नई दिल्ली। राजनीतिक विश्लेषक यह मानकर चल रहे हैं कि तमाम नाराजगियों के बावजूद महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना एक साथ रहकर लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। साथ रहने में ही दोनों को फायदा है, लेकिन विश्लेषकों के इन अनुमानों के विपरीत भाजपा और शिवसेना के संबंध निरंतर गहराते जा रहे हैं। हालत यह है कि दोनों ओर से एक -दूसरे को सबक सिखाने की बातें तक होने लगी हैं। ऐसे में यह भी संभावनाएं जताई जाने लगी हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियां अलग-अलग लड़ सकती हैं। शिवसेना के तीखे तेवरों को देखते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित महाराष्ट्र में पार्टी कार्यकर्ताओं को यहां तक सचेत कर चुके हैं कि उन्हें गठबंधन की संभावना के भ्रम से दूर रहना चाहिए। माना जा रहा है कि महाराष्ट्र के लातूर में भाजपा अध्यक्ष ने अपनी किसी सहयोगी पार्टी का नाम लिये बिना जो कहा वह एक तरह से शिवसेना को चेतावनी है। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ रहने में ही उनका फायदा है। यदि सहयोगी दल साथ रहते हैं तो आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा अपने सहयोगी दलों की जीत सुनिश्चित करेगी और यदि ऐसा नहीं होता है तो पार्टी अपने पूर्व सहयोगियों को करारी शिकस्त देगी।
दूसरी ओर शिवसेना ने भी अमित शाह को जवाब देने में देर नहीं की। पार्टी ने कहा कि वह किसी की भी चुनौती का सामना करने को तैयार है। शिवसेना ने भाजपा पर पलटवार करते हुए यहां तक आरोप लगा डाला कि क्या राज्य में 40 सीटें जीतने की योजना ईवीएम में छेड़छाड़ पर निर्भर रहेगी। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के एक सहयोगी ने कहा, “जो हम पर हमला कर रहे हैं, हम निश्चित तौर पर उन्हें हराएंगे।” इससे पहले, शाह और फडणवीस ने रविवार 6 जनवरी को कई जिलों के पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को गठबंधन की संभावना के भ्रम से दूर रहना चाहिए। यदि सहयोगी दल हमारे साथ आते हैं तो हम उनकी जीत सुनिश्चित करेंगे, अन्यथा हम उन्हें पटक देंगे। पार्टी कार्यकर्ताओं को हर बूथ पर तैयारी करना चाहिए।
भाजपा सेना के संबधों में कटुता, अलग-अलग लड़ सकते हैं चुनाव
