंह अवाना खास माने जाते है।नदबई से विधायक अवाना नोएडा के निवासी है और पायलट के कांग्रेस के पुराने साथी भी रहे है।
इस प्रकरण से बसपा को बड़ा झटका लगा है। राजस्थान से मायावती के हिस्से में फ़िलहाल तो मायूसी ही हाथ लग सकी है। बताते है कि बसपा के प्रदेशाध्यक्ष सीताराम मेघवाल और प्रदेश प्रभारी धर्मवीर अशोक को इस मामले की जानकारी बिलकुल भी नहीं लग सकी। इस मामले का गेम प्लानर नदबई के विधायक जोगिंदर अवाना को बताया जा रहा है। जोगिंदर सिंह अवाना पूर्व में उत्तर प्रदेश युवा कांग्रेस के पदाधिकारी रहे है।