दिल्ली में चुनावी बिगुल बज गया है। यहां 8 फरवरी को मतदान होंगे और नतीजे 11 फरवरी को आएगा। आप ने अपने सभी 70 उम्मीदवारों के नामों का घोषणा कर दिया है। उधर बिहार में साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी बीजेपी और जेडयू ने अभी से शुरू कर दी है।
बीजेपी के सूत्र बताते है कि जेडयू और बीजेपी दोनों 50-50 सीट बटवारे पर चुनाव लड़ेगी। इसके पहले लोकसभा में भी ये दोनों पार्टिंयां इसी फार्मूले पर चुनाव लड़ी थी। पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू और बजेपी अलग-अलग चुनाव लड़े थे।
साल 2010 में दोनों पार्टियों ने मिलकर चुनाव लड़ा था। दोनों पार्टियों का स्ट्राइक रेट 90 फीसदी से ज्यादा का था जो कि जेडीयू के स्ट्राइक रेट से बहुत ज्यादा था। दोनों ही परिस्थितियों की तुलना 2020 से नहीं की जा सकती है।
जेडयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर बताते हैं कि 2010 के सीट बटवारे की तरह ही इस बार भी सीट बटवारा हो। उस समय बीजेपी को 102 सीट और जेडीयू को 141 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। उसके बात को जेडयू के सभी नेतावो ने खारिज कर दिया।
बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि प्रशांत किशोर की बात को गंभीरता से नहीं लिया जा सकता। यह मामला बीजेपी के और जेडीयू के शीर्ष नेताओं के बीच ही तय होगा। लेकिन बीजेपी 50-50 फार्मूले के आधार पर सीट शेयरिंग करना पसंद करेंगी। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष में कांग्रेस और आरजेडी ने ज्यादा-से-ज्यादा सीटे लेने का प्रेशर बना रही है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि सभी सीटों पर संगठन मजबूत होने से महागठबंधन को ही फायदा होगा। हमारा प्रयास है कि मजबूत संगठन के बल पर हम अपने हिस्से की सीट तो जीते ही, साथ ही अन्य सीटों पर अपने सहयोगी दलों की जीत सुनिश्चित कराएं। अपनी पार्टी के संगठन को मजबूत करना किसी दूसरी पार्टी को आंख दिखाना नहीं है।
पिछले विधानसभा चुनाव में आरजेडी और जेडयू ने 101-101 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जबकि कांग्रेस के हिस्से में 41 सीटें आई थी। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि पिछले चुनाव में उनका स्ट्राइक रेट जेडीयू से थोड़ा ही कम था। जेडीयू की सीट जीतने की दर जहां 70.29 फीसद थी, वहीं कांग्रेस की दर 65.85 प्रतिशत थी।
पार्टी में अब जेडीयू के हिस्से की सीटों पर नजरे गड़ाए है। हालांकि, जेडीयू के बाहर होने के बाद महागठबंधन में तीन अन्य दल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और विकासशील इनसान पार्टी शामिल हो चुके हैं। अधिक सीटों पर दावेदारी की रणनीति के तहत कांग्रेस ने आंदोलनात्मक कार्यक्रम भी तेज कर दिए हैं।
देखा जाए तो केंद्र एवं राज्य सरकार के खिलाफ पिछले एक डेढ़ माह में कांग्रेस से अधिक आंदोलनात्मक कार्यक्रम चलाए हैं। आरजेडी ने पिछले माह केवल बिहार बंद का एक कार्यक्रम चलाया था। कुछ वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि पिछले चुनाव में खुद लालू प्रसाद यादव ने आरजेडी की कमान संभाल रखी थी, लेकिन उनके फिलहाल जेल में रहने के कारण पार्टी पहले जैसी स्थिति में नहीं है।