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ममता का किला भेदने को बेताब है भाजपा

 पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।  राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच इस चुनाव में जबर्दस्त भिड़ंत के आसार बन रहे हैं। भाजपा की पूरी कोशिश है कि वह इस बार  ममता बनर्जी  के गढ़ को भेद डाले। राज्य में  जैसे -जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा  हैं ,राजनीतिक हिंसा भी  बढ़ती ही जा रही है।हालात यह हैं कि बीजेपी नेताओं की हत्याओं के खिलाफ बीजेपी ने “नबन्ना चलो” आंदोलन किया। आंदोलन के दौरान बीजेपी  कार्यकर्ताओं के साथ  बर्बरता का आरोप पुलिस पर लगाया गया। केस दर्ज कराने गए सांसदों की पुलिस ने नहीं सुनी। इससे नाराज युवा सांसद तेजस्वी सूर्या  अब ममता बनर्जी पर विशेषाधिकार हनन का केस करेंगे।

तेजस्वी सूर्या ने कहा कि जरासांको पुलिस स्टेशन में ममता के पुलिस अधिकारियों ने भाजपा के तीन सांसदों को बंधक बना लिया। यहां पर सांसद भाजयुमो कार्यकर्ताओं पर बम से किए गए हमले की शिकायत लेकर पहुंचे थे। सांसद एफआईआर दर्ज कराना चाहते थे लेकिन पुलिस ने उन्हें ही थाने में बैठा लिया और उनका केस दर्ज करने से इनकार कर दिया।

पश्चिम बंगाल में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं राज्य की सरकार पर लगातार हमलावर भारतीय जनता पार्टी  एक के बाद एक अपने नेताओं का बंगाल दौरा करा रही है। हाल ही में भारतीय जनता युवा मोर्चा  के राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त हुए तेजस्वी सूर्या भी बंगाल पहुंचे। यहां ना सिर्फ  ममता सरकार पर जमकर बरसे बल्कि, पार्टी के कई कार्यकर्ताओं के संग राज्य सचिवालय तक मार्च में भी शामिल हुए।

तेजस्वी सूर्या ने बंगाल पुलिस पर तीन सांसदों को बंधक बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि हमारी शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने के लिए हमने आधी रात को 2 घंटे से अधिक समय तक इंतजार किया। पुलिस ने एफआईआर करने के बजाय तीन सांसदों के साथ  हाथापाई की। हम विशेषाधिकार के उल्लंघन के लिए एक प्रस्ताव दायर करेंगे और ममता की पुलिस को सबक सिखाएंगे।

भाजपा कार्यकर्ताओं ने कल आठ अक्टूबर को राज्य  की कानून व्यवस्था को लेकर ‘नबन्ना मार्च’ किया। इस दौरान दोनों शहरों के कई हिस्से भी प्रभावित हुए। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले भी छोड़े। पुलिस की कार्रवाई में भाजपा के कई नेता एवं कार्यकर्ता घायल हो गए।

अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम (एनडीएमए) का उल्लंघन करने को लेकर भाजपा के 100 से अधिक समर्थकों को हिरासत में लिया गया। यह अधिनियम कोरोना महामारी के कारण 100 से अधिक लोगों के एकत्र होने और राजनीतिक रैली करने पर रोक लगाता है।

भाजयुमो अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने कहा कि युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं पर बम बरसाए गए। हमने इसको लेकर  पुलिस से एफआईआर दर्ज करने की अपील की, लेकिन पुलिस ने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि पुलिस के पास दो विकल्प हैं: या तो कानून के अनुसार एफआईआर दर्ज करें या वर्दी हटाएं और टीएमसी पार्टी का झंडा लगाएं।

एक ओर जहां पश्चिम बंगाल  कोरोना  महामारी की मार झेल रहा है, वहीं प्रदेश में खूनी राजनीति का सिलसिला  थमता नहीं दिख रहा है।अगले साल अप्रैल-मई में पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या सहित कई राजनीतिक हत्या की घटना देखने को मिली हैं। भाजपा के बैरकपुर सांसद अर्जुन सिंह के करीबी सहयोगी मनीष शुक्ला को बीते हफ्ते  गोली मारे जाने की घटना प्रदर्शन की तात्कालिक वजह थी।

वहीं, पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, राष्ट्रीय सचिव अरविंद मेनन और प्रदेश प्रमुख दिलीप घोष सहित पार्टी के शीर्ष नेताओं ने प्रदर्शनों का नेतृत्व किया। भाजयुमो प्रमुख और बेंगलुरू दक्षिण से सांसद तेजस्वी सूर्या भी प्रदर्शन के दौरान मौजूद थे।

हजारों की संख्या में पुरुषों और महिलाओं के राज्य सचिवालय ‘नबन्ना की ओर मार्च करने के दौरान पुलिस और दंगा रोधी रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) से उनकी झड़प हुई। प्रदर्शन के दौरान पथराव हुआ, सड़कों को जाम किया गया और टायरों में आग भी लगाई गई। इस दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा अवरोधक लांघने की कोशिश करने पर पुलिस के साथ उनकी कई स्थानों पर झड़प हुई।

भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा, ”ममता दीदी द्वारा राज्य की शक्ति के दुरुपयोग के बावजूद हम बंगाल की जनता के साथ खड़े हैं। हमारे भाजयुमो के बहादुर कार्यकर्ताओं ने उन्हें सचिवालय को बंद करने पर बाध्य कर दिया। यह इस बात की स्वीकारोक्ति है कि उन्होंने जनता का विश्वास खो दिया है।

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