बीस जनवरी 2020 दिन भारतीय जनता पार्टी के लिए काफी मायने रखता है। इस दिन भाजपा के दिग्गज नेता अमित शाह ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश यानी जेपी नड्डा को अपना कार्यभार सौंपा। बहरहाल, नड्डा भाजपा के नये बाॅस बन चुके हैं। उन्हें निविरोध पार्टी का मुखिया चुन लिया गया है।
जेपी नड्डा ऐसे समय में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव का दंगल शुरू हो चुका है। ऐसे में दिल्ली मैं पार्टी का परचम लहराने की कड़ी चुनौती उनके सामने है। हालांकि पहले यही चुनौती अमित शाह के सामने थी। इसी के साथ नड्डा के सामने दूसरी चुनौती पार्टी को विनर लाइन यानी लगातार चुनाव जीतने की स्थिति में वापस लाना है।
2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी केन्द्र में पुनः सत्तारूढ़ है, लेकिन राज्यों में एक के बाद एक पार्टी का जनाधार दिनों दिन कम होता जा रहा है। कई प्रदेश उसके हाथ से निकल चुके हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यह स्थिति चिंताजनक साबित हो रही है।
नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा को पूर्व अध्यक्ष अमित शाह से बड़ी लकीर खिंचनी होगी। अब तक अमित शाह को पार्टी के लिए जीत का प्रतीक माना जाता था । इस जीत को जारी रखना नड्डा की बड़ा चुनौती है। इस टारगेट पर वह पार्टी को कितना आगे बढ़ा पायेंगे, इस पर पूरे देश की नजर होगी। हालांकि अमित शाह के मोदी सरकार-2 में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेने के साथ ही राजनीति के गलियारों में यह चर्चा होने लगी थी कि भाजपा का अगला अध्यक्ष कौन होगा?
गृह मंत्रालय जैसा अहम विभाग संभालने के साथ- साथ पहले से पार्टी अध्यक्ष का पद संभाल रहे अमित शाह की व्यस्तता को देखते हुए जेपी को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। यह भी सर्वविदित है कि यह पहली बार हुआ जब भाजपा में कोई कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। बिहार के पटना से नड्डा का विशेष नाता है।
जानकारी के अनुसार जेपी नड्डा की प्रारंभिक शिक्षा पटना के सेंट जेवियर स्कूल में हुई। पटना काॅलेज से उन्होंने स्नातक की डिग्री प्राप्त की, जबकि हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी, शिमला से उन्होंने कानून की पढ़ाई पूरी की। उनका विवाह 11 दिसम्बर, 1991 को डाॅ. मल्लिका नड्डा के साथ हुआ। उनसे इनके दो पुत्र हरीश व गिरीश हैं। भाजपा के नए अध्यक्ष जेपी नड्डा का स्थायी निवास हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में झंडूत्ता तहसील का विजयपुर गांव है।
नड्डा के राजनीतिक सफर की शुरुआत वर्ष 1975 में जेपी आंदोलन से हुई थी। आंदोलन में भाग लेने के बाद वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हो गए थे। नड्डा ने मात्र 16 वर्ष की उम्र में बिहार में स्टूडेंट मूवमेंट में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। वर्ष 1977 में हुए छात्र संघ चुनाव में नड्डा पटना विश्वविद्यालय के छात्रसंघ सचिव चुने गए थे।
वर्ष 1982 में उन्हें हिमाचल प्रदेश में विद्यार्थी परिषद का प्रचारक बनाकर भेजा गया। वर्ष 1983 से लेकर 1984 तक उन्हांेनेे हिमाचल प्रदेश के शिमला स्थित विश्वविद्यालय से वकालत की पढ़ाई की थी। वर्ष 1983 में पहली बार हुए केन्द्रीय छात्र संघ के चुनाव में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष बने। वर्ष 1986 से 1989 तक वे अखिल भारतीय विधार्थी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव भी रहे।
वर्ष 1989 में केन्द्र सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन की वजह से नड्डा 45 दिन तक जेल में भी रहे। वर्ष 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने नड्डा को पहली बार भारतीय जनता युवा मोर्चा का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया। वर्ष 1991 में वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष बनाए गए। वर्ष 1993 में पहली बार हिमाचल प्रदेश विधानसभा में विधायक बने और नेता प्रतिपक्ष चुने गए।
वर्ष 1998 में नड्डा दुबारा चुनाव जीते और भाजपा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने। नड्डा वर्ष 2007 में भाजपा सरकार में वन, पर्यावरण एवं संसदीय मामलों के मंत्री रहे। इसके बाद जेपी को वर्ष 2011 में भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव चुना गया।
इसके बाद इन्होंने दिल्ली में संगठन का कामकाज संभाला। वर्ष 2014 में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में नड्डा को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें उत्तर प्रदेश का प्रभार मिला और पार्टी को यूपी में 60 से ज्यादा सीटों पर जीत दिलाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई।