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दिल्ली में मिडिल और लोअर क्लॉस के बगैर BJP की राह मुश्किल

दिल्ली में मिडिल और लोअर क्लॉस के बगैर BJP की राह मुश्किल

दिल्ली विधानसभा चुनाव का एलान हो गया है। राज्य की सभी 70 सीटों के लिए 8 फरवरी को मतदान डाले जाएंगे और 11 फरवरी को मतगणना होगी। चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 14 से 21 जनवरी तक चलेगे।

साल 2015 में 7 फरवरी को मतदान और 10 को मतगणना हुई थी। नतीजों में आम आदमी पार्टी को 67 और भाजपा को तीन सीटें मिली थीं। दिल्ली में सबसे ज्यादा राज करने वाली कांग्रेस को खाता तक नहीं खुला था।

चुनाव आयोग के एलान के साथ ही आदर्श चुनाव आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। पहली फरवरी को आने वाले केंद्रीय बजट को लेकर 2017 के सर्कुलर में सब साफ है। जिस राज्य में चुनाव है, उसका जिक्र बजट भाषण में नहीं होगा। दिल्ली में चुनावों के एलान से पहले से ही राजनीतिक दलों ने जनता को लुभाना शुरू कर दिया है।

आम आदमी पार्टी ने हाल में कई बड़ी घोषणाएं की हैं। बताया जा रहा है कांग्रेस भी लोकलुभावन वादों के साथ ताल ठोकने को तैयार है। वहीं भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर मैदान में होगी।

दिल्ली में रहने वाली सबसे बड़ी आबादी मिडिल क्लॉस की है। आकड़े बताते हैं कि मिडिल क्लॉस में से 51 फीसदी ने पिछली बार आप को वोट किया था, जबकि 35 फीसदी ने बीजेपी को। महज 13 फीसदी मिडिल क्लॉस का वोट कांग्रेस को गया था।

इस बार बीजेपी और कांग्रेस के लिए लोअर और मिडिल क्लॉस को अपने पक्ष में लाने की बड़ी चुनौती है। खास तौर पर तब जब दिल्ली सरकार ने दिल्ली में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छा काम किया है। आम आदमी पार्टी से सबसे ज्यादा फायदा गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को हुआ है।

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