इसी साल के अंत में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में राजनीतिक पार्टियों की सक्रियता और दलबदल का खेल शुरु हो गया है। प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा जहां हर कीमत पर सत्ता में बने रहने के लिए रात – दिन चुनावी तैयारियों में जुटी है वहीं विपक्षी पार्टी कांग्रेस भीतर कलह के चलते पार्टी में टूट जारी है। कहा जा रहा है कि यह टूट आगामी दिनों में और बढ़ सकती है। प्रदेश में कांग्रेस को जिस तरह एक के बाद एक झटके लग रहे हैं उससे प्रदेश कांग्रेस में हड़कम मचा हुआ है।
दरअसल ,आदिवासी नेता और तीन बार से लगातार विधायक रहे अश्विन कोतवाल ने कांग्रेस का हाथ छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है। अश्विन कोतवाल ने पार्टी छोड़ने के अपने फैसले पर कहा कि कांग्रेस में उनके साथ अन्याय हो रहा था। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा, ‘मैं कांग्रेस के कामकाज से खुश नहीं था। जो जनता के बीच लोकप्रिय हैं, उन्हें टिकट देने के बजाय, पार्टी नेतृत्व केवल उन लोगों का पक्ष लेता था जो उनके प्रति वफादार रहे। मुझे डर है कि पार्टी मुझे भविष्य में टिकट से वंचित कर सकती है और इस तरह के अन्याय से बचने के लिए, मैं अब भाजपा में शामिल हो रहा हूं।’
इससे पहले कोतवाल ने वर्ष 2007, 2012 और 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस के टिकट पर अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित साबरकांठा जिले की खेड़ब्रह्मा सीट जीती थी।
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राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य में आदिवासी मतदाता किसी भी पार्टी की सरकार बनने में अहम रोल निभा सकते हैं। राज्य में करीब 15 फीसदी आदिवासी मतदाता हैं और इनके लिए 26 सीटें रिजर्व हैं। ऐसे में आदिवासी नेता और तीन बार विधायक रहे अश्विन कोतवाल के भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस को भारी नुकसान हो सकता है। हालांकि आदिवासी मतदाताओं पर कभी भी किसी पार्टी का एकतरफा दबदबा नहीं रहा है।लेकिन इनका राज्य की 182 में से 35-40 सीटों पर असर हमेशा देखने को मिलता है ।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हो सकता है नुकसान
अश्विन खेड़ब्रह्म से आदिवासी विधायक है इनका अपनी विधानसभा में अच्छा दमखम है। इनके पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। अश्विन के पार्टी छोड़ने के कारण को लेकर यह कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस द्वारा सुखराम राठवा को विपक्ष का नेता बनाए जाने से नाराज होकर उन्होंने पार्टी को अलविदा कहा है। इनके अलावा इस समय कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल के भी पार्टी से अलग होने की आशंका है। हार्दिक ने कई दिनों से पार्टी के विरोध में मोर्चा खोला हुआ है । अगर हार्दिक कांग्रेस छोड़ते हैं और कांग्रेस में अंदरूनी कलह जारी रहती है तो आम आदमी पार्टी गुजरात मे कांग्रेस की जगह लेकर लोगों के मन मे अपनी धाक जमा लेगी ।
पीएम मोदी का बड़ा प्रशंसक
कोतवाल ने कहा, ‘मेरा दृढ़ विश्वास है कि गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में विकास हुआ है। उन्होंने मुझे 2007 में भाजपा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। कहा था कि उन्हें मेरे जैसे समर्पित लोगों की जरूरत है जो आदिवासियों के उत्थान के लिए काम करें। हालांकि मैं 2007 में भाजपा में शामिल नहीं हुआ, लेकिन मैं तब से नरेंद्र मोदी का बहुत बड़ा प्रशंसक बन गया हूं।’
गौरतलब है कि इसी साल दिसंबर में गुजरात विधानसभा चुनाव होने हैं। कोतवाल के इस्तीफे के बाद, 182 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस के सदस्य घटकर 63 हो गए, जबकि भाजपा के पास 111 सदस्यों के साथ बहुमत है।