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बारिश की नमी में तेजी से फैलता है ब्लैक फंगस: AIIMS

जैसे-जैसे कोरोना का कहर कम होता जा रहा है वैसे ही लोगों में ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ता जा रहा है। इसके साथ ही वाइट फंगस और फिर यैलो फंगस आने की बात भी कही जा रही है। ब्लैक फंगस में अब तक पूरे देश में साढे 900 मामले दर्ज किए जा चुके हैं ।

इस।बीमारी से देश में अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है। इस मामले में एम एम्स हॉस्पिटल के डायरेक्टर एवं डॉ रणदीप गुलेरिया ने ब्लैक फंगस से सचेत रहने के लिए लोगों को कुछ टिप्स दिए हैं । जिसमें उन्होंने कहा है कि ब्लैक फंगस से बचने के लिए उन चीजों से दूर रहे जो आद्रता यानी नमी को ज्यादा सोखती है। क्योंकि आने वाले दिनों में बारिश का मौसम रहेगा ।इस दौरान ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा बढ़ेगा।

एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया के अनुसार फंगस हवा में रहती है। यही आपको फफूंदी की शक्ल में ब्रेड पर और पेड़ के तनों पर काले रूप में दिखती है। ये फंगस आपकी नाक से होते हुए बलगम में मिलकर आपकी नाक की चमड़ी में चली जाती है। इसके बाद ये बीमारी बहुत तेजी से फैलती हुई सब कुछ खराब करते हुए दिमाग तक चली जाती है। इसमें मृत्यु दर 50 प्रतिशत है।

कोरोना से रिकवर हुए लोगों को नमी से बचने की ज्यादा जरूरत है। चिकित्सकों के अनुसार मास्क के प्रयोग से लेकर ऑक्सीजन सिलेंडर के प्रयोग तक में इस समय सावधानी बरतने की जरूरत है।

गौरतलब है कि म्यूकोरमाइकोसिस एक तरह का काफी दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है जो शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। इसे ब्लैक फंगस भी कहा जाता है। म्यूकोरमाइकोसिस इंफेक्शन दिमाग, फेफड़े या फिर स्किन पर भी हो सकता है। इस बीमारी में कई के आंखों की रौशनी चली जाती है वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है। अगर समय रहते इसे कंट्रोल न किया गया तो इससे मरीज की मौत भी हो सकती है। यह मुख्य रूप से उन लोगों को प्रभावित करता है जो स्वास्थ्य समस्याओं के लिए दवा पर हैं जो पर्यावरणीय रोगजनकों से लड़ने की उनकी क्षमता को कम करता है।

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