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पश्चिम बंगाल  में परचम लहराने की तैयारियों में जुटी भाजपा 

पश्चिम बंगाल  में अगले साल  2021 के अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं।इस बार राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस का कड़ा मुकाबला बीजेपी से माना जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल में अपना परचम लहराने के लिए हर संभव प्रयासरत है और इसके लिए  उसने तैयारी भी शुरू कर दी है। इस बीच  भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई ने राष्ट्रीय नेतृत्व से  विधानसभा चुनावों से पहले राज्य में अपना अभियान शुरू करने के लिए छह केंद्रीय मंत्रियों की मांग की है।

कल 23 सितंबर को पश्चिम बंगाल बीजेपी की कोर कमेटी की बैठक में पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय सहित राज्य के नेताओं ने केंद्रीय मंत्रियों स्मृति ईरानी, पीयूष गोयल, प्रहलाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर, धर्मेंद्र प्रधान और किरेन रिजिजू को भेजने के लिए केंद्र से  आग्रह किया  है।  पार्टी सूत्रों के मुताबिक  मंत्री करीब डेढ़ महीने तक प्रचार करेंगे और उसके बाद पार्टी अगला सफर  तय करने के लिए बैठक करेगी।

एक ओर जहां ईरानी बंग्ला में धाराप्रवाह बोलती हैं,तो प्रधान ओडिशा राज्य की सीमा  से सटे इलाकों में प्रचार कर सकते हैं वहीं  रिजिजू उत्तरपूर्वी राज्यों के पास के इलाकों में प्रचार करेंगे।  इसके साथ ही  तोमर कृषि बिल के मुद्दे पर लोगों को संबोधित कर सकते हैं। माना जा रहा है कि  पश्चिम बंगाल में रेलवे का व्यापक नेटवर्क है, इसलिए गोयल का असर हो सकता है  और पटेल संस्कृति और युवाओं पर केंद्रित  इलेक्शन नैरेटिव में फिट होंगे।

दूसरी ओर भाजपा के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस नरम हिंदुत्व का दांव चल रही है। ममता बनर्जी सरकार की आठ हजार  ब्राह्मण पुजारियों को हर महीने एक हजार रुपए भत्ता और मुफ्त आवास देने की पहल को मुस्लिम समर्थक छवि से निकलने की कोशिश मानी जा रही है।

वाम मोर्चा को हराकर सत्ता में वापसी के एक साल बाद वर्ष 2012 में तृणमूल ने मस्जिदों के इमाम को हर महीने 25 सौ रुपए  और मुअज्जिन को 15 सौ रुपए  भत्ता देने की व्यवस्था बनाई। दरअसल, तृणमूल बंगाल में तकरीबन 30 फीसदी आबादी को साधना चाहती थी। हालांकि, 2013 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने सरकार के इस फैसले को असंवैधानिक  और जनहित के खिलाफ बताया था।

इसके बावजूद ममता  सरकार ने अपने फैसले को वापस नहीं लिया। भाजपा की ओर से ममता पर लगातार अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया जाता था है। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद सौगत रॉय ने कहा, हम भाजपा की तरह सांप्रदायिक राजनीति में विश्वास नहीं रखते हैं।

हमारा मकसद पीड़ित व्यक्तियों और समुदायों की सहायता करना है। पार्टी का कोई धार्मिक एजेंडा नहीं है। वहीं, पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता ने कहा, भाजपा हमें हिंदू विरोधी कहकर प्रचारित करती रही है। उनके सदस्य खुद को हिंदुत्व के सबसे बडे़ ठेकेदार बताते हैं, इसलिए हमने समावेशी विकास के संदेश के साथ जनता के बीच, विशेषकर हिंदू समुदाय तक अपनी पहुंच बढ़ाने का निर्णय लिया।

वहीं भाजपा की रणनीति है कि जल्द ही राज्य में बड़े पैमाने पर अभियान शुरू करने की , जो ‘राजनीतिक हत्या, लोकतंत्र की हत्या और राज्य में अराजकता’ पर केंद्रित होगी।  पार्टी लोगों को यह बताने की कोशिश करेगी कि तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल के सांस्कृतिक और सामाजिक चरित्र को बदलने की कोशिश कर रही है। बीजेपी तृणमूल पर मुस्लिमों को लुभाने के लिए तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप भी लगाती रही है।  बीजेपी का दावा है कि इसमें बांग्लादेश से अवैध अप्रवासी शामिल है।

पार्टी ने गृह मंत्री अमित शाह से राज्य में युवाओं के ‘कट्टरपंथीकरण’ के खिलाफ हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए कहा है कि राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी राज्य को ‘आतंकवाद की जमीन’ में बदलने की कोशिश कर रही है। पार्टी सूत्रों ने कहा कि 8 अक्टूबर को बीजेपी की युवा शाखा युवा मोर्चा ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ कोलकाता में एक विरोध रैली निकालेगी।

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