हाईकोर्ट से आज राजस्थान सरकार को राहत मिली है। हाईकोर्ट ने भाजपा नेता के द्वारा दायर की गई बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय वाली याचिका को खारिज कर दिया है। एक तरह से देखा जाए तो इस सियासी ड्रामे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को याचिका खारिज होने के बाद संजीवनी मिल गई है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने की याचिका को 24 जुलाई को खारिज कर दिया गया था। इसके मद्देनजर ही हाईकोर्ट ने भाजपा नेता मदन दिलावर वाली याचिका को खारिज कर दिया है।
जबकि पहले कहा जा रहा था कि अगर कांग्रेस के बसपा से आए 6 विधायकों पर गाज गिरेगी तो गहलोत सरकार अल्पमत में आ जाएगी। फिलहाल गहलोत सरकार को 101 विधायकों का समर्थन हासिल है । जिसमें छह विधायक वह है जो बसपा से कांग्रेस में आए थे । यह विधायक गत वर्ष सितंबर माह में बसपा को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। याद रहे कि राजस्थान में बसपा के 6 ही विधायक थे।
गौरतलब है कि सितंबर 2019 में बसपा के छह विधायक लाखन सिंह, जोगेंद्र अवाना, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, राजेंद्र गुढ़ा और संदीप कुमार कांग्रेस में शामिल हो गए थे ।इसे लेकर भाजपा विधायक मदन दिलावर ने अपने वकील आशीष शर्मा के माध्यम से विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष मार्च, 2020 में बसपा विधायकों के विलय के खिलाफ याचिका दायर की थी । जिसे पूर्व में सीपी जोशी द्वारा खारिज कर दिया गया था।