रूस -यूक्रेन युद्ध के चलते अधिकतर देशों में आयी खाद्य संकट ,भुखमरी के कारण हाल ही देश में गेहूँ और आटे पर प्रतिबंध लगाया गया था। गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत सीमा शुल्क लगाने के बाद सरकार ने घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से टूटे चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। हलाकि सरकारी आदेश अनुसार कुछ निर्यातक देशों को 15 सितम्बर तक टूटे चावल निर्यात किये जाएंगे।
कृषि मंत्रालय के अनुसार दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक दक्षिण एशियाई देश में चावल के उत्पादन वाले क्षेत्रों में इस सीजन अब तक 12% गिरावट आयी है । ये फसल ऐसे समय में कम हो रही है जब बड़े पैमाने पर खाद्य मुद्रास्फीति दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचा रही है। सरकार के मुताबिक धान की फसल का उत्पादन बीते वर्षों की तुलना में बहुत कम हुआ है। इसी वर्ष समय से पहले पड़ी भीषण गर्मी के कारण कम उत्पादन की वजह से भारत सरकार द्वारा गेहूं निर्यात पर रोक लगा दी गई थी। और इसी वर्ष बारिश की कमी के कारण चावल निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया।सरकार के पास चावल का पर्याप्त बफर स्टॉक है, लेकिन फसल उत्पादन न होने की वजह से सरकार इस बार चावल की खरीद उचित मात्रा में नहीं कर सकेगी। जिससे सरकार के पास रखे चावल के स्टॉक पर बोझ पड़ेगा। भारत ने 2021-22 में 2.12 करोड़ टन चावल निर्यात किया था। कम उत्पादन के चलते सरकार चावल की खरीद सही मात्रा में नहीं कर पायेगी। चावल उत्पादन वाले एक राज्य बंगाल में 28 फीसदी बारिश की कमी हुई है। सरकार के पास चावल का स्टॉक है लेकिन कम उत्पादन की वजह से सरकार पर चावल की पूर्ति करवाने का बोझ बढ़ सकता है। इसे देखते हुए सरकार को टूटे हुए चावल पर भी प्रतिबंध लगाना पड़ा
निर्यात से दुसरे देशो पर पड़ेगा प्रभाव
इस प्रतिबंध का असर निश्चित ही दूसरे देशों पर पड़ेगा। संयुक्त राज्य खाद्य प्रशासन के मुताबिक भारत चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। रूस -यूक्रेन युद्ध की वजह से खाद्य सामग्री विश्व भर में जिस स्तर पर उपलब्ध होनी थी , उस स्तर पर उपलब्ध नही हो पा रही है। ऐसे में अब भारत ने भी चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे दुसरे देशों के साथ -साथ चीन पर भी बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
अक्सर ग्लोबल मार्केट में टूटे चावल की बिक्री बहुत कम होती है, हालांकि जब खाने की कमी हो तो टूटे चावल भी बिक जाते हैं। जो की इस बार हुआ है। इसलिए चीन ने भारी मात्रा में भारत से टूटे चावल खरीदे है । चीन में बाकी देशों के मुकाबले चावल का उत्पादन बड़े स्तर पर होता है। इस देश में कुल चावल का उत्पादन तकरीबन 14 करोड़ टन होता है। लेकिन उत्पादन से ज्यादा यहां चावल की खपत होती है। इस देश में सालाना 16 करोड़ टन की खपत होती है। मांग और उत्पादन के बीच के इस गैप को भरने के लिए चीन को बाकी का चावल दुसरे देशों से आयात करना पड़ता है। इस बार मौसमी मार की वजह से इस देश का उत्पादन स्तर भी गिर गया।
चीन में टुटे चावल खाने का प्रचलन
गौरतलब है कि जिन टूटे हुए चावल को कोई देश आयात नहीं करता। चीन में उसे खाने का ट्रेंड चल रहा है। चावल उत्पादन करने के मामले में चीन दूसरे नंबर है। चीन वासी चावल का उपयोग अधिक मात्रा में करते है। यहां चावल का उपयोग वाइन और नूडल्स बनाने के लिए भी किया जाता है। इसलिए वहां चावल की खपत ज्यादा होती है। इसी वजह से चीन भारत से चावल आयात करने वाले देशों के बीच एक प्रमुख खरीदार के रूप में सामने आया । चीन भारत से हमेशा चावल नहीं खरीदता था। लेकिन ग्लोबल मार्केट में चावल की उपलब्धता कम होने की वजह से इसे मजबूरन भारत से चावल खरीदना पड़ा। गौरतलब है कि अब विश्व स्तर पर खाद्य सामग्री की कमी आयी है। इसलिए भी सरकार ने घरेलू सप्लाई मे आई कुछ कमी को देखते हुए भी चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है। ऐसे में अंदेशा लगाया जा रहा है कि भारत दुनिया का 40 फीसदी चावल का एक्सपोर्ट करता है। चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगने से दुनियाभर में हड़कंप मच सकता है।