एक ओर एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो) के तहत यह आंकड़ा आता है कि अभी भी देश में प्रतिदिन 87 रेप हो रहे हैं तो दूसरी तरफ 1 मार्च 2021 को सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एक रेपिस्ट से यह सवाल पूछते हैं कि, ‘क्या तुम पीड़िता से शादी करोगे?’
जस्टिस बोबडे ने यह प्रश्न , मोहित सुभाष आरोपी बनाम महाराष्ट्र सरकार केस में पूछा था।
यह दोनों ही स्थितियां शर्मशार करने वाली हैं। मुख्य न्यायाधीश से यह पूछा जाना चाहिए कि क्या शादी, रेप का लाइसेंस है? यह कैसा न्याय है।पीड़िता ने न्याय के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है ,न कि और मानसिक पीड़ा को झेलने के लिए।
हालांकि जस्टिस बोबडे के इस बयान के बाद से ही देश भर के कई सामाजिक संगठनों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया देकर नाराजगी व्यक्त की है। विशेषकर महिला कार्यकर्ताओं ने एक सुर में कहा है कि,’मुख्य न्यायाधीश का यह बयान ,यह शब्द कोर्ट की गरिमा को नीचे गिराने वाला है।’
इतना ही नहीं करीब 4 हज़ार से अधिक महिला एक्टिविस्ट और अन्य लोगों ने जस्टिस के नाम ओपन लेटर भी लिखा है।
जस्टिस के नाम ये ओपन लेटर लिखने वालों में महिला अधिकारों की बात करने वाले तमाम नाम शामिल हैं। एनी राजा, मरियम धवले, कविता कृष्णन, मीरा संघमित्रा आदि।तमाम ग्रुप और एक्टिविस्ट भी इस मुहिम में शामिल हैं।
NCRB के तहत देश महिला असुरक्षा के बेहद गम्भीर दौर से गुजर रहा है। आपको बता दें कि एनसीआरबी केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत कार्य करता है।एजेंसी को देशभर से अपराध डेटा एकत्र करने और उसका विश्लेषण करने का काम सौंपा जाता है।
एजेंसी ने 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों और 53 महानगरों के आंकड़ों का एनालिसिस करने के बाद तीन खंड की रिपोर्ट तैयार की है।