हाल में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में से उत्तर प्रदेश समेत के चार राज्यों में भाजपा ने भगवा लहराने के बाद अब खासकर मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का उत्साह बढ़ गया है। मध्य प्रदेश में 2023 में विधानसभा चुनाव हैं इसके लिए पार्टी अभी से तैयारियों में जुट गई है। पार्टी चार राज्यों की जीत के माहौल को अगले साल नवंबर यानी चुनाव की तारीखों तक बनाए रखने की कोशिश करेगी।
मिशन 2023 के लिए भाजपा ने पीएम नरेंद्र मोदी के विकास कार्यों को आगे रख चुनाव में उतरने का एलान कर दिया है। उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में पार्टी की जीत के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है, ‘पीएम मोदी जनता के विश्वास और श्रद्धा के केंद्र बने हुए हैं, विधानसभा चुनाव में पार्टी को शानदार जीत मिली है। ’ सीएम शिवराज ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कहा है कि पार्टी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव में जीत के लिए प्रस्थान करेगी।
दरअसल मध्य प्रदेश 2024 लोकसभा चुनावों के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। सत्तारूढ़ दल भाजपा जहां कदमों की चाल तेज कर दी है। वहीं विपक्षी दल कांग्रेस पदों के लिए तीन तेरह की स्थिति है। इसके बावजूद नेताओं में नेतृत्व को लेकर होड़ मची हुई है।
गौरतलब है कि प्रदेश में अब तक ना धार्मिक कट्टरता और ना ही कट्टर जातिवाद के साए में चुनाव हुए हैं। दो दलीय व्यवस्था में सत्ता परिवर्तन भाजपा और कांग्रेस के बीच आता – जाता रहा है। इसमें भी 1993 से लेकर 2003 तक काग्रेस की सरकार रही और मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह रहे 2003 में सत्ता परिवर्तन हुआ। भाजपा की सरकार बनी उमा भारती मुख्यमंत्री बनी। लगभग 8 महीने बाद उमा भारती को मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा। इसके बाद बाबूलाल गौर बने और लगभग डेढ़ साल तक मुख्यमंत्री रहे लेकिन उन्हें भी इस्तीफा देना पड़ा और नवंबर 2005 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जो अभी तक है और प्रदेश में सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बना चुके हैं।
केवल 2018 में कांग्रेसी सरकार कमलनाथ मुख्यमंत्री और 15 महीने बाद उन्हें भी इस्तीफा देना पड़ा और चौथी बार शिवराज सिंह मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लंबा कार्यकाल ना केवल रिकॉर्ड बना रहा है। वरन दल के अंदर सदन के बाहर चुनौती विहीन भी कर रहा है। इसके लिए 2023 का विधानसभा का चुनाव बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जहां 2018 की तरह कांग्रेस सत्ता में वापसी की उम्मीदें पाले हुए हैं। वहीं भाजपा किसी भी प्रकार की चूक नहीं करना चाह रही है। यही कारण है कि प्रदेश में समय के पूर्व सत्ता संघर्ष तेज हो गया है।
बहरहाल, भाजपा में सत्ता और संगठन की सक्रियता बता रही है उसके लिए 2023 कितना महत्वपूर्ण है और 2018 के परिणाम के बाद वह कांग्रेस से कितनी सतर्क और सावधान है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 25 से 27 तक मंत्रियों के साथ पचमढ़ी में चिंतन करके जो रोडमैप तैयार किया है। उसको यदि जमीन पर उतारने में सरकार और पार्टी सफल हो गई तो एक बार फिर 2023 में पार्टी कांग्रेस के मंसूबों पर पानी फेर सकती है। चिंतन शिविर में जिस तरह से अब तक पार्टी के लिए सरकार के लिए लोकप्रियता दिलाने वाली सामाजिक सरोकारों की योजनाओं का मेकअप किया गया है। उससे वे योजनाएं एक बार फिर आम जनता को प्रभावित कर सकती है। उस पर मुख्यमंत्री के साथ साथ मंत्रियों की सक्रियता का जो संकल्प लिया गया है। यदि मंत्री भी मैदान में सक्रिय हो गए तो फिर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इन सब बातों को कांग्रेस के नेता भी समझ रहे हैं और पार्टी हाईकमान के सामने गुहार लगा रहे हैं।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की सोनिया गांधी से हुई मुलाकात इन्हीं संदर्भों में देखी जा रही है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ 2023 में सरकार बनाने के लिए पूरी तरह आश्वस्त है। इसके लिए वे मंडल और सेक्टरों के माध्यम से जमीनी जमावट को आधार मान रहे हैं और उनका आत्मविश्वास 2018 के पहले 6 महीनों में की गई इसी तरह की जमावट जमाने का है।
कुल मिलाकर प्रदेश में 2023 के विधानसभा के आम चुनाव को दोनों ही दल बेहद महत्वपूर्ण मान रहे हैं। यही कारण है किस समय से पूर्व राजनीतिक दलों ने जहां तैयारियां तेज कर दी हैं। वहीं नेताओं के बीच व्यक्तित्व को लेकर भी छटपटाहट है।
नरोत्तम का तंज- मप्र-छग और राजस्थान में भी घर बैठेगी कांग्रेस
प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है, ‘एमपी कांग्रेस के ‘घर-घर चलो अभियान’ का क्रियान्वयन पांच राज्यों में बेहतर तरीके से हुआ है। पांचों राज्यों में जनता ने कांग्रेस को घर बिठा दिया है। गृह मंत्री ने कहा है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस पूरी तरीके से घर में बैठी नजर आएगी। कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी 2022 के चुनाव नतीजे असर दिखाएंगे।
करारी हार के बाद कांग्रेस में मंथन
पांच राज्यों में मिली पार्टी की हार से उभरना कांग्रेस पार्टी के लिए अब बड़ी चुनौती बन गया है। कांग्रेस को अगले साल मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जाना है। पांच राज्यों के चुनाव नतीजे कांग्रेस पार्टी के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। करारी हार के बाद कांग्रेस मंथन के दौर में है। पूर्व सीएम कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा, ‘पांच राज्यों के चुनाव नतीजे उम्मीद के विपरीत हैं, लेकिन नतीजों की समीक्षा होगी और कमियों को दूर किया जाएगा। कांग्रेस पार्टी के सामने चुनौती है कि कैसे मध्यप्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरा जाए।
2018 जैसा नहीं होगा मुकाबला
बहरहाल 2018 के चुनाव में कांटे के मुकाबले के बाद यह तय माना जा रहा था कि 2023 का चुनाव भी बीते चुनाव की तरह कांटे का होगा, लेकिन चार राज्यों में मिली बीजेपी की जीत और कांग्रेस को पांच राज्यों में मिली हार का असर यदि मध्यप्रदेश पर दिखाई देगा तो यह तय है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी का भगवा कांग्रेस के पंजे पर भारी साबित होगा।