जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पहली बार हो रहे स्थानीय चुनाव विवादों में घिर गए हैं। इसी मामले में नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारुक अबदुल्ला ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार सुरक्षा के नाम पर गुपकार उम्मीदवारों को प्रचार करने से रोक रही हैं।
जम्मू कश्मीर में जल्द ही स्थानीय निकाय के चुनाव होने वाले हैं। लेकिन गुपकार गठजोड़ के कुछ उम्मीदवार कुछ इलाकों में प्रचार नहीं कर पा रहे हैं। जबकि बीजेपी के उम्मीदवार हर जगह जाने को आजाद हैं। वहीँ गुपकार उम्मीदवारों पर उनकी सुरक्षा के नाम पर प्रचार हेतु रोक लगायी गयी है।
जो कि विपक्षियों के लिए केंद्र सरकार के एकतरफा रुख का उदाहरण है। ऐसा माना जा रहा है कि अनुच्छेद 370 के बाद अब बीजेपी कश्मीर में अपनी राजनीति को मजबूत आधार देने के लिए जुटी हुई है।
गुपकार गठजोड़ क्या है ?
पीपल्स अलायंस फ़ॉर गुपकार डेक्लेरेशन 6 राजनीतिक दलों का संगठन है जो 5 अगस्त 2019 के पहले की जम्मू-कश्मीर की स्थिति की बहाली के लिए कृत-संकल्प हैं। वह राज्य की स्वायत्तता की माँग भी करता है। इस समूह में पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, जम्मू-कश्मीर पीपल्स कांफ्रेंस, आवामी नेशनल कांफ्रेंस और सीपीआईएम शामिल हैं।
कश्मीर में सियासी चहलकदमी तेज
कश्मीर में सियासी चहलकदमी तेज हो गयी है। अनुच्छेद 370 में संशोधन ,लद्दाख और जम्मू-कश्मीर नाम से दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के सरकार के फैसलों के बाद वहां तनाव काफी बढ़ गया है। स्थानीय चुनाव में इस तरह टारगेट करके कुछ दलों के प्रत्याशियों की चुनाव प्रचार न करने देना यह केंद्र सरकार की आखिर किस मंशा को दर्शाता है ?
उसी बीच 25 हजार करोड़ के रोशनी जमीन घोटाले में अब बड़े-बड़े नाम बाहर आने लगे हैं। अब इस घोटाले में पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला का नाम भी आ गया है। आरोप है कि उन्होंने अपने सुंजवां में स्थित आलीशान बंगले को बनाने के लिए जमीन को हड़प लिया। सीबीआई इस मामले की जांच करने में लगी हुई है।
रोशनी एक्ट के लाभार्थियों और सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों की सूची जारी होने पर बड़ा खुलासा हुआ है। सियासी दलों के कार्यालयों के बाद अब जम्मू-कश्मीर के बड़े नेताओं के निजी आवास भी सरकारी जमीन पर होने की बात सामने आई है।
जम्मू मंडलायुक्त की ओर से 24 नवंबर को जारी सूची में नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष, सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला के जम्मू स्थित आवास को भी सरकारी जमीन पर बना बताया गया है। बाहु तहसील के सुंजवां क्षेत्र में यह आवास खसरा नंबर 4,5,6 में सात कनाल सरकारी भूमि में बना हुआ है।
नेताओं के साथ कई रसूखदारों के नाम शामिल
हाईकोर्ट के आदेश पर जम्मू और कश्मीर के मंडलायुक्तों ने रोशनी एक्ट लाभार्थियों और सरकारी जमीन कब्जाने वाले 509 और लोगों की सूचियां जारी की हैं। इनमें नेताओं के साथ कई रसूखदारों के नाम शामिल हैं। सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों में सेवानिवृत्त न्यायाधीश का नाम भी शामिल है।
पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला का कहना है कि,’ डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने रोशनी एक्ट के तहत कोई लाभ नहीं लिया। जम्मू और श्रीनगर में उनके आवास का रोशनी एक्ट से लेना देना नहीं है। यह सरकार की सोची समझी साजिश के तहत किया जा रहा है।
क्या है रोशनी ऐक्ट भूमि घोटाला
साल 2001 में तब की फारूक अब्दुल्ला सरकार ने प्रदेश में यह ऐक्ट लागू किया था। इस योजना के तहत साल 1990 से हुए अतिक्रमण को इस ऐक्ट के दायरे में कटऑफ सेट किया गया था।
सरकार का कहना था कि इसका सीधा फायदा उन किसानों को मिलेगा जो सरकारी जमीन पर कई सालों से खेती कर रहे हैं लेकिन नेताओं ने जमीनों पर कब्जे जमाने का काम शुरु कर दिया।