पिछले कई महीनों से कांग्रेस शासित राज्यों में पार्टी के भीतर चल रही आपसी खींचतान थमने के बजाय बढ़ती ही जा रही है। पंजाब कांग्रेस में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रहा घमासान पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। आलाकमान इसे सुलझाने की तमाम कोशिशें कर रहा है। समझा जा सकता कि अब इस बारे में जल्द ही कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार पार्टी आलाकमान नवजोत सिंह सिद्धू पर गंभीर नजर रखता आ रहा है और उन्हें जल्दी ही कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।

अगले साल होने वाले पंजाब विधान सभा चुनाव को देखते हुए पार्टी आलाकमान पंजाब में सत्ता विरोधी लहर को दूर करने की कोशिश में है। इसके लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह मंत्रिमंडल में बदलाव देखने को मिल सकता है। कोऑर्डिनेशन कमेटी ने भी इसकी सिफारिश की है।
नवजोत सिंह सिद्धू अभी भी दिल्ली में मौजूद हैं और हाल ही में उन्होंने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकात की है। हालांकि सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी नवजोत सिंह सिद्धू से नाराज चल रहे हैं और सोनिया गांधी से अब तक उनकी मुलाकात नहीं हो पाई है ।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस आलाकमान नवजोत सिंह सिद्धू को 2022 विधानसभा चुनाव में पंजाब में कैंपेनिंग कमेटी के चीफ का पद देना चाहता है, लेकिन सिद्धू हाईकमान के इस ऑफर से खुश नहीं हैं ।
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कल एक जुलाई को कांग्रेस के हिंदू भाईचारे के नेताओं के साथ चंडीगढ़ में बैठक की है। इस दौरान हिन्दू भाईचारे के नेताओं ने सिद्धू को लेकर सीएम के सामने अपनी- अपनी बात रखी ।
इस बैठक में तीन बिंदुओं पर ध्यान दिया गया। जिसमे पहली बात यह कि पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी चीफ हिन्दू भाईचारे का नेता होना चाहिए। दूसरा यह कि सिद्धू को पीपीसीसी चीफ के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। तीसरा अहम बिंदु यह रहा कि आलाकमान को पंजाब के शहरी वोटर को ध्यान में रखना चाहिए ।
दरसल , कुछ दिन पहले कैप्टन दिल्ली में पार्टी हाईकमान से मिलकर गए हैं। इस मुलाक़ात में आलाकामन ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को प्रेस कांफ्रेंस कर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा था, लेकिन अभी तक कैप्टन ने प्रेस कांफ्रेंस नहीं की है। इस बीच कयास लगाए जा रहे हैं कि अमरिंदर सिंह एक बार फिर दिल्ली आ सकते हैं और कांग्रेस हाईकमान से उनकी मुलाकात हो सकती है ।
दरअसल इस विवाद की जड़ 2017 विधानसभा चुनाव से ही उपज गई थी जब कैप्टन ने 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा तो कहा कि उनका यह आखिरी चुनाव है। इसके बाद वह प्रदेश के सीएम भी बने। लेकिन 2022 आने से पहले ही वह अपने वादे से पलटी मारते नजर आ रहे हैं। मतलब यह है कि अगर अगले साल कांग्रेस पंजाब में बहुमत के साथ आती है तो एक बार फिर वह मुख्यमंत्री हो सकते हैं। कैप्टन की नाराजगी पंजाब कांग्रेस के प्रभारी और उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से भी बताई जा रही हैं। हरीश रावत नवजोत सिंह सिद्धू को ज्यादा महत्व दे रहे थे। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि सिद्धू पंजाब के भविष्य के नेता है। हरीश रावत के कहने का मतलब साफ था कि सिद्धू 2022 के सीएम पद के दावेदार की सूची में शामिल हो सकते हैं।
सिद्धू की चाहत फिलहाल डिप्टी सीएम नहीं बनने की है, बल्कि उनका सपना पंजाब का सीएम बनना है। जिसके लिए वह अभी से मैदान का मुयावना करने लगे हैं । फिलहाल वह चाहते हैं कि पंजाब कांग्रेस का मुखिया बनाकर उन्हें चुनाव संचालन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाए। अगर ऐसा होता है तो सिद्धू के हाथ में पंजाब चुनाव की न केवल कमान होगी बल्कि उनकी पसंद के प्रत्याशियों को भी 2022 विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया जा सकता है।