किसी ने सोचा भी नहीं था कि हरियाणा जैसे समृद्ध राज्य में एक दिन युवाओं की शादी कराने के लाले पड़ जाएंगे। अतीत में कन्या भ्रूण हत्याओं की गलती का खामियाजा आज सूबे के हजारों युवा भुगत रहे हैं। लड़कियों की कमी होना ही उन्हें बाहरी राज्यों से मोल की बहुएं लाने को मजबूर कर रहा है। पहले तो लाखों रुपए खर्च कर इन्हें घर लाया जाता है। इसके बाद लाल जोड़े में सजी-धजी ये बहुएं अपनी काली करतूत पर उतर जाती हैं। पहले ये ससुराल पक्ष के लोगों का दिल जीतती हैं, उन्हें अपने हाथ की बनी चाय पिलाती हैं और बेहोश हो जाने के बाद पैसा-जेवर लूटकर फरार हो जाती हैं। ‘दि प्रिंट’ द्वारा हरियाणा के कई गांवों में किए गए एक सर्वे के दौरान लाल जोड़े की ऐसी खूबसूरत दुल्हनों की काली करतूत सामने आई है
हरियाणा में दशकों से ‘मोल की दुल्हन’ प्रचलन में है। ऐसी शादियों के साइड इफेक्ट्स सामने आ रहे हैं। ये दुल्हनें शादी के कुछ समय बाद ही दूल्हे और घरवालों को धोखा दे और पैसे लेकर भाग रही हैं। यह समस्या हरियाणा और उसके आस-पास मौजूद जिलों और शहरों में ज्यादा देखने को मिल रही हैं। इन घटनाओं से पीड़ित व्यक्ति आर्थिक नुकसान उठा रहे हैं, बल्कि वह अवसाद का भी शिकार हो रहे हैं। ऐसी दुल्हन बेचने और खरीदने के लिए बहुत से गैंग बने हुए हैं। यह गैंग इन दुल्हनों के शादी करने, पैसे और जेवरात लेकर भगाने के लिए प्रसिद्ध हैं।
हरियाणा में विषम लिंगानुपात के चलते इसके दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। यह प्रथा हर बार एक नया रूप धारण कर रही है। दलाल अपने संपर्क में मौजूद ‘मोल की बहू’ बनी महिलाओं को इस काम में शामिल करते हैं। ऐसी महिलाएं बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और केरल के गरीब परिवारों से होती हैं, इनके क्षेत्रों में मौजूद गरीब परिवार की लड़कियों को ढूंढने का काम इनको ही दिया जाता है। दलाल और इसमें शामिल लोग उनके परिवार से इन्हें कम पैसों में खरीदकर अधिक कीमत में हरियाणा और इसके आस-पास के क्षेत्रों में बेच रहे हैं।
अलग-अलग शहरों से आईं ये महिलाएं हरियाणा और उसके आस पास के क्षेत्रों में शादी कर लेती हैं लेकिन इन शादियों के कारण एक गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। जिसके परिणाम स्वरूप लोगों में भय का माहौल बना हुआ है। ये महिलाएं शादी करके लड़कों के घर ‘लुटेरी दुल्हन’ बनकर जाती हैं। कुछ समय बाद ही ये महिलाएं लड़के वालों को नशीला पदार्थ सुंघाकर या जहर देकर बेहोश कर घर का सारा सोना और पैसा लेकर भाग जाती हैं। अधिकतर हरियाणा में इस तरह की वारदातें कई बार सामने आ चुकी हैं। लड़कों की शादी करना पहले ही विषम लिंगानुपात के कारण मुश्किल हो गया था लेकिन अब बाहर से आई ऐसी दुल्हनों से शादी करने से भी लोग घबरा रहे हैं।
एक समय था जब यह मोल की दुल्हनें अपना परिवार छोड़ इन गांवों में एक दासी की तरह अपना पूरा जीवन व्यतीत कर जाती थीं लेकिन समय के बदलाव के साथ ये महिलाएं ‘मोल की दुल्हन’ से ‘लुटेरी दुल्हन’ बन जाती हैं। ऐसी दुल्हनें उन हरियाणवी पुरुषों को निशाना बना रही हैं जो शादी करने को बेताब हैं। वे विवाह समारोहों के तामझाम से गुजरती हैं, बाकायदा शर्मीली दुल्हन का किरदार निभाती हैं। यही नहीं बल्कि कर्तव्य पूर्ण बहू बन जाती हैं और अपने पति की बात मानती हैं। लेकिन लोगों को लूटने का पता तब चलता है जब कुछ समय बाद ही ये बहुएं अपने पतियों के घर में मौजूद सारा पैसा और जेवरात लेकर भाग जाती हैं। ‘लुटेरी दुल्हन’ के कुछ गिरोह बने हुए हैं, जबकि कुछ महिलाएं इस तरह की वारदातों को अकेले ही अंजाम देती हैं। इनमें से अधिकांश महिलाओं की उम्र केवल 19 से 21 वर्ष के बीच ही होती हैं और कुछ की उम्र 25 वर्ष के आस-पास।
2011 की जनगणना रिपोर्ट के आंकड़ों से यह सच सामने आया है कि हरियाणा में लिंगानुपात 1000 पुरुषों पर 879 महिलाओं का है, जो राष्ट्रीय औसत 940 से बहुत कम है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसी सरकारी पहलों का इस पर कुछ प्रभाव भी दिखाई देने लगे हैं शायद यही वजह है कि वर्ष 2022 में जन्म के समय लिंगानुपात के अनुसार, हरियाणा में प्रति 1,000 पुरुषों पर 917 महिला जन्मदर दर्ज किए गए हैं। लेकिन हरियाणा के सभी गांवों में यह प्रवृत्ति एक समान नहीं है। आज भी हरियाणा के 22 जिलों में से पांच, हिसार, रेवाड़ी, कुरुक्षेत्र, फरीदाबाद और करनाल में 2021 की तुलना में लिंगानुपात में लगातार गिरावट देखी जा रही है। इस साल जनवरी में आंकड़े जारी होने पर ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम का हिस्सा रहे एक अधिकारी इस पर चिंतित हैं। वे मानते हैं कि उक्त चार सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों में कुछ गड़बड़ चल रही है।
पीड़ितों की पुकार गत 9 फरवरी को हरियाणा के पिल्लूखेड़ा में रहने वाले वेद सिंह के बेटे की शादी कुछ दिन पहले ही एक ‘मोल की दुल्हन’ के साथ हुई थी। शादी के शुरुआती एक हफ्ते तक सब सही चलता रहा। उनके घर में आई दुल्हन से वह बेहद खुश थे। वह रोजाना घर का काम करती और घरवालों की देखभाल कर लोगों का दिल जीत गई थी। शादी के एक हफ्ते बाद वह रोजाना की तरह रात की चाय बनाकर लाई और घरवालों को पीने के लिए दी। चाय पीते ही घर के सभी सदस्य बेहोश हो गए लेकिन दूल्हे की छोटी बहन जो पड़ोसी के यहां किसी काम से गई हुई थी उसने चाय नहीं पी थी। घरवालों के बेहोश होने के बाद उसने घर के तमाम आभूषण और पैसे एकत्रित किए जैसे ही वह वहां से निकल रही थी तो दूल्हे की बहन अपने घर वापस आई और उसे घर से निकलने से पहले ही रंगे हाथ पकड़ लिया। हाथों में पैसे और जेवरात देख लड़के की बहन चिल्लाने लगी जिसे सुन पड़ोसी आ गए और उसे दबोच लिया। वेद सिंह (दूल्हे के पिता) कहते हैं कि ‘इस बात से मैं राहत महसूस करता हूं कि मैं और मेरा परिवार एक ‘लुटेरी दुल्हन’ से बच गए।’

दुल्हन बनी गिरोह की सदस्य
गीता असल में उत्तर प्रदेश की मीना हैं। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि जिस महिला ने खुद को मीना की मां बताया, वह उसकी सास थी। वह एक दलाल की बीवी थी। वह न केवल शादीशुदा थी, बल्कि उसके तीन बच्चे भी थे। वह लुटेरी दुल्हनों के गिरोह की प्रमुख सदस्य थी। इस गिरोह को मीना ने अपने पति और अपनी सास की सहायता से शुरू किया था। सुरेश के लिए, यह उसकी दूसरी शादी थी और गीता उन्हें एक संस्कारी दुल्हन के रूप में सही लगी जो उनके घर की सफाई करेगी, चाय बनाएगी, खाना बनाएगी और बच्चों को जन्म देगी। 3 फरवरी को अपने घर में एक छोटे-से समारोह में सुरेश ने गीता से शादी की और सभी के साथ खुशियां बांटी। सुरेश की पहली शादी तब हुई थी जब वह 20 साल का था, लेकिन यह शादी ज्यादा दिन नहीं चल सकी। 12 साल के लंबे कोर्ट केस के एक कड़वे अलगाव के बाद, 32 वर्षीय सुरेश फिर से अकेला रह गया। शादी करना इनके घर और आने वाली पीढ़ी के लिए अनिवार्य था। सुरेश को जब अपने इलाके में दुल्हन नहीं मिली, तो दूसरे राज्यों से दुल्हन लाने वाले ग्रामीणों की सलाह पर एक दलाल से संपर्क किया। इसके बाद ‘गीता’ ने उनके जीवन में प्रवेश लिया।
हिसार जिले के मयार गांव के तीन परिवार के साथ ऐसी ही एक घटना घट चुकी है। 60 साल की कमला बताती हैं कि ‘मैंने अपने बेटे ललित के लिए मार्च 2022 में पंजाब के भठिंडा से 20 साल की बहू प्रीति को 30,000 रुपए में खरीदा था। एक हफ्ते के भीतर, नई दुल्हन ने कहा कि वह अपनी मां से मिलने जाना चाहती है। मुझे शक हो गया। मैंने उससे कहा कि अभी कुछ ही दिन हुए हैं। कम से कम एक महीना तो रहो। पहले एक-दूसरे को जानो और फिर अपने घर जाकर थोड़ा समय बिता आना, लेकिन उसने मुझसे इस पर लड़ना शुरू कर दिया। जैसे-तैसे एक हफ्ता गुजरा और जब कमला और ललित खेतों में काम कर रहे थे तो प्रीति मौका देख संदूक से 1.5 लाख रुपए नकद लेकर भाग गई। इसके बाद मैंने दलाल से संपर्क किया, लेकिन उसने पैसे वापस करने या बहू के कार्यों के लिए कोई जिम्मेदारी लेने से साफ इनकार कर दिया।’ सुरेश की तरह ललित भी भुक्तभोगियों की सूची में शामिल हो गया। वह इस मामले में चर्चा नहीं करना चाहता है। ड्रॉइंग रूम में चारपाई पर लेटे-लेटे वह अपनी मां की बातें चुपचाप सुनता रहा। ललित ने अपनी मां के कान में कहा मैं इसके बारे में बात नहीं करूंगा। ललित की मां ने बताया, ‘मेरा बेटा डिप्रेशन में आ गया है, वह एक दुल्हन खरीदने के लिए राजी नहीं था, लेकिन मैंने उसे यह कहकर मना लिया कि यह परिवार के लिए सही फैसला रहेगा। इसके बाद तुम्हारा जीवन अधिक सुखी हो जाएगा उन्होंने यह भी बताया कि इस हादसे के बाद ललित को पैरालाइसिस हो गया था और उसका चेहरा टेढ़ा हो गया था। यह घटना न केवल ललित की है बल्कि उनके दो पड़ोसियों के साथ भी ऐसा ही हुआ है।
हाल ही में हिसार से सरपंच पद के लिए चुनाव लड़े संतोष कहते हैं, महिला की बिक्री के बाद, अगर दुल्हन परिवार को लूटती है तो बिचौलिए या दलाल किसी भी तरह की जिम्मेदारी नहीं लेते हैं। मयार गांव में ‘उसकी बहू भाग गई’ यह एक डरावना सच बन गया है। उनके गांवों में पिछले एक साल के भीतर 30 परिवार लुटेरी दुल्हनों के शिकार हो चुके हैं। यह गांव की सभाओं में गंभीर चर्चा का विषय बन गया है। लेकिन इस मामले की शायद ही कोई पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करता है और अगर रिपोर्ट दर्ज कर भी लें तो इन घटनाओं की कोई जांच नहीं की जाती है। 65 वर्षीय बनासपति ने अपने 35 वर्षीय बेटे विजय की चार साल के अंतराल में दो बार शादी कराई। लेकिन बदकिस्मती से दोनों ही मामलों में दुल्हनें लूट कर फरार हो गईं। फिर भी, परिवार ने कभी पुलिस से संपर्क नहीं किया। शिकायत दर्ज करने से हमें क्या मिलेगा? समाज में शर्मिंदगी? लोग कहेंगे कि एक जाट की बहू भाग गई है।

ऐसे मामलों में हिसार के सदर पुलिस स्टेशन के एसएचओ, मनदीप चहल कहते हैं कि ‘यह केवल शर्म की बात नहीं है, बल्कि यह तथ्य भी है कि दुल्हनों को खरीदा गया था। जिसे मानव तस्करी कहा जाता है। पुलिस गिरोहों और ऐसे गैंग के बारे में जानती है, जो हरियाणा में मानव तस्करी के ठेकेदार हैं, लेकिन हमें इन मामलों के प्रति कोई शिकायत नहीं मिलती है। पीड़ित होने के बावजूद भी लोग थाने में इसकी शिकायत दर्ज नहीं कराते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गांव के लोगों को कथित रूप से बदनामी से डर लगता है। उनका कहना है कि यदि वह इस मामले की शिकायत करेंगे तो उनकी समाज में इज्जत खराब होगी। लोग उन्हें भगोड़ी बहुओं के पति के परिवार के नाम से बुलाएंगे। मानव तस्करी कर रहे यह लोग ऐसे लोगों को अपना निशाना बनाते हैं जिनकी उम्र समाज के हिसाब से शादी के ऊपर हो चली हो और वह शादी के लिए बेताब हों या वह बेरोजगार हों।
राजनेताओं द्वारा की जाती है पहल
हरियाणा में दुल्हनें और उनकी कमी मामले में पॉलिटिकल एंट्री भी होती है जब राजनेताओं द्वारा इसे वोट से जोड़ा जाता है। राजनेताओं के लिए चुनाव प्रचार के दौरान अविवाहित, अधेड़ पुरुषों को दुल्हन दिलवाने के वायदे तक किए जाते हैं। 2014 में विधानसभा चुनाव से पहले, भाजपा हरियाणा के अध्यक्ष ओपी धनखड़ ने हरियाणा के पुरुषों के लिए बिहार से दुल्हनें उपलब्ध कराने का वायदा किया था। जींद के नरवाना में एक किसान महासम्मेलन को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा था कि ‘हरियाणा में भाजपा को मजबूत करने के लिए अकेले घूम रहे लड़कों के लिए दुल्हन का मिल जाना काफी है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी 2019 में धारा 370 के निरस्त होने के बाद यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि ‘हरियाणा के युवाओं के लिए कश्मीर से दुल्हनें लाई जाएंगी, कश्मीर सुन्दर दुल्हनों के रूप में एक अच्छा विकल्प है। हालांकि लोगों का कहना है कि जब दुल्हनें उन्हें लूटती हैं तो यही सरकार उनकी तलाश तक नहीं कराती।’
इस मामले में हरियाणा की सोच अलग ही है। खाप चाहती हैं कि सरकार दूसरे राज्यों से दुल्हन लाने की प्रक्रिया को सरल और कारगर बनाए। कंडेला खाप पंचायत प्रमुख टेकराम कंडेला हर उस दुल्हन का पुलिस सत्यापन चाहते हैं जो हरियाणा से नहीं है। हम जानते हैं कि हरियाणा में कम महिलाएं हैं। लेकिन उन्हें क्यों खरीदें? उन्हें अपने आप आना चाहिए। तब वह नहीं जाएंगी क्योंकि इसमें उनकी मर्जी शामिल होगी लेकिन खरीदी गई महिलाओं की मर्जी हम नहीं जान सकते। चौंकाने वाली बात यह है कि हरियाणा में इन दुल्हनों के द्वारा निराश और लूटे जाने के बावजूद भी इन परिवारों ने अपने बेटों के लिए पत्नियों की तलाश बंद नहीं करते हैं। राज्य में विशेष रूप से जाट समुदाय में, पुरुषों के लिए दुल्हन के रूप में सीमित विकल्प हैं।
मयार गांव की शांति, जिसकी गर्भवती बहू उसका सारा सोना लेकर भाग गई थी, वह अपने बेटे के लिए आज भी दूसरी पत्नी की तलाश कर रही हैं। शांति का दाहिना पैर लकवाग्रस्त है और उन्हें देखभाल की जरूरत है। उसके बेटे की पहली दुल्हन सोने, चांदी और नकदी के साथ चली गई, बस अपनी लाल और सफेद शादी की चूड़ियों को पीछे छोड़ गई। वह कहती हैं हमने उसे वह सब कुछ दिया जो उसने मांगा। फिर भी वह हमें छोड़कर चली गई। पहले हमें परोसे बिना वह रात का खाना नहीं खाती थी। मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि वह हमें धोखा कैसे दे गई।
मयार गांव के वेद सिंह को यह स्वीकार करने में गुरेज नहीं है कि ग्रामीण लड़के अपनी पसंद के लिए बड़ी कीमत चुका रहे हैं। इसे वह भ्रूण हत्या से जोड़ते हैं और कहते हैं कि यह कन्या भ्रूण हत्या की पुरानी पितृसत्तात्मक परंपरा का परिणाम है। ये वही लोग हैं जो कन्या भ्रूण हत्या के जिम्मेदार थे और आज ये चाहते हैं कि इनके पोते उनके साथ खेलें। वे चाहते हैं कि उनका बेटा सेटल हो जाए। और वह एक ऐसी बहू चाहता है जो बुढ़ापे में उनकी देखभाल करे। लेकिन प्रकृति अपना बदला ले रही है। वेद सिंह को इस बात की टिस है कि गांव के बेटे एक साथी ढूंढने की कोशिश में इधर-उधर भटक रहे हैं और लुट रहे हैं।
‘लोग लुटेरी दुल्हनों की शिकायत दर्ज नहीं कराते’
इस बढ़ती समस्या को लेकर हमने हरियाणा के हिसार जिले के आईपीएस अफसर श्रीकांत जादव से बात की जिन्होंने हमें एडीजीपी ऑफिस, सब इंस्पेक्टर, रमेश कुमार का नंबर दिया। इस मुद्दे पर ज्यादा न बात करने की नियत से उन्होंने बताया कि ‘‘हरियाणा में इस तरह के मुद्दे हमें खुद अखबारों में छपी खबरों से पता चलते हैं, क्योंकि लोग हमारे पास ‘लुटेरी दुल्हनों’ की शिकायत दर्ज नहीं कराते हैं।’’
शिकायत दर्ज न कराने के क्या कारण हैं?
हरियाणा समाज में आज भी इज्जत और समाज में शर्मिंदगी को बहुत महत्व दिया जाता है। उन्हें लगता है कि हम यह बात समाज में बताएंगे कि एक बहू उनका घर लूट ले गई तो इनकी समाज में बहुत रुसवाई होगी और लोग उन्हें सम्मान से नहीं देखेंगे। दूसरा कारण यह भी है कि इन बहुओं की शादियां क्योंकि चोरी-छुपे की जाती है इसलिए इनके लूटने की बात को भी छुपा लिया जाता है।
क्या कोई भी इनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज नहीं कराता?
इनके खिलाफ कुछ लोग केस तो दर्ज कराते हैं लेकिन वह लूट, चोरी, धोखा बेईमानी जैसे केस दर्ज कराएं जाते हैं। जिनमें सभी प्रकार की लूट और चोरी के मामलों का आंकड़ा हमारे पास मौजूद है। लेकिन केवल ‘लुटेरी दुल्हनों’ के आंकड़े मौजूद नहीं हैं। हमें यह बात पता है कि हरियाणा में यह मुद्दे बढ़ रहे हैं लेकिन केस दर्ज न होने की वजह से हम इसके लिए कोई कार्यवाही नहीं कर पाते हैं और यही कारण है कि हमारे पास इन मामलों के पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं।