सेनानी करो प्रयाण अभय, भावी इतिहास तुम्हारा है,
ये नखत अमाँ के बुझते हैं, सारा आकाश तुम्हारा है।
रामधारी सिंह दिनकर की कविता की यह पंक्ति आज के परिपक्ष पर बुल्कुल सटीक बैठती हैं अग्निपथ योजना को लेकर आज पूरा देश जल रहा हैं इस योजना के विरोध की शुरआत बिहार से शुरू हुई | लेकिन जब भी बड़े आंदोलन की बात होती है, बिहार चर्चा के केंद्र में होता है। गांधी से लेकर आज के छात्र आंदोलन तक इतिहास बनते हैं। बापू के चंपारण सत्याग्रह की बात करें या फिर जेपी के आंदोलन की, देश में बिहार को आंदोलन के लिए अलग पहचान दी है। वैसे इस आंदोलन से पहले जनवरी 2022 में भी बिहार जला था तब मुद्दा आरआरबी एनटीपीसी परीक्षा के परिणाम से था | तब नाराज छात्रों ने ने पूरे बिहार में आंदोलन किया था | उस समय बिहार के कई जिलों में बड़ी तबाही और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहूचा था । अब माना जा रहा है कि आरआरबी एनटीपीसी परीक्षा परिणाम के बाद अग्निपथ योजना में छात्रों का आक्रोश सरकार पर भारी पड़ रहा है। आंदोलन में अभी तक सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। ऐसे में अब आंदोलन की आग काफी खतरनाक होती जा रही है। अब तक राज्य के लगभग 17 जिले आंदोलन की आग में जल रहे हैं पब्लिक ट्रांसपोर्ट और रेल मार्ग को प्रभावित करने के साथ सरकारी संपत्ति को आग के हवाले किया गया है।इस आगजनी में एक 25 साल के युवक की जान भी चली गयी हैं | बिहार एक बार फिर छात्र आंदोलन की चपेट में है। सुलग रही आंदोलन की आग सरकार के लिए ‘अग्निपथ’ बन गई है। आइए जानते हैं बिहार के ऐसे आंदोलनजिसने बनाया इतिहास…
1955 का आंदोलन जिसे नेहरू भी नहीं करा पाए शांत
वर्ष 1955 में बिहार में हुआ छात्र आंदोलन आजाद भारत का पहला प्रोटेस्ट माना जाता है। यह छात्रों का आंदोलन मामूली बात पर शुरू हुआ था, लेकिन देश के लिए इतिहास बन गया था । विवाद राज्य में ट्रांसपोर्ट टिकट काटने के विवाद को लेकर हुआ था। आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में दीनानाथ नाम के एक छात्र की मौत हुई थी। इसके बाद आंदोलन इतना उग्र हो गया कि प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु को पटना आना पड़ा था। इसके बाद भी आंदोलन शांत नहीं हुआ और ट्रांसपोर्ट मंत्री महेश सिंह को इस्तीफा देना पड़ा था।
छात्रों के आंदोलन के वजह से सीएम चुनाव हारे
1967 का छात्र आंदोलन काफी प्रमुख रहा है। यह आंदोलन भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। आंदोलन की आग ऐसी थी कि उस समय के तत्कालीन सीएम केबी सहाय तक को चुनाव में हरा दिया गया था । छात्रों के आंदोलन को महामाया सिन्हा का साथ मिला था और इसका फायदा भी महामाया सिन्हा को मिला। आंदोलन की आग में सत्ता से बाहर हुए के बी सहाय की जगह महामाया सिन्हा की सीएम की गद्दी पर ताजपोशी हुई। छात्रों को जिगर का टुकड़ा बताने वाले महामाया सिन्हा को एक आंदोलन ने बिहार का हीरो बना दिया।
आपातकाल के बाद देश का सबसे बड़ा आंदोलन भी बिहार से शुरू हुआ
वर्ष 1974 में आपातकाल के विरोध में आंदोलन शुरू हुआ था | उस समय छात्रों के आंदोलन पर पुलिस का बड़ा अत्याचार हुआ था। छात्रों की बेरहमी से पिटाई के साथ जेल तक ठूंसने की घटना ने पूरे देश में आग लगा दी। तब आंदोलन की लगाम छात्रों ने जेपी के हाथ में थमा दी। इसके बाद यह आंदोलन संपूर्ण क्रांति में बदल गया। पटना के गांधी मैदान से हुई आंदोलन की शुरुआत ने देश के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा इतिहास बना दिया।
मंडल आयोग के विरोध में आंदोलन से जला था बिहार
वर्ष 1990 में प्रधानमंत्री वीपी सिंह मंडल आयोग लाये । आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की घोषणा के साथ बिहार सवर्ण छात्रों के आंदोलन की आग से जल गया। जाति के आधार पर आरक्षण को हटाने और आर्थिक आरक्षण की मांग को लेकर बिहार में जमकर बवाल मचा। सड़क से लेकर विधानसभा तक छात्रों ने आक्रामक आंदोलन किए। इस आंदोलन में भी सरकारी संपत्तियों को बड़ा नुकसान पहुंचा।