देश के गृहमंत्री अमित शाह ने 2017 में कहा था कि वह भाजपा को पंचायत चुनाव से लेकर संसद तक लेकर जाएंगे। उसी रणनीति पर पैर पसार रही भाजपा ने हाल ही में ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। यहां पहले भाजपा की 2 सीटे थी, अब उनके पास 48 सीट है। भाजपा इस चुनाव में अपना दबदबा इसलिए भी कायम करना चाहती थी, ताकि उसे 2022 के विधानसभा चुनाव में अच्छी सीटें मिल सकें। अब भाजपा अपने पैर असम में भी बढ़ा रही है। असम में 2021 में विधानसभा के चुनाव होने वाले है। जिसे लेकर भाजपा अभी से तैयारियों में जुटी हुई है। विधानसभा चुनाव से पहले असम में बोडोलैंड टैरिटोरियल एरिया के लिए चुनाव होने है। बीटीसी की 40 सीटों के लिए 7 और 10 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे। प्रदेश के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल और स्वास्थ्य मंत्री हिमत बिस्वा लगातार बीटीसी एरिया में चुनावी रैलियां कर रहे है।
कांग्रेस भी अपने नए गठबंधन सहयोगी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट को साथ लेकर चुनाव लड़ रही है। बोडोलैंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने के लिए लंबे समय तक छात्र आंदोलन करने वाले ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद बोडो की पार्टी यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है। पश्चिम असम के चार ज़िलो को शामिल कर 10 फरवरी 2003 में संविधान की छठी अनुसूची के तहत बीटीसी का गठन किया गया था।
बीटीसी के गठन के बाद से ही यहां बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट का शासन रहा है। लेकिन इस बार बीटीसी चुनाव में मुख्य टक्कर बीजेपी और बीपीएफ़ के बीच बताई जा रही है। बीजेपी नेताओं ने चुनावी रैलियों में विपक्षी पार्टियों से ज़्यादा अपने सहयोगी दल बीपीएफ़ के ख़िलाफ़ जमकर हमला बोला और कई गंभीर आरोप लगाए हैं। बीटीसी चुनाव को विधानसभा चुनाव से पहले का मैच माना जा रहा है। क्योंकि इसके अतर्गतक विधानसभा की 12 सीटें आती है। भाजपा चाहती है कि वह चुनाव जीतकर इन 12 सीटों को अपने पक्ष में कर लेगी। ताकि आने वाले विधानसभा के लिए एक अच्छा सदेंश जनता तक पहुंच सकें। बीजेपी असम में क्षेत्रिय पार्टियों का वर्चस्व खत्म कर देना चाहती है। 2015 के बीटीसी चुनावों में बीपीएफ़ 20 सीटें जीतकर सत्ता में आई थी जबकि बीजेपी को केवल एक सीट ही मिली थी। हालांकि उस दौरान राज्य में कांग्रेस की सरकार थी।