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बिहार में शाहनवाज को आगे कर भाजपा ने नीतीश पर बढ़ाया दबाव 

कुछ महीने पहले ही बिहार विधानसभा चुनाव संपन्न हुए जिसमें भाजपा और जेडीयू गठबंधन को बहुमत हासिल हुआ और वादे के मुताबिक भाजपा ने नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री बनाया । इस बीच राज्य में दो सीटों पर उपचुनाव होने हैं इसके लिए  भाजपा नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन और वीआईपी प्रमुख व पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी ने कल 18 जनवरी को  नामांकन दाखिल किया। पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के राज्यसभा जाने से खाली हुई सीट पर शाहनवाज हुसैन ने नामांकन किया है, जिनका कार्यकाल छह मई, 2024 तक रहेगा।

भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं में शुमार शाहनवाज हुसैन  बिहार से पार्टी के बड़े मुस्लिम चेहरा  भी हैं। पहली बार ही किशनगंज से लोकसभा चुनाव जीतकर तत्कालीन  प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी  की सरकार में मंत्री बनाए गए शाहनवाज को बिहार विधान परिषद  के लिए प्रत्याशी  बनाना बीजेपी का बहुत बड़ा फैसला है। इसे पार्टी का कोई बड़ा और दूरगामी दांव माना जा रहा है। शाहनवाज को लेकर बीजेपी की दूरगामी राजनीति तो आगे  की बात है, लेकिन फिलहाल उसने हाल ही में  बिहार विधानसभा चुनाव  2020 में एक भी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट   नहीं दिया था। तब भजपा पर आरोप लग रहे थे कि वह मुस्लिम विरोधी है , लेकिन अब उसने शाहनवाज हुसैन को उम्मीदवार बनाकर  मुस्लिम विरोधी होने के आरोपों को खारिज कर दिया है। साथ ही पार्टी ने बिहार में अपना बड़ा चेहरा  भी दिया है।  इसे लेकर कयासों का बाजार भी गर्म हो गया है। चर्चा है कि बिहार विधानसभा चुनाव में एक भी मुस्लिम प्रत्याशी  नहीं देने के कारण आलोचना का केंद्र बनी बीजेपी एक मुस्लिम नेता को विधान परिषद भेज कर भरपाई करना चाहती है।

शाहनवाज को विधान परिषद भेज कर बीजेपी ने एनडीए के अपने मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार  पर भी दबाव बढ़ा दिया है। अल्पसंख्यक राजनीति करने वाले नीतीश कुमार जेडीयू से कोई मुस्लिम प्रत्याशी  विधानसभा नहीं पहुंच सका है। ऐसे में यह सवाल तो खड़ा होता है कि  शाहनवाज हुसैन जैसे बड़े कद के राष्ट्रीय  नेता को बिहार में एमएलसी बनाने के पीछे बीजेपी की क्या  रणनीति है? शाहनवाज बीजेपी में लंबे सयम तक हाशिए पर रहे, लेकिन पार्टी के प्रति उनकी वफादारी कायम रही। बीते दिनों जम्मू-कश्मीर निकाय चुनाव में बतौर प्रभारी, उनके नेतृत्व  में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। माना जा रहा है कि शाहनवाज हुसैन को बिहार में एमएलसी बना कर इसका पुरस्कार देने की दूरगामी रणनीति बनाई गई है।

 बीजेपी प्रवक्ता संजय टाइगर ने कहा  हैं कि शाहनवाज हुसैन जैसे वरिष्ठ और अनुभवी नेता के रहने से बिहार में पार्टी को मजबूती मिलेगी। बीजेपी के कई अन्य  नेताओं ने इसे पार्टी की मुस्लिम विरोधी छवि से उबरने का भी कदम बताया है ।

बता दें  कि इससे  पहले भी वर्ष 2006 में जब सुशील मोदी ने भागलपुर लोकसभा सीट छोड़ी थी तो शाहनवाज उपचुनाव में उम्मीदवार बने और जीते। वहीं पूर्व मंत्री विनोद नारायण झा के विधायक बनने से रिक्त हुई सीट पर मुकेश सहनी ने नामांकन किया है। इनका कार्यकाल 21 जुलाई, 2022 तक रहेगा। दोनों सीटों के लिए कोई और नामांकन नहीं हुआ है। इसलिए इनकी जीत तय मानी जा रही है।

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