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संघ से दूर जाती भाजपा

केंद्र्रीय मंत्रिमंडल का हालिया संपन्न विस्तार संघ और मोदी-शाह के नेतृत्व वाली भाजपा के मध्य बढ़ रही दूरी की तरफ स्पष्ट संकेत करती है। प्रधानमंत्री के नए मंत्रिमंडल में संघ से निष्ठा रखने वाले नेता गिनती के रह गए हैं। इतना ही नहीं सभी महत्वपूर्ण मंत्रालयों में भी ऐसे मंत्री बैठा दिए गए हैं जिनका खुद का वजूद राजनीति में केवल और केवल मोदी-शाह संग निष्ठा के चलते है। 77 सदस्यीय मंत्रिमंडल में नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह, नरेंद्र सिंह तोमर और मुख्तार अब्बास नकवी को छोड़ सभी मंत्री अटल-आडवाणी की संघर्ष यात्रा से दूर-दूर तक वास्ता नहीं रखने वाले ऐसे जनआधार विहीन नेता हैं जिनकी 2014 से पहले भाजपा भीतर कोई पहचान नहीं थी। वर्तमान सरकार में सबसे महत्वपूर्ण समझे जाने वाले अधिकतर मंत्रालयों में ऐसे ही नेता काबिज हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस ़जयशंकर, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, ऊर्जा मंत्री आर ़के ़ सिंह, पेट्रोलियम एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी आदि की गिनती ऐसे ही नेताओं में होती है। संघ से जुड़े सूत्रों की मानें तो नागपुर में इन दिनों इसी मुद्दे पर लगातार चिंतन किया जा रहा है। इसी चिंतन का नतीजा है कि मोदी-शाह के खासे करीबी हो चले संघ के वरिष्ठ नेता कृष्ण गोपाल को संघ और भाजपा के मध्य संपर्क सेतु होने के दायित्व से हटाकर अरुण कुमार की नियुक्ति इस कार्य के लिए कर दी गई है। 2015 से ही संघ के सह सरकार्यवाहक कृष्ण गोपाल भाजपा और संघ के कार्डिनेशन का दायित्व संभाल रहे थे। पिछले दिनों चित्रकूट में क्षेत्र एवं प्रांत प्रचारकों संग आयोजित चिंतन शिविर में इस बदलाव का फैसला लिया गया। 2015 में भी केंद्र सरकार संग अति निकटता के आरोप बाद सुरेश सोनी को हटा कृष्ण गोपाल को यह जिम्मेदारी सौंप दी थी। संघ की कृष्ण गोपाल से गहरी नाराजगी उनको अब दी गई जिम्मेदारी से स्पष्ट नजर आती है। कृष्ण गोपाल को विद्या भारती एवं लघु उद्योग भारती सरीखे प्रकोष्ठों की जिम्मेदारी अब सौंपी गई है।

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