
लॉकडाउन के दौरान हरियाणा में करोड़ों रुपए की अवैध शराब बेची गई थी। इस घोटाले में आबकारी एवं कराधान विभाग तथा पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठे। शराब की अवैध धंधे की बात जब सामने आई तो प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज ने इसके लिए विशेष जांच कमेटी की मांग की सिफारिश मुख्यमंत्री से की। लेकिन सीएम कार्यालय ने एसआइटी बनाने की बजाय एसईटी का गठन किया। अनिल विज चाहते थे कि इस मामलें की जांच अशोक खेमका करें, लेकिन सीएम कार्यालय ने इसके लिए टीसी गुप्ता को चुना। एसईटी की टीम ने सबसे पहले सोनीपत के खरखौदा में शराब घोटाला पकड़ा, जहां आबकारी एवं कराधान विभाग तथा पुलिस की रखी हुई शराब लॉकडाउन में ही बेच दी गई। बाद में गुरुग्राम, झज्जर, फतेहाबाद, हिसार, अंबाला, विभिन्न जिलों में अवैध रुप से शराब बिक्री के मामले सामने आए।

शराब को अवैध रुप में दिल्ली, पंजाब, राजस्थान व उत्तर-प्रदेश में बेच दिया गया था। अवैध रुप से बेची गई शराब में आबकारी व पुलिस विभाग के अधिकारियों की भूमिका पर सवाल भी उठे। इस मामले में पुलिस ने घोटाले के मास्टर मांइड भूपेद्र सिंह को गिरफ्तार कर लिया था। पूछताछ के दौरान पता चला कि उसे राजनीतिक संरक्षण था। टीसी गुप्ता ने अपनी रिपोर्ट गृह सचिव विजयवर्धन को सौंपने के बाद इस बारे में कुछ भी बताने से मना कर दिया। रिपोर्ट चाहे दो हजार पन्नों की हो, लेकिन उसमें ऐसा कुछ नहीं जिससे कहा जा सकें कि इस घोटालें में किसी बड़े नेता, शराब माफिया, पुलिस या कराधान विभाग का नाम सामने आया हो। रिपोर्ट में बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई की बजाय निचले स्तर के अधिकारियों पर कार्रवाई की बात कही गई है।