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राज्यसभा में BJP हुई मजबूत, बहुमत के लिए अब चाहिए केवल 22 सीट

राज्यसभा चुनाव रिजल्ट आने के बाद कल जीते हुए 61 सदस्यों में से 41 को शपथ दिलावाई गई। बाकी के बचे सदस्य बाद में शपथ लेंगे।

राज्यसभा चुनाव रिजल्ट आने के बाद कल जीते हुए 61 सदस्यों में से 41 को शपथ दिलावाई गई। बाकी के बचे सदस्य बाद में शपथ लेंगे। इसके बाद उच्च सदन के समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं। अब राज्यसभा में कांग्रेस और कमजोर हो गई है जबकि भाजपा की स्थिति पहले से अधिक मजबूत हुई है। देखा जाए तो कांग्रेस की ताकत उच्च सदन में अब भाजपा के आधी से भी कम रह गई है। जबकि एनडीए ने 100 का आंकड़ा पार कर बहुमत की तरफ कदम बढ़ा दिया है।

बावजूद इसके एनडीए को अभी भी 22 सीटों की जरूरत है। वर्ष 1990 के बाद से राज्यसभा में किसी भी पार्टी के पास बहुमत नहीं रहा है। कांग्रेस उसके पहले राज्यसभा में बहुमत में थी। नरेंद्र मोदी सरकार को पिछले छह सालों उच्च सदन में बहुमत न होने के कारण कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

हालांकि, मोदी सरकार ने 17वीं लोकसभा में सभी नाजुक मौकों पर जोड़-तोड़ कर विपक्ष पर बढ़त बनाने में कामयाब होती रही है। जैसा कि मालूम है 245 सदस्यों वाले राज्यसभा में बहुमत के लिए 123 सीटों की जरूरत होती है। अब इन द्विवार्षिक चुनाव के बाद भाजपा की संख्या 85 सांसदों की हो गई है। ऐसे में एनडीए दल के सांसदों की संख्या 102 हो गई है।

देखा जाए तो अब राजग और बहुमत के बीच केवल 22 सीटों का फासला बाकी है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस की स्थिति राज्यसभा में लगातार कमजोर हुई है। कांग्रेस के केवल 40 सांसद उच्च सदन में रह गए हैं। अब यूपीए सांसदों की संख्या 65 है। इस तरह एनडीए और यूपीए के बीच दुगना का अंतर आ गया है।

ऐसे हालात में दोनों गठबंधन से अलग दलों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। उल्लेखनीय है कि साल 1990 के पहले कांग्रेस के पास राज्यसभा में बहुमत होता था। अधिकांश राज्यों में उस समय कांग्रेस की सरकारें होती थी जबकि 1990 के बाद स्थिति बिलकुल बदलने लगी। बीते तीस दशक बाद कांग्रेस अपने न्यूनतम पर पहुंच गई है। दूसरी तरफ भाजपा ने लगातार बढ़त हासिल की है और पहली बार उच्च सदन में वह उच्चतम संख्या पर पहुंची है।

सदन के इन आंकड़ों का सीधा असर विधायी कामकाज पर पड़ता है। इससे सरकार के लिए स्थितियां आसान होती है। कांग्रेस और यूपीए के कमजोर होने से इसका सीधा फायदा एनडीए को होगा और सबसे अधिक भाजपा को। अब यूपीए को उच्च सदन में बहुत अधिक दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। क्योंकि कई गैर यूपीए दल सरकार के नजदीक हैं और मौके पर मौके उसका समर्थन भी करते रहते हैं।

बीजू जनता दल (बीजेडी), ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) जैसे दल मोटे तौर पर कांग्रेस विरोधी है और समय-समय पर उसका समर्थन भाजपा को मिलता रहा है। ऐसे में जितना आकड़ा बहुमत के लिए एनडीए को चाहिए वह इन दलों से पूरा हो जाएगा।

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