देश में लोकसभा चुनाव होने में अभी लगभग 20 महीने बाकी है,लेकिन बिहार में भाजपा ने तैयारी अभी से शुरू कर दी है।इसके लिए खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बिहार आ रहे है। इस दौरान गृहमंत्री अमित शाह 23 सितंबर को पूर्णिया और 24 सितंबर को किशनगंज रैली करेंगे। अमित शाह मुख्य रूप से बिहार के सीमांचल इलाकों का दौरा कर रहे हैं,जिसे आरजेडी के यादव-मुस्लिम समीकरण और महागठबंधन के गढ़ के रूप में देखा जाता है। माना यह भी जा रहा है कि, अमित शाह महागठबंधन के मजबूत दुर्ग में मोदी सरकार की उपलब्धियों को गिना कर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ माहौल बनाकर बिहार में फतेह करने की राजनीतिक बिसात बिछाएंगे।
भाजपा ने शुरू से ही सीमांचल को अपने टारगेट में इसलिए रखा है,क्योंकि इलाका काफी संवेदनशील माना जाता है। सीमांचल में 40 से 70 फीसदी आबादी अल्पसंख्यकों की है। इस इलाके में बांग्लादेशी घुसपैठ एक बड़ा मुद्दा है। ऐसे में अमित शाह अपने सीमांचल दौरे पर इस मुद्दे को रैली में उठा सकते हैं।सीमांचल के जिलों में मुस्लिमों की बड़ी आबादी है, जिसके चलते भाजपा जनसंख्या के असंतुलन और घुसपैठ को मुद्दा बनाती रही है। इतना ही नहीं महागठबंधन के दलों पर इस इलाके में तुष्टिकरण के आधार पर वोटों खींचने का आरोप लगाती रही है।जेडीयू के साथ होने के चलते भाजपा खुलकर हिंदुत्व कार्ड नहीं खेलती थी, लेकिन बदले हुए माहौल में अपने एजेंडे पर राजनीतिक समीकरण सेट करने का मौका दिख रहा है। इस दौरान अमित शाह सीमांचल में घुसपैठ की समस्या उठा सकते हैं तो साथ ही अल्पसंख्यक समुदाय को अपनी तरफ खींचने के लिए केंद्र सरकार की योजनाओं को उनके सामने रखेंगे।
वहीं अमित शाह के सीमांचल दौरे पर जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहना है कि,बिहार में भाजपा सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने की कोशिशों में जुट गई है। यह बात केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की पहली यात्रा के लिए जगह के चुनाव में नजर आ गई है, लेकिन भाजपा इसका कोई फायदा नहीं होगा। इसके साथ उन्होंने कहा कि, बिहार में सांप्रदायिकता को भुनाने की भाजपा की योजना उसी तरह विफल हो जाएगी जैसे उसने पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में की थी।
गौरतलब है कि,भाजपा बिहार में 2024 के लोकसभा और 2025 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी जमीन तैयार करने में जुटी हुई है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 4 सीटों में से 1 सीट अररिया से जीत सकी थी,वहीं भाजपा गठबंधन में रहते हुए जेडीयू को कटिहार और पूर्णिया लोकसभा सीट मिली थी। इसके अलावा किशनगंज सीट से कांग्रेस को जीत मिली थी।अब जेडीयू ने रास्ते अलग कर लिए हैं तो भाजपा यहां एक बार फिर से चार की सीटों सीटों पर जीत के लिए प्लान बना रही है। यही नहीं सीमांचल के इलाके में कुल 24 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें से 16 पर महागठबंधन का कब्जा है।कांग्रेस के 5 आरजेडी के पास सात सीटें हैं तो जेडीयू के पास 4 सीटें हैं। भले ही यह इलाका मुस्लिम बहुल है,लेकिन यहां अति पिछड़ा और पिछड़ा वोटर की भी अच्छी खासी आबादी है।आरजेडी यहां पर मुस्लिम-यादव समीकरण के जरिए मजबूत मानी जाती है तो जेडीयू मुस्लिम और अति पिछड़ों के दम पर जीतती रही है। सीमांचल में मुस्लिम वोटों के सहारे असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी सीमांचल में 5 सीटें जीतकर बिहार में दमदारी के साथ एंट्री की थी, लेकिन बाद में उसके 4 विधायक आरजेडी के साथ चले गए हैं। फिर भी पार्टी सीमांचल में सक्रिय हैं तो भाजपा भी शाहनवाज हुसैन के सहारे अपनी सक्रियता दर्ज कर रही है क्योंकि भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन किशनगंज सांसद रह चुके है।
क्या है भाजपा की रणनीति?
देश में वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले है। इसी की सहारे भाजपा बिहार में अपनी खोई हुई जमीन तलाशने में जुट गई है। भाजपा में राज्य में वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान 39 सीटों पर जीत दर्ज की थी,जिसमें जदयू को 16 सीट मिले थे। अब नई परिस्थितियों में भाजपा के पास या एनडीए के पास कुल 23 सीट ही बची हुई है। वर्ष 2024 के लिए नीतीश कुमार के बिना भी भाजपा ने 35 सीटों का लक्ष्य निर्धारित किया है। अमित शाह का यह दौरा इसी मुहिम की पहली और महत्वपूर्ण कड़ी मानी जा रही है। पिछली बार जब अमित शाह दौरे पर थे,तो उन्होंने पटना के नेताओं से मुलाकात की थी और 40 सीटें जीतने की बात कही थी। भाजपा से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलग होने के बाद दिल्ली में भाजपा कोर ग्रुप की बैठक हुई थी, जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह शामिल थे। इसी दौरान बिहार में लोकसभा और विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति तैयार की थी। भाजपा मिशन-35 को पूरा करने के लिए निकट भविष्य के अंदर बिहार भाजपा सांगठनिक तौर पर बड़े बदलाव किए जाएंगे। साथ ही केंद्रीय नेता राज्य के अलग-अलग क्षेत्र का दौरा करके नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों को गिनाएंगे और भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश करेंगे। गृहमंत्री अमित शाह का 2 महीने के भीतर बिहार का ये दूसरा दौरा होने जा रहा है। हालांकि, इसे लेकर महागठबंधन के नेता अलर्ट हैं, उनका कहना है कि सीमांचल में भाजपा का आज भी कोई अस्तित्व नहीं है।