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जाली करेंसी का फैलता काला कारोबार

  • प्रियंका यादव, प्रशिक्षु

दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने बीते वर्ष के सितंबर माह में कहा था कि जाली नोट का प्रचलन अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर रूप से हानिकारक है। अर्थव्यवस्था पर गहरा विनाशकारी प्रभाव डालता है। नकली नोट वास्तविक नोट से हू-ब-हू मेल खाते हैं और अब यह एक संगठित बिजनेस बन गया है

 

देश में नकली नोटों के कारोबार का इतिहास काफी पुराना है। इस पर लगाम लगाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने पांच साल पहले नोटबंदी की थी बावजूद इसके देशभर में नकली मुद्रा का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। इसके कई मामले उत्तर पूर्वी राज्यों में भी देखे जा सकते हैं। पिछले महीने 26 मार्च को आइजोल मिजोरम पुलिस और बीएसएफ की मादक पदार्थ टीम (क्राइम ब्रांच) द्वारा आइजोल मे 11.35 लाख भारतीय जाली मुद्रा को जब्त किया गया। उपमहानिरीक्षक लालहुलियान फनाई के अनुसार मामले की जांच की जा रही है कि इन नोटों की तस्करी कहां से हुई है।

इस दौरान एनआईए (जांच एजेंसी) को भारत में जाली मुद्रा प्रचलन में बांग्लादेश के साथ देखने को मिले हैं। एनआईए ने एक अंतरराष्ट्रीय नकली भारतीय मुद्रा नोट (एफआईसीएन) रैकेट के संबंध में पश्चिम बंगाल के निवासी इनामुल हक के खिलाफ आरोप पत्र दायर भी किया है। बांग्लादेश की सीमा से लगे पश्चिम बंगाल, मालदा के रहने वाला हक खरीद और तस्करी के लिए सीमा पार इसके प्रसार में शामिल था। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के अनुसार इनामुल हक ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर 10 लाख 20 हजार रुपये की नकली नोटों की खरीद की साजिश रची थी।

बीते वर्ष असम के डिब्रूगढ़ जिले के चबुआ से पुलिस ने 2 लाख 60 हजार से अधिक के नकली नोट जब्त किए गए और एक महिला सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। वर्ष 2018 से पूर्व बीते वर्षों में सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक असम में 90 लाख 74 हजार 610 रुपयों के नकली भारतीय नोट जब्त किए गए थे। गृह मंत्रालय के अनुसार इन सभी नकली नोटों को सीमा पार से असम में लाया गया। असम में ही नहीं कुछ अन्य पूर्वोत्तर राज्यों अरुणाचल प्रदेश से 6000, मणिपुर से 78800, मिजोरम से 1 लाख 63 हजार 200, त्रिपुरा से 3500 रुपयों के नकली नोटों को सुरक्षा एजेंसियों ने जब्त किया था।

राज्यसभा में पेश किया गया नकली मुद्राओं का डेटा
पांच सौ रुपए के नकली नोट पिछले पांच वर्षों में एक सौ सत्तानबे गुना से अधिक प्रचलन में है। 2020 में 8.34,947 नकली नोट जब्त किए गए थे। 2019 में यह आकड़ा 2,87,404 था। 2016-2017 मे 500 रुपये के नकली नोट 199 थे। 2020-2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 39.453 हो गया है। इसके साथ ही 2000 रुपए के नकली नोटों की संख्या भी 2020-2021 में 638 से बढ़कर 8,798 हो गई है। 50 रुपए की नकली नोटों की संख्या भी 9,222 से बढ़कर 24,802 हो गई है। हालांकि 10,20,100 रुपये के नकली नोटों को कम किया गया है। 2020-21 में जब्त नकली नोटों में वृद्धि हुई थी। बजट सत्र 2022 के पहले चरण के दौरान, सरकार ने राज्यसभा को सूचित किया था कि 2020 में सरकार द्वारा 8,30,000 से अधिक नकली नोट जब्त किए गए। 2019 में यह आंकड़ा 2,87,404 था। सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद यह आंकड़ा दो बार 3,00,000 को पार कर गया है। जाली मुद्रा का यह डेटा राज्य सभा बजट सत्र के दौरान पेश किया गया।

नकली नोटों से निपटने के लिए राज्य और केंद्र की एजेंसियां
भारत में नकली नोटों से निपटने के लिए राज्य और केंद्र की सुरक्षा एजेंसियों के बीच खुफिया सूचनाओं को साझा करने के लिए गृह मंत्रालय ने एक समन्वय समूह का गठन किया है। इसका कार्य वित्त मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक, केंद्र और राज्यों की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के साथ सहयोग करना है। गृह मंत्रालय के अनुसार आतंकवाद के वित्त पोषण और नकली मुद्रा के मामले की जांच के लिए एनआईए ने टेरर फंडिंग एंड फेक करेंसी सेल (टीएफएफसी) का भी गठन किया है, जिसका उद्देश्य टेरर फंडिंग और नकली करेंसी के मामलों की जांच करना है।

नकली मुद्राओं में आतंकी संगठनों का हाथ
नकली नोटों की तस्करी को रोकने के लिए भारत और बांग्लादेश के बीच एक समझौता (एमओयू) भी हुआ था, इसके बावजूद भारत और बांग्लादेश सीमा पर नशीले पदार्थों, हथियारों और मवेशियों के साथ-साथ नकली नोटों की भी तस्करी होती आ रही है। असम में उग्रवाद विरोधी अभियानों में लगे सुरक्षा बलों के आंकड़े के अनुसार उल्फा, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम और बोडो उग्रवादी संगठनों सहित तीन अलग-अलग आतंकवादी संगठनों के कैडरों से बीते वर्षों के दौरान 30,36,971 रुपये की राशि जब्त की गई। प्रतिबंधित संगठनों से 5000 रुपये की नकली भारतीय मुद्रा भी जब्त किए गए थे।

पाकिस्तान में छापे जा रहे हैं जाली नोट
पाकिस्तान नकली नोटों की छपाई कर भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता रहा है। वर्ष 2019 में लोकसभा में बीजेपी सांसद पंकज चौधरी और बिहार जेडीयू सांसद महाबली सिंह द्वारा सवाल उठाया गया था कि क्या सरकार को पड़ोसी देशों में 2000 के नकली नोटों की छपाई की जानकारी है? अगर है तो सरकार इसके बारे में क्या कदम उठा रही है? 23 जुलाई लोकसभा में इसी सवाल का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी ने बताया था कि नेपाल-भारत में नकली करेंसी से जुड़े दो मामले सामने आए हैं जिसमें नकली भारतीय नोटों के पाकिस्तान से भारत भेजे जाने का खुलासा हुआ है। उस जांच में यह भी पता चला कि भारत-नेपाल और भारत- बांग्लादेश सीमा पार से तस्करी के माध्यम से भारतीय नकली करेंसी भारत में लाई गई।

नकली मुद्रा के कारण एवं प्रभाव
दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने बीते सितंबर माह में कहा था कि जाली नोट का प्रचलन अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर रूप से हानिकारक है। जो अर्थव्यवस्था पर गहरा विनाशकारी प्रभाव डालता है। नकली नोट वास्तविक नोट से हू-ब-हू मेल खाते हैं और अब यह एक संगठित बिजनेस बन गया है। साथ ही अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन्हीं सब कारणों एवं जाली मुद्रा काले धन के रोग के लिए 8 नवंबर, 2016 को केंद्र सरकार द्वारा नोट बंदी की गई थी जिसका उद्देश्य था नकली करेंसी और नकली नोटों की समस्या से छुटकारा दिलाना था। लेकिन अब दो हजार के नकली नोट सामने आने चलते केंद्र सरकार का यह प्रयास विफल होता नजर आ रहा है।

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