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भाजपा-शिवसेना की राजनीति में पिस रहे अभिनेता सोनू सूद?

भाजपा-शिवसेना की राजनीति में पिस रहे अभिनेता सोनू सूद?

मायावी नगरी मुंबई में सोनू सूद एक मध्यम सिनेमाई कलाकार है। वह छोटे बजट की फिल्मों में काम करके अभिनेताओं में अपना नाम शुमार कर रहे हैं। लेकिन इसी दौरान अभिनेता सोनू सूद महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा नाम बन कर सामने आए हैं। सोनू सूद अब ना केवल अभिनेताओं से बल्कि राजनेताओं से भी बड़े कद वाले हो गए हैं।

कारण यह है कि उन्होंने करीब 17000 मजदूरों को उनके घर पहुंचाया है। बसों से ट्रेनों से यहां तक की हवाई जहाज तक से सोनू सूद ने अपने पैसे से प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचा कर महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है। पिछले एक महीने से सोनू सूद प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने में तल्लीनता से लगे हुए थे  तब किसी को भी उनमें राजनीति नहीं नजर आ रही थी।

 

लेकिन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सोनू सूद को राजभवन में बुलाकर शाबाशी क्या दी, सत्तासीन पार्टी शिवसेना की नींद उड़ गई। शिवसेना को अचानक सोनू सूद में राजनीति नजर आने लगी। जिस सोनू सूद के कार्य की सराहना शिवसेना युवराज आदित्य ठाकरे कर चुके हैं। अचानक उस सोनू सूद में शिवसेना को भाजपा का राजनीतिक प्यादा दिखने लगा।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में सोनू सूद को लेकर जमकर निशाने साधे । यहां तक कि अभिनेता सोनू सूद को शिवसेना ने भाजपा की कठपुतली तक बता दिया। इसके बाद सोनू सूद भाजपा और शिवसेना की राजनीति में पिसते नजर आने लगे हैं। शायद यही वजह है कि सोनू सूद एक दिन पहले मातोश्री भवन गए। जहां वह मुख्यमंत्री उधव ठाकरे से मिले। सोनू सूद ने मुख्यमंत्री से मिलकर स्पष्ट किया कि वह कोई राजनीति नहीं करना चाहते हैं, ना चुनाव लड़ना चाहते हैं। वह तो सिर्फ प्रवासी मजदूरों की सहायता करना चाहते हैं।

हालांकि, सोनू सूद को लेकर भाजपा और शिवसेना में ही राजनीति लकीर नहीं खींची है बल्कि शिवसेना में पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी में भी आपसी मतभेद पैदा हो गए है। दरअसल, शिवसेना के युवराज आदित्य ठाकरे ने कुछ दिन पूर्व ही सोनू सूद की समाज सेवा को बहुत ही महत्वपूर्ण कदम बताया था। इसके साथ ही आदित्य ठाकरे ने ट्वीट किया और कहा कि वह अच्छा काम कर रहे हैं । जबकि दूसरी तरफ शिवसेना के मुखपत्र सामना में एडिटर संजय रावत ने सोनू सूद को भाजपा का मुखौटा तक बता दिया।

 

गौरतलब है कि शिवसेना के अखबार ‘सामना’ में संजय राउत ” रोक-टोक ” नाम से कॉलम लिखते हैं । जिसमें उन्होंने सोनू सूद पर निशाना साधा और कहा कि वह भाजपा के कहने पर मजदूरों को घर भेजने में जुटे हैं। इतना ही नहीं बल्कि संजय राउत ने यह तक कह डाला कि यह उनका पॉलीटिकल मूव है, वह भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं।

संजय राउत ने अचानक से सोनू के महात्मा बनने पर भी सवाल उठा दिए। उन्होंने कहा कि कुछ दिनों में सोनू सूद पीएम मोदी से मिलेंगे और भाजपा के लिए यूपी बिहार में प्रचार करेंगे। इसके साथ ही सामना में सोनू सूद को भाजपा की कठपुतली लिखा गया। इसके बाद भाजपा और शिवसेना की राजनीति में एक दूसरे पर सियासी वार शुरू हो गए। शिवसेना के सांसद संजय राउत ने सोनू सूद को निशाना बनाते हुए भाजपा को आगे कर दिया।

इसके पीछे शिवसेना की सोच यह है कि भाजपा सोनू सूद के जरिए सरकार की खामियों को उजागर कर रही है। क्योंकि महाराष्ट्र सरकार प्रवासी मजदूरों को संभाल नहीं पा रही है, न ही वह प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने में सफल हो रही है। ऐसे में सोनू सूद का प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाना शिवसेना को रास नहीं आ रहा है। हालांकि, सोनू सूद ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह कोई राजनीति नहीं करेंगे। क्योंकि शिवसेना को लग रहा था कि सोनू सूद को आगे खड़ा करके भाजपा सरकार पर वार कर रही हैं।

सोनू सूद प्रकरण में एक बार फिर मुंबई में ‘माय नेम इज खान’ फिल्म की याद दिला दी है। ‘माय नेम इज खान’ फिल्म को लेकर भी शिवसेना और कांग्रेस में आपसी तकरार शुरू हुई थी। जिसमें शाहरुख खान बिल्कुल इसी तरह की भूमिका में थे, जिस तरह आज सोनू सूद है। तब शिवसेना ने ‘माय नेम इज खान’ फिल्म को रिलीज न होने देने के लिए पूरी जान लगा दी थी। जबकि शाहरुख खान को शिवसेना ने कांग्रेस का मोहरा बनाकर यह वार किया था। कुछ ऐसा ही आजकल सोनू सूद के साथ हो रहा है । सोनू सूद पर राजनीति रुकने का नाम नहीं ले रही है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ इस राजनीति से परे हटते हुए सोनू लगातार प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचा रहे हैं।

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