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UP में BJP का ‘मिशन ब्राहमण’

पूर्व कांग्रेसी नेता और केन्द्रीय मंत्री रहे जितिन प्रसाद के भाजपा में जाने के साथ ही एक बहस शुरू हो गई है। वह यह कि क्या जितिन प्रसाद के भाजपा में जाने से ब्राह्मणों की नाराजगी दूर होगी ? इसी के साथ ही जितिन प्रसाद के भाजपा में आने के बाद भाजपा पर सबकी निगाहें लग गई है। वह इसलिए कि भाजपा मिशन 2022 के लिए रूठे हुए ब्राह्मणों को अपने पाले में लाने के लिए लालायित हैं।

मोदी ने यूपी में चला एके शर्मा का “ब्राह्म शस्त्र”

कुछ दिनों पहले से उत्तर प्रदेश में चला आ रहा एके शर्मा प्रकरण इसी ‘ब्राह्म शस्त्र’ के कारण चर्चाओं में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी रहे पूर्व नौकरशाह शर्मा को भाजपा जिस तरह उत्तर प्रदेश में एक ब्राह्मण नेता के रूप में स्थापित करना चाहती है वह किसी से छुपा नहीं है।  भाजपा का दिल्ली दरबार अरविंद शर्मा यानी एके शर्मा को उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण पद देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर दबाव डालता दिख रहा है। इस दबाव की राजनीति के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ असहज बताए जा रहे हैं ।
लेकिन फिलहाल भाजपा के लिए मिशन 2022 का सपना महत्वपूर्ण है। इस सपने में वह ब्राह्मण वोट बैंक को अपनी और आकर्षित करने के लिए हर राजनीतिक दांवपेच आजमा रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद का कांग्रेस छोड भाजपा में आना इसी रणनीति का एक हिस्सा है।

बिकरू कांड से शुरू हुआ ब्राह्मणों का भाजपा विरोध

उत्तर प्रदेश में पिछले साल जब  बिकरू कांड हुआ तो सबसे ज्यादा विरोध ब्राह्मणों का हुआ। क्योंकि बिकरू कांड का खलनायक विकास दुबे पुलिस की मुठभेड़ में मारा गया। विकास दुबे ने यूपी पुलिस के 9 जवानों को अपने गांव में मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद यह कहा गया कि योगी सरकार ने बदला लेने की नियत से विकास दुबे का एनकाउंटर कराया।
इसके बाद प्रदेश में ब्राह्मण योगी सरकार के खिलाफ बयानबाजी पर उतर आए। यहां तक कि पिछले दिनों भाजपा के ही विधान परिषद सदस्य उमेश द्विवेदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बिकरू कांड के एक मामले पर घेराबंदी कर दी। मामला यह था कि विकास दुबे के भतीजे अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को पिछले 10 महीने से पुलिस ने जेल में रखा हुआ है। जिस पर अभी तक यूपी पुलिस कोई आरोप सिद्ध नहीं कर पाई है। शादी होने के सिर्फ 3 दिन बाद ही विधवा हुई खुशी दुबे की हालत अब चिंताजनक है। वह जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है। फिलहाल, भाजपा के विधान परिषद सदस्य उमेश द्विवेदी ने खुशी की रिहाई की मांग करके अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया हैं।

कांग्रेस ने बनाए सबसे ज्यादा 6 ब्राह्मण सीएम

देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को सबसे ज्यादा महत्व कांग्रेस द्वारा दिया जाता रहा है। कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में 6 ब्राह्मणों को मुख्यमंत्री बनाया। जिनमें एनडी तिवारी से लेकर कमलापति, त्रिपाठी, सुमित्रानंदन पंत, सुचिता कृपलानी,हेमवती नंदन बहुगुणा , संपूर्णानंद आदि शामिल है।
राम मंदिर आंदोलन से पहले उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण कांग्रेस का ही वोट बैंक कहा जाता था। लेकिन इस आंदोलन के बाद परिस्थितियां बदली है। कांग्रेस का वोट बैंक ब्राह्मण खिसक कर भाजपा की ओर जाता हुआ प्रतीत हो रहा है। देखा जाए तो 23 साल तक उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों का राज रहा। वह चाहे मुख्यमंत्री के रूप में रहा हो या फिर सत्ता के मुख्य केंद्र में।  लेकिन 1989 के बाद कांग्रेस ने कभी किसी ब्राह्मण को यूपी का मुख्यमंत्री नहीं बनाया। इसके बाद यूपी में कभी कांग्रेस की सरकार बनी भी नहीं।

जितिन ने फेरा प्रियंका के प्लान पर पानी

यूपी में कांग्रेस के अंतिम ब्राह्मण मुख्यमंत्री एनडी तिवारी थे । जो बाद में उत्तराखंड राज्य बनने के बाद वही शिफ्ट हो गए। कांग्रेस ने एनडी तिवारी को उत्तर प्रदेश के बाद उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया। फिलहाल, कांग्रेस की यूपी महासचिव प्रियंका गांधी एक बार फिर ब्राह्मण वोट बैंक को पार्टी के पाले में लाने के लिए काम कर रही थी। कॉन्ग्रेस प्रियंका गांधी के सहारे उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण दलित और मुस्लिम वोट बैंक को फिर से जीवित करने में जुटी थी । लेकिन उनकी पार्टी के पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने पार्टी छोड़कर प्रियंका की इस प्लान पर पानी फेर दिया।

जहा सत्ता रहीं वहीं रहा ब्राह्मण

कहते हैं कि ब्राह्मण राजनीतिक रूप से बहुत तेज होते हैं। वह अधिकतर सत्ता के साथ होते हैं। यूपी की राजनीति में देखें तो यह सामने भी आया है। जब यूपी में कांग्रेस का एकाधिकार रहा तो ब्राह्मण कांग्रेस के साथ रहा। लेकिन जैसे ही प्रदेश में बसपा सुप्रीमो मायावती ने पैर फैलाए तो ब्राह्मण उनकी तरफ आकर्षित हो गए। “तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार।” का विवादास्पद नारा देने वाली मायावती को इसका अंदाजा भी नहीं था की ब्राह्मण उनकी पार्टी की ओर मुखातिब भी होंगे। बावजूद इसके ब्राह्मणों को अपने पाले में लाने में मायावती भी खूब कामयाब रही।

मायावती का सोशल इंजीनियरिंग का प्रयोग

एक समय था जब 2007 के विधानसभा चुनाव में मायावती ने अपनी पार्टी से 41 ब्राह्मणों को विधायक बनाया था। यही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश में मायावती ने अपनी सरकार में सात ब्राह्मण मंत्री बनाए। मायावती ने ब्राह्मणों के नेता सतीश चंद्र मिश्रा को अपने साथ साए की तरह रखा । यही नहीं बल्कि मिश्रा के बल पर मायावती ने उत्तर प्रदेश में सोशल इंजीनियरिंग का नया प्रयोग किया। जिसमें मायावती को बेहद सफलता मिली ।

समाजवादी पार्टी ने किया पार्क का नामकरण, परशुराम जयंती पर सरकारी अवकाश

इसके बाद सत्ता आई समाजवादी पार्टी के हाथ। स्वाभाविक है कि इस बार भी ब्राह्मण वोट बैंक सत्ता की तरफ आकर्षित होना ही था। समाजवादी पार्टी ने ब्राह्मणों को अपनी पार्टी में लाने के लिए कई योजनाएं शुरू की। जिसमें उन्होंने जनेश्वर मिश्रा के नाम पर पार्क का नामकरण किया। इसी के साथ ही समाजवादी पार्टी ने पहली बार उत्तर प्रदेश में परशुराम जयंती को सरकारी अवकाश घोषित किया ।
2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने ब्राह्मण वोट बैंक में काफी सेंधमारी की । तब इस समाज के 21 विधायक समाजवादी पार्टी के बैनर पर जीते थे। साथ ही समाजवादी पार्टी ने माता प्रसाद पांडे को विधानसभा स्पीकर बना कर ब्राह्मण समाज को यह मैसेज देने का काम किया कि वह इस जाति के लोगों के लिए सबसे उपयुक्त पार्टी है।

2017 में भाजपा ने बनाए सबसे ज्यादा 9 ब्राह्मण मंत्री और डिप्टी सीएम

यहां यह भी बताना जरूरी है कि 2017 में भाजपा के कुल 312 विधायकों में से 58 विधायक ब्राह्मण थे । जिनमें भाजपा ने 9 ब्राह्मणों को मंत्री बनाया । यही नहीं बल्कि सूबे के बने दो डिप्टी सीएम में एक दिनेश शर्मा को शामिल किया गया। जिन ब्राह्मण विधायकों को मंत्री बनाया गया उनमें श्रीकांत शर्मा, बृजेश पाठक, उपेंद्र तिवारी, नीलकंठ तिवारी और सतीश त्रिवेदी आदि है। देखा जाए तो अब तक जिस पार्टी ने सबसे ज्यादा ब्राह्मणों को सत्ता में शामिल किया वह भाजपा ही है। पूर्व में बसपा ने जहां सात ब्राह्मण मंत्री बनाए थे तो समाजवादी पार्टी ने इस समाज के 4 विधायकों को मंत्री बनाया था। जबकि भाजपा का यह आंकड़ा 9 तक जा पहुंचा। इसके बावजूद भी ब्राह्मणों की नाराजगी से भाजपा भयभीत बताई जा रही है।

उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों का कुल वोट बैंक है 11 प्रतिशत

 बहरहाल, भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में मिशन 2022 को लेकर चिंतनसीन है। भाजपा को सबसे ज्यादा चिंता ब्राह्मणों की सताई जा रहे हैं। क्योंकि ब्राह्मण भाजपा से नाराज बताए जा रहे हैं। इस नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा ने जितिन प्रसाद को अपने पाले में ले लिया है। लेकिन अभी यह देखना बाकी होगा कि जितिन प्रसाद के भाजपा में आने के साथ ही ब्राह्मणों की कितनी नाराजगी दूर करने में पार्टी कामयाब होती है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों का कुल वोट बैंक 11 प्रतिशत है।

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