कोरोना महामारी केंद्र और राज्य सरकारों के नियंत्रण से बाहर हो चुकी है। अस्पतालों में लोगों को बेड नहीं मिल रहे हैं। जो मरीज भर्ती हैं उन्हें भी ऑक्सीजन और जीवन रक्षक दवाइयां मिलने की गारंटी नहीं है। ऑक्सीजन की कमी ने मरीजों और उनके परिजनों की सांसें अटका कर रख दी हैं। राज्यों के बीच ऑक्सीजन को लेकर झगड़े तक हो रहे हैं
कोरोना वायरस की दूसरी लहर से देश के हालात बेकाबू और खतरनाक होते जा रहे हैं। भारत में कोरोना हर दिन नए रूप बदल रहा है और ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। इस कारण अस्पतालों में कोरोना मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। कोरोना संक्रमण ने अब तक के सारे रिकाॅर्ड तोड़ दिए हैं। आंकड़ों की बात करें तो देश में पिछले एक हफ्ते से प्रति दिन दो लाख मामले सामने आए हैं, जबकि प्रतिदिन 15 सौ से लेकर दो हजार से ज्यादा लोगों की जानें भी जा रही हैं। यह दुनिया का सबसे बड़ा आंकड़ा है। एक ओर जहां मरीजों की संख्या बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर गंभीर चिंता इस बात की है कि अस्पताल ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, इंजेक्शन जैसी जरूरी चीजों के अभाव में किल्लत का सामना कर रहे हैं। मरीजों को बेड मिलने मुश्किल हो रहे हैं। हालत नियंत्रण से बाहर हो चुके हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति पर स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर यह पूछा है कि कोरोना से निपटने के लिए उसकी क्या योजना है।
भारत में दूसरी लहर अमेरिका से ज्यादा खतरनाक और मारक साबित हो रही है। दूसरी लहर के दौरान अमेरिका में ऐसी स्थिति सिर्फ एक बार आई जब एक दिन के भीतर 3 लाख मरीज मिले। अमेरिका में दूसरी लहर की शुरुआत अक्टूबर से हुई। यहां सात अक्टूबर को पहली बार चैबीस घंटों के भीतर 50 हजार से ज्यादा मरीज आए। इसके बाद मरीजों की बढ़ती हुई संख्या को एक लाख का आंकड़ा पार करने में लगभग एक महीना लगा। फिर 4 नवंबर को अमेरिका में पहली बार 1 लाख 9 हजार 36 नए मरीज मिले थे। भारत में रोजाना संक्रमित मिलने वाले मरीजों की संख्या 50 हजार से एक लाख तक पहुंचने में केवल 14 दिन लगे। 24 मार्च को एक दिन के भीतर 50 हजार केस आए थे और फिर 6 अप्रैल को देश में पहली बार यह आंकड़ा एक लाख के पार हो गया। अब हालत यह है कि हर दिन दो लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं।
दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी
देश में ऑक्सीजन की कमी किसी से छिपी नहीं है। भले ही सरकारी दावे कुछ भी हों, लेकिन जमीनी हकीकत अस्पतालों में मिल रही है जो ऑक्सीजन के लिए गुहार लगा रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का ही उदाहरण लें तो 20 अप्रैल को आखिरी समय पर ऑक्सीजन पहुंचने से जीटीबी अस्पताल में 500 मरीजों की जान बच पाई। डाॅक्टर ऑक्सीजन देख भावुक हो उठेे। यह स्थिति तब है जब लगभग छह माह पहले देश में ऑक्सीजन संकट का खुलासा हुआ था।
इस वक्त दिल्ली के राजीव गांधी अस्पताल और चन्नन देवी अस्पताल में आॅक्सीजन की कमी के चलते कई मरीजों की जान खतरे में है। यहां 900 मरीज भर्ती हैं। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि यहां रोजाना 5-6 टन ऑक्सीजन की जरूरत होती है।
ऑक्सीजन की किल्लत लगातार जारी है और कई अस्पतालों में स्टाॅक खत्म हो गया है। दिल्ली के नजफगढ़ स्थित राठी अस्पताल का ऑक्सीजन स्टाॅक खत्म हो गया था जिससे इमरजेंसी के हालात पैदा हो गए।
ऑक्सीजन की कमी से जूझ रही दिल्ली के लिए बड़ी राहत की खबर है। आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के आग्रह के बाद केंद्र सरकार ने दिल्ली का ऑक्सीजन कोटा बढ़ाकर 480 मीट्रिक टन कर दिया गया है। इससे पहले दिल्ली के लिए 378 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन का कोटा निर्धारित था जो अब बढ़कर 480 मीट्रिक टन हो गया है।
महाराष्ट्र सरकार को कोर्ट की फटकार
कड़ी पाबंदियों के साथ कफ्र्यू लगाए जाने के बावजूद महाराष्ट्र में कोरोना के नए मामले हर दिन नए रिकाॅर्ड तोड़ रहे हैं। स्थिति को देखते हुए राज्य में 22 अप्रैल से सख्त लाॅकडाउन जैसी पाबंदियां लगा दी गई हैं।
राज्य के अस्पतालों में मेडिकल सुविधाओं की कमी का आलम यह है कि हाईकोर्ट को सरकार को फटकार लगानी पड़ी। नागपुर के अस्पतालों में ऐंटी-वायरल ड्रग रेमडेसिविर पहुंचाने के अपने आदेश का पालन न करने को लेकर बाॅम्बे हाईकोर्ट ने एक बार फिर से महाराष्ट्र सरकार को लताड़ लगाई है। हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने सुनवाई के वक्त यह भी कहा कि वह इस ‘दुष्ट और बुरे’ समाज का हिस्सा होने पर शर्मिंदा है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि वह महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के मरीजों के लिए कुछ नहीं कर पा रहा है। जस्टिस एस बी शुकरे और एस एम मोदक की खंडपीठ ने कहा, ‘अगर आप को खुद पर शर्म नहीं आ रही है, तो हम इस बुरे समाज का हिस्सा होने पर शर्मिंदा हैं। ऐसे ही हम अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हट रहे हैं। आप हमारे मरीजों के प्रति लापरवाह हैं। हम आपको एक समाधान देते हैं लेकिन आप उसका पालन नहीं करते। आप हमें कोई समाधान देते नहीं है। यहां क्या बेहूदगी चल रही है।’ कोर्ट ने यह भी कहा, ‘इस जीवन रक्षक दवा का लोगों को न मिलना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है। यह अब साफ है कि ये प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों से पीछे भाग रहा है।’
हाईकोर्ट की पीठ अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव, लोगों को हो रही परेशानियों सहित कोरोना महामारी से जुड़ी कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रही थी।
कोर्ट ने यह भी कहा कि उसकी मंशा किसी के खिलाफ सख्त ऐक्शन लेने की नहीं बल्कि यह सुनिश्चित करने की है कि नागरिकों को परेशानी का सामना न करना पड़े।
महाराष्ट्र में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण हालात बेहद खराब हैं। अधिकांश शहरों जैसे मुंबई, नागपुर पुणे समेत अन्य में संक्रमण की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन भी कम पड़ रही है। साथ ही रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी हो रही हैं। इस कमी को देखते हुए बाॅम्बे हाईकोर्ट ने राज्य की उद्धव सरकार को आदेश दिया है कि वह नागपुर में 10 हजार रेमडेसिविर के इंजेक्शन की सप्लाई सुनिश्चित करे।
ऑक्सीजन की कमी से राज्यों में टकराव
अस्पताल में ऑक्सीजन की भारी कमी के कारण दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के बीच टकराव की स्थिति बन गई है। दिल्ली ने उत्तर प्रदेश से ऑक्सीजन की आपू्र्ति न होने की बात कही, तो उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने यह कहकर पलटवार किया कि दिल्ली ने प्रमुख ऑक्सीजन सप्लायर आइनाॅक्स से अपने कोटे से अधिक ऑक्सीजन ले ली है। सांसों के लिए जरूरी ऑक्सीजन की इस लड़ाई में हरियाणा भी कूद गया, जब दिल्ली पर ऑक्सीजन लूटने का आरोप लगाते हुए उसने आक्सीजन टैंकरों को पुलिस सुरक्षा देने का आदेश दिया।
हरियाणा सरकार ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने फरीदाबाद में उसके टैंकर से ऑक्सीजन निकाल ली। इस पर दिल्ली सरकार का कहना है कि हम एक सप्ताह से दिल्ली का ऑक्सीजन सप्लाई कोटा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। जिसे लूटना बताया जा रहा है, वह दिल्ली कोटे की आॅक्सीजन है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस मसले पर कहा कि फरीदाबाद के प्लांट से दिल्ली के अस्पताल के लिए आ रहे आक्सीजन के ट्रक को हरियाणा के एक अधिकारी ने रोक लिया। काफी प्रयास के बाद किसी तरह ऑक्सीजन पहुंच सकी। मोदीनगर में भी अधिकारियों द्वारा दिल्ली आने वाले ऑक्सीजन ट्रक को रोक दिया गया। दिल्ली कोटे की ऑक्सीजन को भी नहीं आने नहीं दिया जा रहा है। यह जंगलराज है, जिसे रोकने के लिए केंद्र को बेहद संवेदनशील और सक्रिय रहना होगा। दरअसल, हरियाणा के प्लांटों में 270 मीट्रिक टन ऑक्सीजन तैयार की जाती है। उसे हिमाचल के बद्दी और राजस्थान के भिवाड़ी प्लांट से भी ऑक्सीजन मिलती थी, जो अब दोनों राज्यों ने बंद कर दी है। 60 से 70 मीट्रिक टन से कई गुना खपत बढ़ने के बावजूद हरियाणा अपनी खुद की ऑक्सीजन पर निर्भर है। राज्य के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने आरोप लगाया कि उन पर दबाव डाला जा रहा है कि दिल्ली को ऑक्सीजन दें।
दूसरी तरफ, उत्तर प्रदेश के साथ भी दिल्ली का ऑक्सीजन विवाद गहराता जा रहा है। उत्तर प्रदेश के एक अधिकारी के अनुसार राज्य के अस्पतालों में ऑक्सीजन की भीषण कमी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस संबंध में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से भी बात की। प्रदेश के अधिकांश अस्पतालों में आइनाॅक्स ही ऑक्सीजन की सप्लाई कर रहा है। दिल्ली को अतिरिक्त ऑक्सीजन देने से उत्तर प्रदेश में दिक्कत पैदा हो जाएगी। दिल्ली ने इस संबंध में हाईकोर्ट में कहा था कि आइनाॅक्स उत्तर प्रदेश स्थित अपने प्लांटों से दिल्ली को ऑक्सीजन देने से यह कहकर मना कर रहा है कि इससे कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है।
देश में इस समय
ऑक्सीजन का पूरा उत्पादन इस्तेमाल किया जा रहा है। यह प्रतिदिन 7 हजार 500 मीट्रिक टन तक बढ़ाई गई है, जिसमें से 6 हजार 700 मीट्रिक टन का इस्तेमाल
चिकित्सीय क्षेत्र में हो रहा है।
राजेश भूषण, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव