उत्तर प्रदेश में भले ही शानदार बहुमत के साथ भाजपा ने दोबारा सरकार बना ली हो, भाजपा आलाकमान समाजवादी पार्टी को 2017 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस दफे मिली लगभग ढाई गुना अधिक सीटों को लेकर खासी चौकन्नी हो चली है। इस चुनाव में सपा को कुल 111 सीटों पर जीत हासिल हुई है जो 2017 में मिली कुल 47 सीटों से ढाई गुना के करीब हैं। 25 सीटें ऐसी रही हैं जिनमें सपा के उम्मीदवार बहुत कम अंतर से चुनाव हारे हैं। बिजनौर की धामपुर सीट भाजपा ने मात्र 203 मतों के अंतर से जीती तो कई सीटों पर सपा की सहयोगी आरएलडी के प्रत्याशी कुल 315 वोट के अंतर चलते हारे। इसी प्रकार नहतूर सीट में आरएलडी प्रत्याशी मात्र 258 वोट के अंतर से पराजित हुए हैं। अलीगंज, औरेया, बहराइच, चिबरामऊ, फरीदपुर, मधुबन आदि कई सीटों में भी हार और जीत का अंतर बहुत कम रहा है।
खबर जोरों पर है कि कभी न थकने वाला भाजपा आला नेतृत्व 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारियों के लिए कमर कस चुका है। उत्तर प्रदेश पर उसका विशेष फोकस है और वह किसी भी कीमत पर समाजवादी पार्टी को लोकसभा चुनाव में बढ़त नहीं लेने देना चाहता है। 2019 के लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से 62 सीटें भाजपा के खाते में गई थी और सपा के हिस्से कुल जमा 5 सीटें आई थी। एनडीए गठबंधन के दलों को मिला लें तो यह गठबंधन 64 सीटें जीता था। अपनी जीत को और दमदार बनाने के लिए भाजपा ने अभी से समाजवादी कुनबे में तोड़-फोड़ की तैयारियां शुरू कर दी हैं। चर्चा जोरों पर है कि अपने भतीजे अखिलेश यादव से बेहद नाराज चल रहे शिवपाल यादव जल्द ही ससम्मान भाजपा में शामिल कराए जा सकते हैं। अटकलों का बाजार गर्म है कि शिवपाल को भाजपा विधानसभा उपाध्यक्ष बनाने जा रही है। इससे पहले 2017 की निर्वाचित विधानसभा में लंबे अर्से तक खाली रखे गए इस पद पर सपा के बागी विधायक नितिन अग्रवाल को विधानसभा के अंतिम दिनों में बैठाया गया था। नितिन के पिता नरेश अग्रवाल कभी सपा के दिग्गज नेता हुआ करते थे, वो भी अब भाजपा के हो चुके हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि मुलायम सिंह यादव की बहु अपर्णा यादव पर भी भाजपा नेतृत्व की कृपा बरसने वाली है। गत् विधानसभा चुनावों से ठीक पहले भाजपा में शामिल हुई अपर्णा चुनाव लड़ना चाहती थीं लेकिन उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया। अब चर्चा उन्हें गौसेवा आयोग का अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर हो रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा का जोर अब यादव वोट बैंक में सेंधमारी कर सपा की नींव पर चोट करना है। इसलिए वह बड़े स्तर पर मुलायम सिंह यादव के कुनबे में सेंधमारी करने जा रही है।