बिहार में सत्ता से बाहर होने के बाद बीजेपी में नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर हलचल बढ़ गई है। सियासी गलियारे में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के पटना स्थित प्रदेश कार्यालय में भी नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कई नामों की चर्चा हो रही है। सूत्र बताते हैं कि आने वाले 15 से 20 दिनों में केंद्रीय नेतृत्व द्वारा बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी जाएगी।
दरअसल, लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के साथ मिलकर बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार ने बीजेपी को लगभग अकेला कर दिया है। 17 साल तक भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से मुख्यमंत्री बने रहने वाले नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, लेफ्ट समेत 6 राजनीतिक दलों को साथ लेकर सरकार बनाई है। ऐसे में बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष के सामने महागठबंधन में शामिल 7 दलों के साथ चुनावी लड़ाई लड़ने की चुनौती होगी। इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व को एक ऐसे चेहरे की तलाश है, जो वर्तमान महागठबंधन की सरकार को चुनौती देने के साथ -साथ संगठन को भी मजबूत कर सके। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर कार्यरत अमित शाह ने 14 सितंबर 2019 में डॉ संजय जयसवाल को बिहार बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत किया था। इस लिहाज से 14 सितंबर 2022 को ही संजय जायसवाल का कार्यकाल खत्म हो चुका है। बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व अच्छी तरह जानती है कि इस बार उन्हें बिहार में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टी के वोट को एक साथ जोड़ा जाए तो वह बीजेपी के वोट प्रतिशत से कहीं आगे दिखती है।
ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व को ऐसे चेहरे की तलाश है, जो जातीय समीकरण को भी साध सके और महागठबंधन को उसी की भाषा में जवाब देते हुए संगठन के कार्य और कार्यकर्ताओं की उम्मीदों पर खरा उतर सके। बीजेपी ने 2024 से 2025 की तैयारी के मद्देनजर ही बिहार विधानसभा में भूमिहार जाति से आने वाले विजय कुमार सिन्हा को नेता प्रतिपक्ष बनाया तो कुशवाहा जाति से आने वाले सम्राट चौधरी को बिहार विधान परिषद में भाजपा विधान परिषद दल के नेता के तौर पर खड़ा कर दिया। राष्ट्रीय जनता दल के एमवाई समीकरण को तोड़ने के लिए बीजेपी पसमांदा मुसलमानों पर अपनी चाल चल चुकी है। भारतीय जनता पार्टी के सामने नीतीश कुमार के कोर वोट को तोड़ने की चुनौती है।
गौरतलब है कि कुर्मी जाति से आने वाले नीतीश कुमार को अपनी जाति का भरपूर समर्थन मिलता है। ऐसे में बीजेपी नीतीश कुमार के लगभग 10 प्रतिशत कोर वोट बैंक को तोड़कर अपने पक्ष में करना चाहती है। दरअसल, केंद्रीय नेतृत्व इस बार भी बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व दोबारा संजय जायसवाल के कंधों पर डालना चाहती थी। लेकिन सूत्र का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व ने वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डॉ ़संजय जायसवाल को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपने जा रही है। इसलिए आने वाले 15 से 20 दिन में ही बिहार बीजेपी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल सकता है। सूत्र बताते हैं कि पूर्व विधायक और प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल बिहार बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। इसके पीछे का कारण बताते हुए सूत्र ने बताया कि नालंदा के रहने वाले और कुर्मी जाति से आने वाले प्रेम रंजन पटेल काफी तेजी से पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग में अपनी पैठ बना रहे हैं। जिसका फायदा 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव और 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिल सकता है। बीजेपी यह मानकर चल रही है कि आरजेडी के मुस्लिम यादव (एमवाई) गठजोड़ को तोड़ना मुश्किल है। दूसरी और बीजेपी का यह भी मानना है कि आरजेडी के मुकाबले तेजी से जनाधार खो रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के वोट बैंक को तोड़ना ज्यादा आसान है।
बीजेपी के सूत्र ने बताया इसी योजना के तहत सम्राट चौधरी को विधान परिषद में बीजेपी विधायक दल का नेता बनाया गया है। कुर्मी-कोइरी को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ही केंद्रीय नेतृत्व इस बार कुर्मी जाति से आने वाले चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के नामों की चर्चा में अत्यंत पिछड़ी जाति से आने वाले सांसद प्रदीप सिंह का नाम भी शामिल है। उनके अलावा पटना के दीघा विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक बनने वाले संजीव चौरसिया का नाम भी प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर राजनीतिक गलियारे में तैर रहा है। इसके अलावा दिलीप जायसवाल, जनक राम, संजय सरावगी के नामों पर भी चर्चा की जा रही है। बीजेपी के सूत्र ने बताया कि केंद्रीय नेतृत्व द्वारा तीन नामों पर विचार किया जा रहा है। जिनमें प्रेम रंजन पटेल, संजीव चौरसिया और दिलीप जायसवाल का नाम शामिल है।