भाजपा जिस परिवारवाद का विरोध करती रही है, अब वही परिवारवाद पार्टी के लिए चुनौती बनता जा रहा है। पीएम मोदी से लेकर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व वंशवाद को बढ़ावा न मिले इसे लेकर सख्त है। दूसरी ओर सूबे के कई कद्दावर नेता अपने पुत्रों को टिकट दिलाकर राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का ख्याब रखते हैं।
गौरतलब है कि भाजपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी दिग्गज नेताओं के पुत्रों के टिकट काटकर साफ संकेत दिया कि पार्टी में वंशवाद को जगह नहीं दी जाएगी। लेकिन अगर यूपी का फॉर्मूला केंद्रीय नेतृत्व ने मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में लागू किया तो कई सियासी दिग्गजों के ख्वाब ख्याली ही रह जाएंगे।
यूपी विधानसभा चुनाव में केंद्रीय नेतृत्व ने वंशवाद के खिलाफ करारा प्रहार करते हुए साफ़ इशारा कर दिया था कि परिवारवाद को पार्टी में कोई जगह नहीं दी जाएगी। सियासी रण में टिकट पाने की लालसा रखने वाले दो राज्यपाल से लेकर केंद्रीय मंत्रियों के पुत्रों तक को पार्टी ने टिकट नहीं दिया। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, बिहार के राज्यपाल फागू चौहान अपने पुत्रों के लिए टिकट चाह रहे थे, लेकिन नहीं मिला। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह दूसरे बेटे नीरज को लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ाना चाह रहे थे, लेकिन टिकट नहीं मिला।
केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर के बेटे प्रभात किशोर को भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया। ऐसे ही कांग्रेस से भाजपा में आईं रीता बहुगुणा जोशी भी अपने बेटे को टिकट नहीं दिला पाईं। कुल मिलाकर भाजपा ने दिग्गज नेताओं के पुत्रों को टिकट न देकर वंशवाद के खिलाफ टो टूक संदेश दिया है।
नेताओं के पुत्रों को सत्ता की आस
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महानआर्यमन ग्वालियर क्रिकेट एसो. के उपाध्यक्ष हैं। कहा जा रहा है कि सियासत का ककहरा सीखने एसो. में एंट्री हुई है। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य और मंत्री नरोत्तम मिश्रा के पुत्र सुकर्ण भी लोगों से संपर्क में रहते हैं। चर्चा है कि ग्वालियर-चंबल संभाग में खासे सक्रिय हो चुके हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप को लोग नरेंद्र तोमर के सियासी उत्तराधिकारी के रूप में भी देख रहे हैं। लिहाजा देवेंद्र ने भोपाल में सक्रियता बढ़ा दी है। कैलाश विजयवर्गीय के विधायक पुत्र आकाश भी नई संभावनाएं तलाश रहे हैं। आकाश अपने कारनामों को लेकर गाहे-बगाहे सुर्खियां बटोरते रहते हैं। प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष प्रभात झा के बेटे तुष्मुल भी सियासत में कदम रखने की जुगत में हैं। लोगों से मिलने-जुलने सहित पिता की तर्ज पर सियासत करने की चाह रखते हैं। कैबिनेट मंत्री गोपाल भार्गव के पुत्र अभिषेक खासे सक्रिय रहते हैं। अभिषेक तब चर्चाओं में आए थे, जब पंचायत चुनावों में परिवारवाद का मुखर होकर विरोध किया था।