बिहार के नए बने शिक्षा मंत्री डॉ. मेवालाल चौधरी ने आज इस्तीफा दे दिया है। मेवालाल शपथ लेते ही विवादों से घिरे हुए थे। मेवालाल तारापुर से जेडीयू के निर्वाचित विधायक है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने उन पर शपथ समारोह वाले दिन ही आरोप लगाए थे। मेवालाल पर पत्नी की हत्या का आरोप भी लग रहा है।
Newly sworn in Bihar education minister, facing corruption allegations, resigns
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— ANI Digital (@ani_digital) November 19, 2020
गुरुवार की सुबह ही मेवालाल ने अपने ऊपर लगे आरोप का खंडन किया था। लेकिन अब उन्होंने शिक्षा मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताते हुए कहा था कि ”मेरे ऊपर कोई चार्जशीट नहीं है। उन्होंने कहा कि पत्नी की मौत के लिए मुझे जिम्मेदार बताने वालों पर मानहानि का मुकदमा करेंगे। जिस आईपीएस अधिकारी ने यह आरोप लगाए हैं, उनके खिलाफ 50 करोड़ रुपये का मानहानि का केस कर रहा हूं। मेरे खिलाफ कोई तथ्य नहीं है जिसकी जांच की बात हो।” तेजस्वी यादव लगातार मेवालाल पर आरोप लगा रहे थे।
आदरणीय @NitishKumar जी,
श्री मेवालाल जी के केस में तेजस्वी को सार्वजनिक रूप से सफाई देनी चाहिए कि नहीं? अगर आप चाहे तो श्री मेवालाल के संबंध में आपके सामने मैं सबूत सहित सफाई ही नहीं बल्कि गाँधी जी के सात सिद्धांतों के साथ विस्तृत विमर्श भी कर सकता हूँ।
आपके जवाब का इंतज़ार है। https://t.co/TDVGoywFSM
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) November 19, 2020
आज भी तेजस्वी ने उन पर ट्वीट कर निशाना साधा था। तेजस्वी ने अपने ट्वीट में कहा कि ” मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा हत्या और भ्रष्टाचार के अनेक मामलों में IPC की 409, 420, 467, 468, 471 और 120B धारा के तहत आरोपी मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री बनाने से बिहारवासियों को क्या शिक्षा मिलती है।”
मेवालाल पहली बार बिहार कैबिनेट में शामिल हुए है। कृषि विश्वविद्याल में नियुक्ति घोटाले में उनके खिलाफ साबौर थाना में 2017 में मामला दर्ज किया गया था। मेवालाल चौधरी पर सहायक प्राध्यापक और जूनियर वैज्ञानिकों की नियुक्ति में अनियमितता बरतने के आरोप हैं। हालांकि इस मामले में उन्होंने कोर्ट से अंतरिम जमानत ले ली थी। बता दें मेवालाल राजनीति में आने से पहले 2015 में भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति थे। 2015 में कृषि विश्वविद्यालय में सेवानिवृत्ति होने के बाद वह राजनीति में आए। इसके बाद जदयू से उन्हें तारापुर से टिकट मिला और जीत गए। जीतने के बाद उन्हें नीतीश कैबिनेट में शिक्षा मंत्री का पद मिला, और 19 नवंबर को उन्होंने इस्तीफा दे दिया।