उत्तराखण्ड के भाजपा विधायक महेश नेगी की यौन शोषण और बलात्कार के मामले में मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। विधायक की दिक़्कत यह है कि नैनीताल हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद सरकार को 5 अक्टूबर तक डीएनए जांच रिपोर्ट के साथ शपथपत्र पेश करने के निर्देश दिए हैं। सुनवाई के दौरान पीड़िता की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया कि अभी तक डीएनए रिपोर्ट पेश नहीं की गई है। पीड़िता ने यह भी कहा कि विधायक महेश नेगी की डीएनए जांच कराई जाए क्योंकि वे ही उसकी बेटी के पिता हैं।
मामले की जांच में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि कई जगहों पर विधायक पीड़िता के साथ रहे हैं। पीड़िता का कहना है कि विधायक को पूर्व में गिरफ्तारी से रोकने का स्टे ऑर्डर भी निरस्त किया जाए। न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार पीड़िता ने 6 सितंबर 2020 को नेहरू कालोनी देहरादून में एक प्रार्थना पत्र देकर कहा था कि विधायक महेश नेगी ने उनका यौन शोषण किया है। अब दोनों पति पत्नी उसे जान से मारने की धमकी भी दे रहे हैं। याचिका में कहा कि इस मामले की जांच कर रहे दो आईओ को भी सरकार ने बदल दिया है ,क्योंकि विधायक सत्तारूढ़ पार्टी का विधायक है इसलिए मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए। याचिकाकर्ता ने कहा कि देहरादून पुलिस इस मामले की जांच करने में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रही है और सही तरीके से जांच भी नहीं कर रही है। जबकि उसके पास विधायक के सभी कारनामों की रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध है।
दरअसल ,द्वाराहाट विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक महेश नेगी पर एक महिला के द्वारा जबरन यौन शोषण और बलात्कार करने का आरोप लगाया गया है। महिला का दावा है कि उसकी पुत्री के पिता भी महेश नेगी ही हैं। अपने आरोपों की पुष्टि के लिए महिला डीएनए जांच करवाने की भी मांग कर रही है। जबकि विधायक महेश नेगी की पत्नी ने महिला के खिलाफ विधायक को बदनाम करने और ब्लैकमंलिग के आरोप लगाते हुए रिपोर्ट दर्ज करवाई है ।
महिला के मुताबिक उसकी लड़की की डीएनए जांच करवाई गई तो उसके पति से मिलान नहीं हुआ। ऐसा इसलिए कि विधायक ही उसकी लड़की के पिता हैं। उसने मांग की है कि विधायक का डीएनए टेस्ट करवाया जाए।
हालांकि राजनीति इस तरह का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी देश में सफेदपोशों और ब्यूरोक्रेट्स कई के दामन पर काली करतूतों के दाग लगते रहे हैं। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से कुछ पर मुकदमे चल रहे हैं, जबकि कुछ में युवतियों के पीछे हटने पर फाइलें बंद हो चुकी हैं।
यह भी पढ़ें : उत्तराखण्ड में फिर सेक्स स्कैण्डल की गूंज
उत्तराखण्ड में नौकरी का झांसा देकर योन उत्पीड़न के मामले सामने आते रहे हैं। हल्द्वानी में पीसीएस अधिकारी विवेक स्वरूप को रेप के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया । इस मामले में एक महिला ने 12 जनवरी 2014 को मुकदमा दर्ज कराया था। महिला ने उक्त पीसीएस अधिकारी पर नौकरी का झांसा देकर दुराचार करने का आरोप लगाया । आरोप के बाद पुलिस ने उन्हें उनके निवास स्थान से गिरफ्तार किया।
उत्तराखंड सरकार में अपर सचिव जेपी जोशी पर भी एक युवती ने नौकरी दिलाने के नाम पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। पुलिस से काफी मश्क्कत करवाने के बाद उक्त युवती ने जेपी जोशी के खिलाफ बयान दर्ज करवाए थे। जिस पर आरोपी अपर सचिव जेपी जोशी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 के तहत दुराचार का मामला दर्ज किया गया था। इसके साथ ही मामले से जुड़ी कांग्रेस कार्यकर्ता रितू कांडियाल व अन्य पर धारा 506 के तहत जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज किया गया था।
उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के खिलाफ भी पूर्व में एक महिला की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने बलात्कार का मामला दर्ज किया ।असम की रहने वाली 32 साल की एक महिला ने दिल्ली के सफदरजंग थाने में शिकायत देकर कहा कि वो जंगपुरा इलाके में रहती है, उसके साथ ग्रीन पार्क इलाके में रेप किया गया। हालांकि हरक सिंह उस मामले में डीएनए टेस्ट के बाद पाक साफ होकर निकले थे , लेकिन तिवारी सरकार में उन्हें अपनी कुर्सी गवानी पड़ी थी।
ऐसा ही एक मामला उत्तराखंड के पूर्व दावित्यधारी मंत्री मसूद मदनी के खिलाफ भी सामने आया था। जिसमें पुलिस ने एक महिला से रेप करने के आरोप में मंत्री मसूद मदनी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। मदनी जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी के सगे भाई हैं। वह उत्तराखंड में नारायण दत्त तिवारी की सरकार में दावित्यधारी राज्यमंत्री थे।
इन सब मामलों में सबसे चर्चित मामला उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का रहा। मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के बेटे रोहित शेखर को नारायण दत्त तिवारी के बेटे कहलाने के लिए लंबे समय तक कानूनी संघर्ष करना पड़ा था।
दरअसल ,रोहित शेखर ने दावा किया था कि एनडी तिवारी उनके जैविक पिता हैं और इसे साबित करने के लिए उन्होंने साल 2008 में कोर्ट में मुकदमा दायर किया था, जिस पर कोर्ट ने डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया था। पहले तो एनडी तिवारी ने डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल देने से इनकार कर दिया था ,लेकिन बाद में इसके लिए तैयार हुए।
साल 2012 में दिल्ली हाईकोर्ट ने तिवारी की डीएनए रिपोर्ट के रिजल्ट की घोषणा करते हुए कहा था कि नारायण दत्त तिवारी दिल्ली निवासी रोहित शेखर के बायोलॉजिकल पिता हैं। इस मुकदमे के बाद ही एनडी तिवारी ने रोहित की मां उज्जवला तिवारी से 88 साल की उम्र में शादी की। दरअसल, उज्जवला से एनडी तिवारी के पुराने प्रेम संबंध रहे, मगर उन्होंने शादी नहीं की थी। विवाद सुलझने के बाद उज्ज्वला एनडी तिवारी के लखनऊ वाले घर में रहने लगी थी।