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बीएसएनएल कर्मचारियों को वीआरएस लेने के लिए किया जा रहा मजबूर

बीएसएनएल के कर्मचारी यूनियनों ने आज 25 नवंबर को देशव्यापी भूख हड़ताल बुलायी है। कर्मचारी यूनियनों का आरोप है कि कंपनी प्रबंधन कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने के लिए मजबूर कर रहा है।

कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया है कि उन्हें डराकर जबरन सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है। कर्मचारी यूनियनों  ने इसके विरोध में आज पूरे देश के बीएसएनल कर्मचारियों से हड़ताल करने की अपील की  है। दरअसल  जिन यूनियन ने हड़ताल की है उनमे बीएसएनएल के 50 फीसदी से ज्यादा कर्मचारी जुड़े हैं। उनका आरोप है कि कंपनी प्रबंधन कर्मचारियों को धमकी दे रहा है कि वे रिटायरमेंट की उम्र घटाकर 58 साल स्वीकार कर लें और बहुत से कर्मचारियों को जबरन वीआरएस लेने को मजबूर किया जा रहा है। दरअसल यह सुविधा 60 साल की उम्र पूरी होने पर ही मिलती है, जिसमे अगले 15 साल में मिलने वाली पेंशन का एक-तिहाई हिस्सा एडवांस में मिल जाता है। इसके साथ -साथ , जो लोग वीआरएस ले रहे हैं, उन्हें तीसरे वेतन संशोधन का भी फायदा नहीं मिलेगा आल इंडिया यूनियन्स ऐंड एसोसिएशन्स ऑफ भारत संचार निगम लिमिटेड (AUAB) के संयोजक पी अभिमन्यु ने बताया है जो कर्मचारी वीआरएस नहीं लेना चाहते  हैं,  उनका ट्रांसफर काफी दूर किया जा रहा है। ताकि वो परेशान होकर (वीआरएस) ले । अभिमन्यु ने यह भी कहा, ‘हम वीआरएस योजना के खिलाफ नहीं है, जो कर्मचारी इसे अपने लिए अच्छा मानते हैं वह इसे ले लें। लेकिन यह योजना निचले स्तर के कर्मचारियों के लिए फायदेमंद नहीं है और उन्हें इसे स्वीकार करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। ‘उन्होंने कहा कि यदि इसे जबरदस्ती थोपा गया तो हम अपने न्याय के खिलाफ आवाज उठाएंगे।

बीएसएनएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पी. के. पुरवार के अनुसार 77,000 से अधिक कर्मचारियों ने वीआरएस का चुनाव किया है। कंपनी में कुल 1.6 लाख कर्मचारी हैं और यह घाटे में है। कंपनी का अनुमान है कि यदि 70 से 80 हजार कर्मचारी वीआरएस लेकर निकल जाते हैं तो कंपनी का वेतन खर्च सालाना करीब 7,000 करोड़ रुपए कम हो जाएगा।

 

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