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तमिलनाडु पर BJP की नजर, एक पखवाड़े में मोदी का दूसरा दौरा 

तमिलनाडु में विधानसभा चुनावो में महज दो माह का समय ही बचा है। फ़िलहाल, वहा के दोनों प्रमुख दलों के बड़े नेता करुणानिधि और जयललिता के निधन के बाद वहां की स्थितियां बदली हैं। तमिलनाडु के लोकप्रिय फिल्म स्टार रजनीकांत के भी राजनीति से दूर रहने के फैसले से मुकाबला पूरी तरह खुला हुआ है। तमिलनाडु की राजनीति शुरु से ही दो विपरित धुरियों पर चलती आयी है। इसलिए कभी तमिल सुपरस्टार रजनीकांत से नजदिकियां बढायीं गयी तो कभी शशिकला और दिनाकरऩ से बातचीत का सिलसिला शुरु हुआ ताकि पार्टी को एक मजबूत कंधे का सहारा मिल सके।
लेकिन चुनावों के ऐलान होने का वक्त हो चला है और ये दोनो पक्ष दुरियां बढा कर बैठे हैं। ऐसे में सभी दल अपने-अपने दांव चल रहे हैं। इनमे भाजपा और कांग्रेस भी पीछे नहीं है। भाजपा की तमिलनाडु पर विजय करने की मंशा को इससे जाना जा सकता है कि महज एक पखवाड़े में ही देह के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दो बार दौरा हो चूका है।
मोदी गत 17 फरवरी को वीडियों कांफ्रेंसिंग के जरिए तमिलनाडु में रामनाथ पुरम से थोथुकुडी तक की एक बड़ी गैस पाइपलाइन परियोजना को राष्ट्र को समर्पित कर चुके हैं। साथ ही उन्होंने नागपट्टनम में कावेरी वेसिन रिफाइनरी के लिए आधारशिला रखी।
इससे पहले 14 फरवरी को पीएम चेन्नई के दौरे पर थे जहां उन्होने कई महत्वपूर्ण योजनाओं जैसे चेन्नई मेट्रो रेल के उद्घाटन के साथ साथ अर्जुन मेन बैटर टैंक यानि एमके-1ए को सेना को सुपुर्द किया था। पीएम मोदी के इस दौरे की खास बात ये थी कि उन्होने ऐलान किया कि केन्द्र सरकार ने देवेन्द्रकुला वेल्लालर समुदाय की पुरानी मांग को मंजुरी दे दी। उनकी मांग थी कि उन्हे अपने पुराने पारंपरिक देवेन्द्रकुला वेल्लालर नाम से जाना जाए।
बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी 1 मार्च को एक बार फिर तमिलनाडु जाएंगे और विकास की नयी परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। जाहिर है कि बीजेपी पूरी तरह से पीएम मोदी और विकास पर ध्यान केन्द्रीत कर रही है। मोदी खुद 610000 करोड रुपयों की विकास परियोजनाओं की सौगात दे चुके हैं। जिसका फायदा सीधा तमिलनाडु का जनता को होगा। विधानसभा चुनावो में भाजपा इसका लाभ लेने को भी उतावली दिख रही है।
 याद रहे कि 2007 में जब राजनाथ सिंह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे जब पार्टी ने दक्षिण भारत में पहली बार जीत का परचम लहराया था। कर्नाटक में येदियुरप्पा के नेतृत्व में सरकार बनी तो जरुर लेकिन पार्टी उसके आगे विस्तार नहीं कर पायी। फ़िलहाल पीएम मोदी और पार्टी आलाकमान ने बीड़ा उठाया है।

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