लोकसभा चुनाव के बाद अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. सत्ताधारी बीजेपी-शिवसेना आम चुनाव के तर्ज पर ही इस बार के विधानसभा चुनाव में मिलकर कांग्रेस-एनसीपी का मुकाबलाकरेंगी। इसके लिए बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के बीच सीटों पर समहति बनी हुई है, लेकिन दोनों दलों के बीच मुख्यमंत्री पद का फॉर्मूला अभी भी तय नहीं है।
लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया। हालांकि कहानी यहीं खत्म नहीं होती, बल्कि शुरू होती है ,कुछ ही महीने बाद सूबे में होने वाले विधानसभा चुनाव तक इस गठबंधन को बरकरार रखते हुए ऐसी ही सफलता को दोहराने की बड़ी चुनौती है. इसके लिए दोनों दलों के बीच सीट शेयरिंग का फॉर्मूला पहले से ही तय है। महाराष्ट्र की कुल 288 विधानसभा सीटों में से बीजेपी-शिवसेना दोनों दल बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. इसका मतलब यह है कि 144 सीटों पर शिवसेना और 144 सीटों पर बीजेपी अपनी किस्मत आजमाएंगी।
विधानसभा चुनावों को लेकर दोनों दलों के बीच तालमेल बन चुका है। दोनों दलों में सत्ता में बराबर की हिस्सेदारी के तहत साथ चुनाव लड़ने की सहमति बनी है। इसके तहत राज्य में कुल 288 विधानसभा सीटों पर दोनों दल आधी-आधी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। इसी प्रकार दोनों दलों के मुख्यमंत्री आधे-आधे कार्यकाल के लिए बनाए जा सकते हैं। तीसरे, अपने छोटे सहयोगी दलों को भाजपा या शिवसेना अपने-अपने हिस्से से सीटें देनी होंगी।
हाल में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 25 और शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा और शानदार जीत हासिल की थी। पिछला लोकसभा चुनाव भी दोनों दलों ने साथ लड़ा था। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में दोनों दल अलग-अलग लड़े लेकिन बाद में मिलकर सरकार बना ली। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव के वक्त ही दोनों दलों में विधानसभा चुनाव साथ लड़ने की सहमति बन गई थी।
दरअसल महाराष्ट्र की सियासत में 2014 से पहले शिवसेना राज्य में बीजेपी के बड़े भाई की तरह व्यवहार करती रही है. इसी का नतीजा है कि सूबे की कुल 288 विधानसभा सीटों में से 171 सीटों पर शिवसेना और 117 सीटों पर बीजेपी लड़ती रही,शिवसेना अधिक सीटों पर लड़ती थी, तो अधिक सीटें जीतती भी थी ,हालांकि लड़ी गई सीटों पर जीत का प्रदर्शन बीजेपी का ही बेहतर रहता था. लेकिन सीटों की कुल संख्या में पीछे रह जाने के चलते बीजेपी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी में पीछे रह जाती थी। 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी बराबरी की सीटों पर लड़कर अधिक सीटें जीतने वाले को मुख्यमंत्री पद देने की मांग पर अड़ गई. नतीजा रहा कि गठबंधन टूट गया. पिछले विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र की सियासत बीजेपी का ग्राफ बढ़ने के बाद शिवसेना भी इस बात को बाखूबी समझ चुकी है कि बराबर-बराबर सीटों के फॉर्मूले पर चुनाव लड़कर अपनी ताकत का एहसास करें।